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मध्य प्रदेश में 2009 में हुआ था प्रोफेसर भर्ती घोटाला, NEET चेयरमैन डॉ प्रदीप जोशी से क्या है संबंध? - MP PSC Professor Recruitment Scam

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jun 27, 2024, 9:20 PM IST

नीट का घोटाला सामने आने के बाद मध्य प्रदेश में 2009 में हुआ प्रोफेसर भर्ती घोटाला एक बार फिर सुर्खियों में है. दरअसल वर्तमान एनटीए चेयरमैन डॉ प्रदीप जोशी ही 2006 से 2011 तक एमपी पीएससी के चेयरमैन रहे थे. उनके कार्यकाल में ही 350 प्रोफेसरों की नियुक्ति हुई थी, इनमें से 103 अपात्रों को नियुक्ति देने का आरोप लगा था.

MP PSC PROFESSOR RECRUITMENT SCAM
मध्य प्रदेश में 2009 में हुआ था प्रोफेसर भर्ती घोटाला (ETV Bharat)

भोपाल। देशभर में एनटीए यानि नेशनल टेस्टिंग एजेंसी द्वारा कराई नीट 2024 में भ्रष्टाचार सामने आने के केंद्र सरकार कटघरे में खड़ी है. विपक्ष इसे मुद्दा बना रहा है. वहीं नीट 2024 की परीक्षा देने वाले लाखों छात्र चिंतित है. इसी बीच मध्यप्रदेश में साल 2009 में हुए एमपी पीएससी प्रोफेसर भर्ती घोटाले की चर्चाएं भी तेज हो गई हैं. इसका कारण दोनों परीक्षाओं में एक ही चेयरमैन का होना है.

डॉ प्रदीप जोशी थे एमपी पीएससी के तत्कालीन चेयरमैन

वर्तमान में एनटीए के चेयरमैन डॉ प्रदीप जोशी प्रोफेसर भर्ती घोटाले के दौरान एमपी पीएससी के चेयरमैन थे. इनका कार्यकाल जून 2006 से सितंबर 2011 के बीच रहा. इसी दौरान एमपी में 350 प्रोफेसरों की भर्ती की गई लेकिन इनमें से 103 प्रोफेसरों के द्वारा तय पात्रता पूरी नहीं करने के बाद भी नियक्ति देने का आरोप लगाया गया था.

जांच कमेटी ने भी माना, भर्ती प्रक्रिया में हुई अनियमितता

साल 2009 में प्रोफेसर भर्ती घोटाले पर जब शोर मचा तो मामला हाईकोर्ट पहुंचा, जिसके बाद एमपी सरकार ने एक जांच कमेटी बनाई. इस कमेटी ने भी स्वीकार किया था कि कई भर्तियां गलत हुई हैं. इनकी जांच लोकायुक्त, एसटीफ या ईओडब्ल्यू जैसी एजेंसियों से करानी चाहिए. नियुक्ति के बाद चयनितों के पात्रता प्रमाण पत्र, पीएचडी और टीचिंग अनुभव के बीच पर्याप्त अंतर नहीं होने के गंभीर आरोप लगे थे.

पूर्व कुलपति की बेटी को बनाया प्रोफेसर

2009 की प्रोफेसर भर्ती में आरडीवीवी जबलपुर के पूर्व कुलपति एस. शर्मा की बेटी अंकिता बोहरे को भी गलत तरीके से प्रोफेसर बनाया था. दरअसल एस. शर्मा के कुलपति रहने के दौरान ही डॉ प्रदीप जोशी प्रोफेसर बने थे. यह मामला भी हाईकोर्ट पहुंचा था, जिसके बाद इनकी नियुक्ति गलत पाई गई थी, हालांकि बाद में अंकिता सुप्रीम कोर्ट चली गई थी. जहां से उन्हें राहत मिल गई थी.

एमपी पीएसी के वर्तमान चेयरमैन की नियुक्ति भी गलत

एमपी पीएससी के वर्तमान चेयरमैन डॉ राजेश मेहरा है. इससे पहले 2017 से 2021 तक एमपी पीएससी के मेंबर रहे. इनका चयन भी साल 2009 में प्रोफेसर पद के लिए हुआ था. इन्होंने 2006 में पीएचडी पूरी की थी. ऐसे में इनके पास नियुक्ति के समय पीएचडी करने के बाद 10 वर्ष तक सरकारी कॉलेज में पढ़ाने का अनुभव नहीं था.

इन लोगों के पास भी नहीं था पीएचडी के बाद 10 वर्ष का अनुभव

  • 1. रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय जबलपुर के वर्तमान कुलपति डॉ राजेश वर्मा का चयन कॉमर्स विषय के लिए हुआ था. इन्होंने 2006 में पीएचडी की थी.
  • 2. ममता रायकवार एमपी पीएससी के मेंबर और कांग्रेस नेता के करीबी चंद्रशेखर की पत्नी हैं. ममता का चयन पॉलिटिकल साइंस विषय में हुआ था और इन्होंने 2003 में पीएचडी पूरी की.
  • 3. प्रेरणा ठाकुर पूर्व मंत्री उषा ठाकुर की बहन हैं, जो जीडीसी कॉलेज में प्रोफेसर हैं. प्ररेणा का चयन इतिहास विषय में हुआ था और पीएचडी 2005 में पूरी की.
  • 4. प्रो.आकाश पाठक ने व्यापम घोटाले के आरोपी पियूष त्रिवेदी के अंडर में पीएचडी की थी. आशीष का चयन कॉमर्स विषय के लिए हुआ था. इनकी पीएचडी 2006 में पूरी हुई.

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3 बच्चे होने के बाद भी सरकारी सेवा में चयन

दरअसल पीएचडी के बाद 10 वर्ष का अनुभव नहीं रखने वालों को प्रोफेसर पद पर नियुक्त करने के साथ अन्य अनियमितताएं भी मिलीं थीं. जैसे दिनेश दवे अभी एक सरकारी कॉलेज में प्राफेसर हैं. नियुक्ति के समय इनके 3 बच्चे थे, जबकि सरकारी नियमानुसार 3 बच्चे वालों को सरकारी नौकरी में रखने का नियम नहीं है. वहीं एक अन्य पवन शर्मा एमपी पीएससी प्रोफेसर भर्ती के टॉपर थे. लेकिन उनके सर्टिफिकेट नकली थे. उन्होंने रजिस्ट्रार के हस्ताक्षर कर जाली दस्तावेज बनाए थे.

भोपाल। देशभर में एनटीए यानि नेशनल टेस्टिंग एजेंसी द्वारा कराई नीट 2024 में भ्रष्टाचार सामने आने के केंद्र सरकार कटघरे में खड़ी है. विपक्ष इसे मुद्दा बना रहा है. वहीं नीट 2024 की परीक्षा देने वाले लाखों छात्र चिंतित है. इसी बीच मध्यप्रदेश में साल 2009 में हुए एमपी पीएससी प्रोफेसर भर्ती घोटाले की चर्चाएं भी तेज हो गई हैं. इसका कारण दोनों परीक्षाओं में एक ही चेयरमैन का होना है.

डॉ प्रदीप जोशी थे एमपी पीएससी के तत्कालीन चेयरमैन

वर्तमान में एनटीए के चेयरमैन डॉ प्रदीप जोशी प्रोफेसर भर्ती घोटाले के दौरान एमपी पीएससी के चेयरमैन थे. इनका कार्यकाल जून 2006 से सितंबर 2011 के बीच रहा. इसी दौरान एमपी में 350 प्रोफेसरों की भर्ती की गई लेकिन इनमें से 103 प्रोफेसरों के द्वारा तय पात्रता पूरी नहीं करने के बाद भी नियक्ति देने का आरोप लगाया गया था.

जांच कमेटी ने भी माना, भर्ती प्रक्रिया में हुई अनियमितता

साल 2009 में प्रोफेसर भर्ती घोटाले पर जब शोर मचा तो मामला हाईकोर्ट पहुंचा, जिसके बाद एमपी सरकार ने एक जांच कमेटी बनाई. इस कमेटी ने भी स्वीकार किया था कि कई भर्तियां गलत हुई हैं. इनकी जांच लोकायुक्त, एसटीफ या ईओडब्ल्यू जैसी एजेंसियों से करानी चाहिए. नियुक्ति के बाद चयनितों के पात्रता प्रमाण पत्र, पीएचडी और टीचिंग अनुभव के बीच पर्याप्त अंतर नहीं होने के गंभीर आरोप लगे थे.

पूर्व कुलपति की बेटी को बनाया प्रोफेसर

2009 की प्रोफेसर भर्ती में आरडीवीवी जबलपुर के पूर्व कुलपति एस. शर्मा की बेटी अंकिता बोहरे को भी गलत तरीके से प्रोफेसर बनाया था. दरअसल एस. शर्मा के कुलपति रहने के दौरान ही डॉ प्रदीप जोशी प्रोफेसर बने थे. यह मामला भी हाईकोर्ट पहुंचा था, जिसके बाद इनकी नियुक्ति गलत पाई गई थी, हालांकि बाद में अंकिता सुप्रीम कोर्ट चली गई थी. जहां से उन्हें राहत मिल गई थी.

एमपी पीएसी के वर्तमान चेयरमैन की नियुक्ति भी गलत

एमपी पीएससी के वर्तमान चेयरमैन डॉ राजेश मेहरा है. इससे पहले 2017 से 2021 तक एमपी पीएससी के मेंबर रहे. इनका चयन भी साल 2009 में प्रोफेसर पद के लिए हुआ था. इन्होंने 2006 में पीएचडी पूरी की थी. ऐसे में इनके पास नियुक्ति के समय पीएचडी करने के बाद 10 वर्ष तक सरकारी कॉलेज में पढ़ाने का अनुभव नहीं था.

इन लोगों के पास भी नहीं था पीएचडी के बाद 10 वर्ष का अनुभव

  • 1. रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय जबलपुर के वर्तमान कुलपति डॉ राजेश वर्मा का चयन कॉमर्स विषय के लिए हुआ था. इन्होंने 2006 में पीएचडी की थी.
  • 2. ममता रायकवार एमपी पीएससी के मेंबर और कांग्रेस नेता के करीबी चंद्रशेखर की पत्नी हैं. ममता का चयन पॉलिटिकल साइंस विषय में हुआ था और इन्होंने 2003 में पीएचडी पूरी की.
  • 3. प्रेरणा ठाकुर पूर्व मंत्री उषा ठाकुर की बहन हैं, जो जीडीसी कॉलेज में प्रोफेसर हैं. प्ररेणा का चयन इतिहास विषय में हुआ था और पीएचडी 2005 में पूरी की.
  • 4. प्रो.आकाश पाठक ने व्यापम घोटाले के आरोपी पियूष त्रिवेदी के अंडर में पीएचडी की थी. आशीष का चयन कॉमर्स विषय के लिए हुआ था. इनकी पीएचडी 2006 में पूरी हुई.

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3 बच्चे होने के बाद भी सरकारी सेवा में चयन

दरअसल पीएचडी के बाद 10 वर्ष का अनुभव नहीं रखने वालों को प्रोफेसर पद पर नियुक्त करने के साथ अन्य अनियमितताएं भी मिलीं थीं. जैसे दिनेश दवे अभी एक सरकारी कॉलेज में प्राफेसर हैं. नियुक्ति के समय इनके 3 बच्चे थे, जबकि सरकारी नियमानुसार 3 बच्चे वालों को सरकारी नौकरी में रखने का नियम नहीं है. वहीं एक अन्य पवन शर्मा एमपी पीएससी प्रोफेसर भर्ती के टॉपर थे. लेकिन उनके सर्टिफिकेट नकली थे. उन्होंने रजिस्ट्रार के हस्ताक्षर कर जाली दस्तावेज बनाए थे.

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