भोपाल. मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है प्राचीन शिव मंदिर भोजेश्वर महादेव (Bhojeshwar Mahadev). यूनेस्को (UNESCO) द्वारा अपनी अस्थाई सूची में मध्य प्रदेश के 6 प्राचीन पर्यटन स्थलों के साथ इसे भी शामिल किया गया है. यहां मौजूद 18 फीट का विशाल शिवलिंग 82 फीट के चबूतरे पर स्थित है. विशाल शिवलिंग व अद्भुत स्थापत्य कला की वजह से ही इसे यूनेस्को ने अपनी अस्थाई सूची में शामिल किया है. आइए जानते हैं मध्य प्रदेश के इस अद्भुत तीर्थ व पर्यटन स्थल के बारे में.
भोजेश्वर महादेव को कहते हैं उत्तर भारत का सोमनाथ
रायसेन के भोजपुर स्थित भोजेश्वर धाम शिव मंदिर पर हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ हर दिन उमड़ती है. इस प्राचीन शिव मंदिर में विशालकाय शिवलिंग के दर्शन करने देश ही नहीं विदेशों से भी लोग पहुंचते हैं. इस मंदिर का निर्माण परमार वंश के राजा भोज (Raja Bhoj) ने बेतवा नदी के किनारे सन् 1010ई -1055ई में कराया था. इस मंदिर के मध्य में बने हुए पवित्र शिवलिंग के कारण इसे उत्तर भारत का सोमनाथ भी कहा जाता है.
विश्व के सबसे बड़े प्राचीन शिवलिंग में से एक
चिकने लाल बलुआ पत्थर के बने इस शिवलिंग को पूरे एक ही पत्थर से बनाया गया है. यह एक ही पत्थर से निर्मित विश्व का सबसे बड़ा प्राचीन शिवलिंग भी माना जाता है. इसके साथ ही गर्भ गृह के विशाल तीर्थ स्थान पर भगवानों के जोड़े शिव-पार्वती, ब्रह्मा, सरस्वती, सीता-राम, व लक्ष्मी-विष्णु भगवान की मूर्तियां स्थापित हैं. सामने की दीवार के अलावा बाकी सभी तीन दीवारों पर कोई प्रतिमा स्थापित नहीं है. मंदिर की बाहरी दीवार पर यशो की मूर्ति भी देखने मिलती है.
पांडवों को भी दिया जाता है मंदिर निर्माण का श्रेय
इस सुंदर मंदिर में महादेव के अद्भत रूप के दर्शन करने के लिए हजारों की संख्या में पर्यटक व शिव भक्त आते रहते हैं. कहा जाता है कि इस मंदिर के निर्माण से पहले राजा भोज को स्वपन आया था, जिसके बाद पत्थरों की बड़ी-बड़ी शिलाओं से एक ही रात में ये अद्भुत संरचना तैयार की गई. वहीं इस मंदिर के निर्माण का श्रेय पांडवों को भी दिया जाता है.