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MUDA मामला: सीएम सिद्धारमैया की याचिका पर सुनवाई 12 सितंबर तक स्थगित - MUDA Case - MUDA CASE

MUDA Case CM Siddaramaiah Plea : कर्नाटक के राज्यपाल ने मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण से संबंधित कथित भूमि घोटाला मामले में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ मुकदमा चलाने को मंजूरी है. सिद्धारमैया ने राज्यपाल से इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी है.

MUDA Case CM Siddaramaiah Plea
सीएम सिद्धारमैया (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 9, 2024, 6:27 PM IST

बेंगलुरु: कर्नाटक हाईकोर्ट ने सोमवार को मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की याचिका पर सुनवाई स्थगित कर दी, जिसमें उन्होंने मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) की साइटों को उनके परिवार के सदस्यों के नाम पर कथित अवैध आवंटन के संबंध में मुकदमा चलाने की कार्रवाई को चुनौती दी है.

जस्टिस एम नागप्रसन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने सोमवार को मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की याचिका पर सुनवाई की. सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से दलीलें पेश करने वाले महाधिवक्ता शशिकिरण शेट्टी ने कहा, ''मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ भ्रष्टाचार नियंत्रण अधिनियम की धारा 17 ए के तहत एक निजी व्यक्ति द्वारा जांच के लिए राज्यपाल से अनुरोध किया गया है. इस अधिनियम के तहत प्रारंभिक जांच की जानी चाहिए. अब तक कोई जांच नहीं की गई. मामले में काफी देरी हो चुकी है. लेकिन बाद में सीधे राज्यपाल से अनुरोध किया गया.''

शेट्टी ने कहा, ''निजी व्यक्ति ने अनुमति मांगी है. इसका मतलब है कि उसे पुलिस अधिकारी से बड़ा पद संभालने की अनुमति नहीं है. मामले की सूचना पहले पुलिस को दी जानी चाहिए. अभियोजन की अनुमति के बारे में राय देने के लिए केवल पुलिस अधिकारी की आवश्यकता होती है. जांच अधिकारी से मामले की जानकारी मांगने का अवसर था. इसके अलावा, सक्षम प्राधिकारी (राज्यपाल) को प्रारंभिक जांच करने की अनुमति नहीं है."

शेट्टी ने पीठ को बताया कि राज्यपाल को भ्रष्टाचार नियंत्रण अधिनियम की धारा 17 ए के तहत और केंद्र सरकार द्वारा जारी प्रक्रिया नियम (एसओपी) के अनुसार जांचकर्ताओं से जानकारी एकत्र करने की आवश्यकता होती है. राज्यपाल को आवेदन पर विचार नहीं करना चाहिए था. आवेदन को शिकायतकर्ता को वापस कर देना चाहिए था.

इस पर अदालत ने पूछा कि अगर प्रारंभिक जांच की जानी है, तो क्या सरकार पहले एफआईआर दर्ज करेगी?

यह भी पढ़ें- क्या है MUDA घोटाला? मामले में अब तक क्या-क्या हुआ? जानें सबकुछ

बेंगलुरु: कर्नाटक हाईकोर्ट ने सोमवार को मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की याचिका पर सुनवाई स्थगित कर दी, जिसमें उन्होंने मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) की साइटों को उनके परिवार के सदस्यों के नाम पर कथित अवैध आवंटन के संबंध में मुकदमा चलाने की कार्रवाई को चुनौती दी है.

जस्टिस एम नागप्रसन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने सोमवार को मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की याचिका पर सुनवाई की. सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से दलीलें पेश करने वाले महाधिवक्ता शशिकिरण शेट्टी ने कहा, ''मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ भ्रष्टाचार नियंत्रण अधिनियम की धारा 17 ए के तहत एक निजी व्यक्ति द्वारा जांच के लिए राज्यपाल से अनुरोध किया गया है. इस अधिनियम के तहत प्रारंभिक जांच की जानी चाहिए. अब तक कोई जांच नहीं की गई. मामले में काफी देरी हो चुकी है. लेकिन बाद में सीधे राज्यपाल से अनुरोध किया गया.''

शेट्टी ने कहा, ''निजी व्यक्ति ने अनुमति मांगी है. इसका मतलब है कि उसे पुलिस अधिकारी से बड़ा पद संभालने की अनुमति नहीं है. मामले की सूचना पहले पुलिस को दी जानी चाहिए. अभियोजन की अनुमति के बारे में राय देने के लिए केवल पुलिस अधिकारी की आवश्यकता होती है. जांच अधिकारी से मामले की जानकारी मांगने का अवसर था. इसके अलावा, सक्षम प्राधिकारी (राज्यपाल) को प्रारंभिक जांच करने की अनुमति नहीं है."

शेट्टी ने पीठ को बताया कि राज्यपाल को भ्रष्टाचार नियंत्रण अधिनियम की धारा 17 ए के तहत और केंद्र सरकार द्वारा जारी प्रक्रिया नियम (एसओपी) के अनुसार जांचकर्ताओं से जानकारी एकत्र करने की आवश्यकता होती है. राज्यपाल को आवेदन पर विचार नहीं करना चाहिए था. आवेदन को शिकायतकर्ता को वापस कर देना चाहिए था.

इस पर अदालत ने पूछा कि अगर प्रारंभिक जांच की जानी है, तो क्या सरकार पहले एफआईआर दर्ज करेगी?

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