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ड्राप आउट बच्चों की बढ़ती संख्या को लेकर मंथन, मोहन यादव बोले- सत्ता की कुर्सी से बड़ी है शिक्षा - MP DROP OUT STUDENT WORKSHOP

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Aug 4, 2024, 6:46 AM IST

Updated : Aug 4, 2024, 6:53 AM IST

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादन ने भोपाल में 'स्कूलों में बच्चों के ड्रॉपआउट कम करने' के विषय पर क्षेत्रीय कार्यशाला का शुभारंभ किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि, ''हमारे यहां कुर्सी से बड़ी शिक्षा है. हर बच्चे को शिक्षा प्राप्त हो इसके लिए हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं.''

workshop on reducing dropout school
स्कूलों में बच्चों के ड्रॉपआउट कम करने पर कार्यशाला (ETV Bharat)

भोपाल: एमपी में हर साल लाखों की संख्या में स्टूडेंट स्कूलों से ड्राप आउट हो रहे हैं. इस समस्या से किस प्रकार निपटा जाए और ड्राप आउट स्टूडेंट को फिर से मुख्यधारा से जोड़ने के लिए क्या प्रयास किए जाएं. इसको लेकर बाल अधिकार आयोग द्वारा एक भोपाल में एक कार्यशाला का आयोजन किया गया. जिसमें मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, पंचायत एवं ग्रामीण विकास व श्रम मंत्री प्रहलाद पटेल और राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो शामिल हुए.

साल 2024-25 में 23 लाख से अधिक स्टूडेंट ने छोड़ा स्कूल
स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा जारी एक रिपोर्ट में बताया गया, कि साल 2023-24 का शैक्षणिक सत्र पूरा करने के बाद 23 लाख से अधिक ऐसे छात्र-छात्राएं हैं, जो नए सत्र में वापस लौट कर नहीं आए. अब ऐसे बच्चों को फिर से स्कूलों में नामांकन कराने के लिए सरकार ने शिक्षकों की ड्यूटी लगाई है. जिससे वापस उनको स्कूल बुलाया जा सके.

सीएम ने बच्चों को बताया परमात्मा का आर्शीवाद
इस कार्यशाला में सीएम मोहन यादव ने कहा कि, ''भारत का आदिकाल से अपना एक चरित्र है. हमारी सभ्यता दुनिया में जानी जाती है. हमें विश्वगुरु की बात करने से पहले इसके पीछे के अर्थ को समझना होगा. गुरु हमेशा अंधेरे से निकलते हैं, ये संस्कृति युगों-युगों से है. बालक परमात्मा का आर्शीवाद है.'' सीएम ने कहा कि, ''हमारे यहां कुर्सी से बड़ी शिक्षा है. हमारे प्रधानमंत्री भी बच्चों की शिक्षा को लेकर बेहद गंभीर हैं और हर बच्चे को शिक्षा प्राप्त हो इसके लिए हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं.''

श्रम मंत्री ने कहा, एमपी में एक भी बाल श्रमिक नहीं मिलेगा
श्रम मंत्री प्रहलाद पटेल ने कहा कि, ''प्रदेश में एक भी बाल श्रमिक नहीं बचेगा. इसके लिए मैं आश्वस्त करता हूं. आवासीय श्रमोदय विद्यालयों में अध्ययन अध्यापन की समीक्षा के दौरान यह बात सामने आई है कि समस्या से निपटने के लिए दो से तीन लोगों की कमेटी बनानी पड़ेगी. विभाग जल्द ही यह काम करने वाला है, जिससे प्रदेश का कोई भी बच्चा से शिक्षा से वंचित न रहे. इसके लिए अधिकारियों को भी अच्छी नीयत और समर्पण से काम करना पड़ेगा.'' उन्होंने कहा कि ''सीएम से चर्चा कर ड्राप आउट बच्चों को वापस बुलाने के लिए अभियान चलाने को लेकर भी चर्चा करेंगे.''

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बच्चों को महंगे स्कूलों में फ्री पढ़ाएं, RTE स्कीम में मिडिल-लोवर क्लास स्टूडेंट को नहीं भरनी होगी फीस

शिक्षा को बच्चे के पुनर्वास से जोड़ना चाहिए
कार्यशाला को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने कहा कि, ''भारत में शिक्षा को संस्कार माना जाता है. शिक्षा को बच्चे के पुनर्वास से जोड़ना चाहिए. 2014 में एक बड़ी शुरुआत भारत मे हुई थी. पीएम मोदी ने भारत का नेतृत्व किया, पीएम मोदी ने शिक्षा में अन्य राज्यों में भाषा की रुकावट खत्म की. वहीं सीएम डॉ. मोहन यादव ने बाल अधिकारों को लेकर हमें खुलकर काम करने की छूट दी है. जिससे बाल अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई संभव हो सकी है.''

भोपाल: एमपी में हर साल लाखों की संख्या में स्टूडेंट स्कूलों से ड्राप आउट हो रहे हैं. इस समस्या से किस प्रकार निपटा जाए और ड्राप आउट स्टूडेंट को फिर से मुख्यधारा से जोड़ने के लिए क्या प्रयास किए जाएं. इसको लेकर बाल अधिकार आयोग द्वारा एक भोपाल में एक कार्यशाला का आयोजन किया गया. जिसमें मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, पंचायत एवं ग्रामीण विकास व श्रम मंत्री प्रहलाद पटेल और राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो शामिल हुए.

साल 2024-25 में 23 लाख से अधिक स्टूडेंट ने छोड़ा स्कूल
स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा जारी एक रिपोर्ट में बताया गया, कि साल 2023-24 का शैक्षणिक सत्र पूरा करने के बाद 23 लाख से अधिक ऐसे छात्र-छात्राएं हैं, जो नए सत्र में वापस लौट कर नहीं आए. अब ऐसे बच्चों को फिर से स्कूलों में नामांकन कराने के लिए सरकार ने शिक्षकों की ड्यूटी लगाई है. जिससे वापस उनको स्कूल बुलाया जा सके.

सीएम ने बच्चों को बताया परमात्मा का आर्शीवाद
इस कार्यशाला में सीएम मोहन यादव ने कहा कि, ''भारत का आदिकाल से अपना एक चरित्र है. हमारी सभ्यता दुनिया में जानी जाती है. हमें विश्वगुरु की बात करने से पहले इसके पीछे के अर्थ को समझना होगा. गुरु हमेशा अंधेरे से निकलते हैं, ये संस्कृति युगों-युगों से है. बालक परमात्मा का आर्शीवाद है.'' सीएम ने कहा कि, ''हमारे यहां कुर्सी से बड़ी शिक्षा है. हमारे प्रधानमंत्री भी बच्चों की शिक्षा को लेकर बेहद गंभीर हैं और हर बच्चे को शिक्षा प्राप्त हो इसके लिए हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं.''

श्रम मंत्री ने कहा, एमपी में एक भी बाल श्रमिक नहीं मिलेगा
श्रम मंत्री प्रहलाद पटेल ने कहा कि, ''प्रदेश में एक भी बाल श्रमिक नहीं बचेगा. इसके लिए मैं आश्वस्त करता हूं. आवासीय श्रमोदय विद्यालयों में अध्ययन अध्यापन की समीक्षा के दौरान यह बात सामने आई है कि समस्या से निपटने के लिए दो से तीन लोगों की कमेटी बनानी पड़ेगी. विभाग जल्द ही यह काम करने वाला है, जिससे प्रदेश का कोई भी बच्चा से शिक्षा से वंचित न रहे. इसके लिए अधिकारियों को भी अच्छी नीयत और समर्पण से काम करना पड़ेगा.'' उन्होंने कहा कि ''सीएम से चर्चा कर ड्राप आउट बच्चों को वापस बुलाने के लिए अभियान चलाने को लेकर भी चर्चा करेंगे.''

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शिक्षा को बच्चे के पुनर्वास से जोड़ना चाहिए
कार्यशाला को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने कहा कि, ''भारत में शिक्षा को संस्कार माना जाता है. शिक्षा को बच्चे के पुनर्वास से जोड़ना चाहिए. 2014 में एक बड़ी शुरुआत भारत मे हुई थी. पीएम मोदी ने भारत का नेतृत्व किया, पीएम मोदी ने शिक्षा में अन्य राज्यों में भाषा की रुकावट खत्म की. वहीं सीएम डॉ. मोहन यादव ने बाल अधिकारों को लेकर हमें खुलकर काम करने की छूट दी है. जिससे बाल अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई संभव हो सकी है.''

Last Updated : Aug 4, 2024, 6:53 AM IST
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