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श्रीलंकाई अतिला ने हिंदी से मिटाई दो देशों की दूरी, 24 साल पहले मिले गुरु गिफ्ट से फिल्में बना द्वीपदेश में हुई मशहूर - Bhopal Hindi Diwas Program

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Sep 14, 2024, 10:29 PM IST

Updated : Sep 15, 2024, 7:45 AM IST

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में हिंदी दिवस पर कार्यक्रम आयोजित किया गया. इस कार्यक्रम में हिंदी के कई कवि व विद्वानों का सम्मान किया गया. इस क्रम में श्रीलंका की अतिला कोतलावल का भी सम्मान हुआ. इस दौरान उन्होंने अपने हिंदी प्रेम के बारे में बताया कि कैसे श्रीलंका में वे हिंदी का अलख जगा रही हैं.

MOHAN YADAV HONORED ATILA KOTLAWAL
मोहन यादव ने अतिला कोतलावल का किया सम्मान (ETV Bharat)

भोपाल: हिंदी वैसे तो संस्कृत के बाद सबसे समृद्ध भाषा मानी जाती है. विदेश में रहने वाले भी इसे सीखना चाहते हैं. भले ही भारत में रहने वाले कुछ लोग हिंदी बोलने में शर्म महसूस करते हों, लेकिन आज हम ऐसी महिला की कहानी बताने जा रहे हैं, जो न तो भारत की रहने वाली हैं और न ही उनका यहां जन्म हुआ है. लेकिन उन्होंने दो देशों के बीच की साहित्यिक दूरी को मिटाने के लिए पहले खुद हिंदी सीखी. अब पूरे श्रीलंका में इसकी अलख जगाने का काम कर रही हैं. अतिला कोतलावल के द्वारा श्रीलंका में हिंदी को लेकर किए जा रहे उनके कार्यों को देखते हुए 14 सितंबर हिंदी दिवस के मौके पर मध्य प्रदेश सरकार द्वारा उनका सम्मान किया गया. उन्हें शाल और स्मृति चिन्ह देकर राष्ट्रीय फादर कामिल बुल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया.

दो देशों की दूरी मिटाने के लिए सीखी हिंदी (ETV Bharat)

बीते 24 सालों से श्रीलंका में लोगों को सिखा रहीं हिंदी

अतिला ने बताया कि "उनका जन्म श्रीलंका में हुआ. वहीं उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की." हिंदी भाषा से उनके प्रेम के बारे में पूछने पर उन्होंने बताया कि "जब वो प्लस 12 क्लास में थी. जब उन्होंने कला धारा में भाषाओं का चयन किया था. इस दौरान उन्होंने फ्रेंच, जापानी और हिंदी भाषाएं सीखी. लेकिन बाद में सभी भाषाएं पीछे छूट गई और वो हिंदी के साथ आगे निकल आईं." अतिला बताती हैं कि "उन्हें भारत से एक छात्रवृत्ति भी मिली थी. जिसके बाद उन्होंने 2 साल तक यहीं रहकर हिंदी का अध्ययन किया. साल 2000 से उन्होंने श्रीलंका में हिंदी पढ़ाने का काम शुरू किया. करीब 24 साल पहले उन्होंने श्रीलंका में हिंदी संस्थान की शुरुआत की थी. इस दौरान उन्होंने श्रीलंका के हजारों लोगों को हिंदी सिखाई. लोग वहां विदेशी भाषा के रूप में हिंदी सीखते और लाभान्वित होते हैं."

श्रीलंकाई हिंदी फिल्म और गानों के लिए सीखना चाहते हैं हिंदी

अतिला ने बताया कि "हिंदी को लेकर श्रीलंका में आज का आकर्षण नहीं है. यह सदियों से चला आ रहा है. हिंदी भाषा इतनी समृद्ध और मधुर है कि इसकी मधुरता फिल्म और गानों के माध्यम से श्रीलंका के लोगों तक पहुंचती है. वहां हर एक के पास कुछ ऐसे शब्द समूह होते हैं. वो लोग केवल शब्दों को जानते हैं, लेकिन उसका मतलब नहीं समझते. जबकि लोगों को हिंदी फिल्में देखना और गाने सुनना पसंद है." अतिला ने बताया कि बहुत सारे लोग तो ऐसे हैं, जो सिर्फ हिंदी गाने और फिल्मों के लिए हमारे पास हिंदी सीखने आते हैं. वहां हिंदी गीतों का एक संघ है, उनमें कई लोग ऐसे हैं, जो हिंदी नहीं समझते. लेकिन जब गीत गाते हैं, तो ऐसा लगता है कि ये अच्छे से हिंदी जानते हैं.

प्रधानमंत्री मोदी से मिलने की जताई इच्छा

अतिला देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करना चाहती हैं. उनका कहना है कि अभी भी भारत की ओर से काफी मदद मिल रही है. भारतीय दूतावास श्रीलंका में काफी काम कर रहा है. किताबें उपलब्ध करवा रहा है, लेकिन श्रीलंका की अन्य परेशानियों को लेकर भी मोदी जी का ध्यानाकर्षण चाहती हैं. अतिला का कहना है कि वो प्रधानमंत्री मोदी से मिलकर श्रीलंका की और मदद करने का आह्वान करेंगी. उन्होंने कहा कि भारत तो हमारा गुरु देश है. सब कुछ के लिए तो भारत का आर्शीवाद हमारे साथ ही है. मैं यही चाहती हूं कि भारत माता का आर्शीवाद इसी तरह से बना रहे.

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अतिला का मकसद श्रीलंका और भारत के बीच सेतु बनना

अतिला आगे बताती हैं कि उन्होंने अब तक का अपना जीवन हिंदी के विस्तार के लिए दिया है. आगे का जीवन भी वो हिंदी के साथ ही बिताना चाहती हैं. उनका कहना है कि उनका उद्देश्य श्रीलंका के लोगों को अधिक से अधिक हिंदी सिखाने के साथ भारत और श्रीलंका के साहित्यिक संबंधों को मजबूत बनाना है. वो भविष्य में श्रीलंका के साहित्य का हिंदी में अनुवाद करना चाहती हैं. वहीं हिंदी साहित्य का सिंगली में अनुवाद करना चाहती हैं. अतिला हिंदी के माध्यम से श्रीलंका और भारत के बीच सेतु बनकर आपसी रिश्तों को नई ऊंचाईयां देना चाहती हैं.

भोपाल: हिंदी वैसे तो संस्कृत के बाद सबसे समृद्ध भाषा मानी जाती है. विदेश में रहने वाले भी इसे सीखना चाहते हैं. भले ही भारत में रहने वाले कुछ लोग हिंदी बोलने में शर्म महसूस करते हों, लेकिन आज हम ऐसी महिला की कहानी बताने जा रहे हैं, जो न तो भारत की रहने वाली हैं और न ही उनका यहां जन्म हुआ है. लेकिन उन्होंने दो देशों के बीच की साहित्यिक दूरी को मिटाने के लिए पहले खुद हिंदी सीखी. अब पूरे श्रीलंका में इसकी अलख जगाने का काम कर रही हैं. अतिला कोतलावल के द्वारा श्रीलंका में हिंदी को लेकर किए जा रहे उनके कार्यों को देखते हुए 14 सितंबर हिंदी दिवस के मौके पर मध्य प्रदेश सरकार द्वारा उनका सम्मान किया गया. उन्हें शाल और स्मृति चिन्ह देकर राष्ट्रीय फादर कामिल बुल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया.

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बीते 24 सालों से श्रीलंका में लोगों को सिखा रहीं हिंदी

अतिला ने बताया कि "उनका जन्म श्रीलंका में हुआ. वहीं उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की." हिंदी भाषा से उनके प्रेम के बारे में पूछने पर उन्होंने बताया कि "जब वो प्लस 12 क्लास में थी. जब उन्होंने कला धारा में भाषाओं का चयन किया था. इस दौरान उन्होंने फ्रेंच, जापानी और हिंदी भाषाएं सीखी. लेकिन बाद में सभी भाषाएं पीछे छूट गई और वो हिंदी के साथ आगे निकल आईं." अतिला बताती हैं कि "उन्हें भारत से एक छात्रवृत्ति भी मिली थी. जिसके बाद उन्होंने 2 साल तक यहीं रहकर हिंदी का अध्ययन किया. साल 2000 से उन्होंने श्रीलंका में हिंदी पढ़ाने का काम शुरू किया. करीब 24 साल पहले उन्होंने श्रीलंका में हिंदी संस्थान की शुरुआत की थी. इस दौरान उन्होंने श्रीलंका के हजारों लोगों को हिंदी सिखाई. लोग वहां विदेशी भाषा के रूप में हिंदी सीखते और लाभान्वित होते हैं."

श्रीलंकाई हिंदी फिल्म और गानों के लिए सीखना चाहते हैं हिंदी

अतिला ने बताया कि "हिंदी को लेकर श्रीलंका में आज का आकर्षण नहीं है. यह सदियों से चला आ रहा है. हिंदी भाषा इतनी समृद्ध और मधुर है कि इसकी मधुरता फिल्म और गानों के माध्यम से श्रीलंका के लोगों तक पहुंचती है. वहां हर एक के पास कुछ ऐसे शब्द समूह होते हैं. वो लोग केवल शब्दों को जानते हैं, लेकिन उसका मतलब नहीं समझते. जबकि लोगों को हिंदी फिल्में देखना और गाने सुनना पसंद है." अतिला ने बताया कि बहुत सारे लोग तो ऐसे हैं, जो सिर्फ हिंदी गाने और फिल्मों के लिए हमारे पास हिंदी सीखने आते हैं. वहां हिंदी गीतों का एक संघ है, उनमें कई लोग ऐसे हैं, जो हिंदी नहीं समझते. लेकिन जब गीत गाते हैं, तो ऐसा लगता है कि ये अच्छे से हिंदी जानते हैं.

प्रधानमंत्री मोदी से मिलने की जताई इच्छा

अतिला देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करना चाहती हैं. उनका कहना है कि अभी भी भारत की ओर से काफी मदद मिल रही है. भारतीय दूतावास श्रीलंका में काफी काम कर रहा है. किताबें उपलब्ध करवा रहा है, लेकिन श्रीलंका की अन्य परेशानियों को लेकर भी मोदी जी का ध्यानाकर्षण चाहती हैं. अतिला का कहना है कि वो प्रधानमंत्री मोदी से मिलकर श्रीलंका की और मदद करने का आह्वान करेंगी. उन्होंने कहा कि भारत तो हमारा गुरु देश है. सब कुछ के लिए तो भारत का आर्शीवाद हमारे साथ ही है. मैं यही चाहती हूं कि भारत माता का आर्शीवाद इसी तरह से बना रहे.

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अतिला आगे बताती हैं कि उन्होंने अब तक का अपना जीवन हिंदी के विस्तार के लिए दिया है. आगे का जीवन भी वो हिंदी के साथ ही बिताना चाहती हैं. उनका कहना है कि उनका उद्देश्य श्रीलंका के लोगों को अधिक से अधिक हिंदी सिखाने के साथ भारत और श्रीलंका के साहित्यिक संबंधों को मजबूत बनाना है. वो भविष्य में श्रीलंका के साहित्य का हिंदी में अनुवाद करना चाहती हैं. वहीं हिंदी साहित्य का सिंगली में अनुवाद करना चाहती हैं. अतिला हिंदी के माध्यम से श्रीलंका और भारत के बीच सेतु बनकर आपसी रिश्तों को नई ऊंचाईयां देना चाहती हैं.

Last Updated : Sep 15, 2024, 7:45 AM IST
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