भोपाल: सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग विभाग ने मंगलवार को भोपाल के कुशाभाऊ ठाकरे सभागार में महिला उद्योगपति और उद्यमी सम्मेलन का आयोजन किया. इसमें मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, राज्य मंत्री चैतन्य कश्यप और भोपाल सांसद आलोक शर्मा के साथ एमपीआईडीसी के अधिकारी और बड़ी संख्या में महिला उद्यमी शामिल हुए. इस दौरान सीएम यादव ने 850 एमएसएमई उद्योगों के खातों में 275 करोड़ रुपये का अनुदान एक क्लिक पर ट्रांसफर किया. वहीं, 12 नए उद्योगों का भूमिपूजन और 99 उद्योगों का लोकार्पण किया गया.
मंदिर सिर्फ पूजा नहीं, सामाजिक कार्यक्रमों के लिए भी खास
महिला उद्यमियों को संबोधित करते हुए सीएम मोहन यादव ने कहा कि "मंदिर सिर्फ पूजा के लिए नहीं होते थे. बल्कि वहां समाज के अन्य धार्मिक व सामाजिक कार्यक्रमों का आयोजन भी होता था. समाज में किसी बात को लेकर आम सहमति बनाना हो या 2 पक्षों के बीच का विवाद सुलझाना हो तो लोग मंदिर जाते थे. इसीलिए हमारी सरकार मंदिर परिसर को व्यवस्थित कर रही है. पूजा के लिए तो 4 बाय 4 का कमरा होता है, यहां भगवान होते हैं. लेकिन बाकी जगहों का भी धार्मिक व सामाजिक कार्यक्रमों के लिए उपयोग हो हमारा यही प्रयास है."
7 बहनों ने सीएम मोहन यादव को बांधी राखी
महिला उद्योगपति व उद्यमी सम्मेलन में सीएम मोहन यादव को 7 बहनों ने राखी बांधी. इस पर सीएम मोहन यादव ने कहा कि "जिस भाई के साथ बहन का आशीर्वाद है, उसकी कभी पराजय नहीं हो सकती. वो भाई हमेशा तरक्की ही करेगा." उन्होंने आगे कहा कि आने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनाव में बहनों की 33 प्रतिशत भागीदारी देने वाले हैं. महिलाएं इसके लिए तैयार रहें. आने वाले समय में आप महिलाओं में से कोई भी उद्योग मंत्री बन सकता है, तो कोई मुख्यमंत्री बन सकता है. आप तैयार रहें, अगली बारी आपकी है.
जितने उद्यम स्थापित होंगे, उतना विकास गति बढ़ेगी
कार्यक्रम में सीएम ने कहा कि "देश को आगे बढ़ाने के लिए उद्यम और उद्यमियों को बढ़ावा देने की ज़रूरत है और सरकार इसके लिए लगातार प्रयासरत है. आज बहनें अपने जीवन में आत्मनिर्भरता और प्रतिष्ठा हासिल कर रही हैं और ऐसे में हमें अपने इतिहास की जागरूक और सशक्त महिला किरदारों को भी याद करना चाहिए. हम अहिल्या बाई का 300वां जन्मोत्सव मना रहे हैं और वो हमारे लिए हमेशा एक प्रेरणा के रूप में सामने आती हैं. उन्होंने जितनी कठिन परिस्थितियों में जिस तरह के उच्च कीर्तिमान स्थापित किए हैं, वो आज भी हम सबको दिशा दिखाते हैं. रानी दुर्गावती ने अपने जीवनकाल में 50 युद्ध लड़े और सभी जीते. ऐसे कई उदाहरण हमारे सामने हैं, जो भारतीय पराक्रम और पुरुषार्थ का अनूठा उदाहरण है. अच्छी बात है कि आज के दौर में बहनें अपने और अपने परिवार के विकास के लिए निरंतर आगे कदम बढ़ा रही हैं. जितने अधिक उद्यम स्थापित होंगे, उतना विकास की गति बढ़ेगी."