बैतूल : झांसी मेडिकल कॉलेज में हुए अग्निकांड के बाद मध्यप्रदेश का स्वास्थ्य विभाग भी नींद से जाग गया. सभी जिलों के जिला अस्पाल अधीक्षकों को इस बारे में निर्देश दिए गए. इनसे कहा गया कि सभी एसएनसीयू वार्डों का बारीकी से निरीक्षण करें. आग रोकने के इंतजामों का नए सिरे से अवलोकन करें. नवजात बच्चों की जान की हिफाजत करना प्राथिमिकता होनी चाहिए.
बैतूल सीएमओ ने किया जिला अस्पताल का निरीक्षण
मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बैतूल जिला अस्पताल पहुंचकर फायर ऑडिट की जानकारी ली. इसके साथ ही खुली वायरिंग को लेकर इसके ठोस इंतजाम करने को कहा. बता दें कि बैतूल के एसएनसीयू वार्ड में फिलहाल 32 नवजात एडमिट हैं. मुख्य चिकित्सा स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.रविकांत डेहरिया ने एसएनसीयू वार्ड में पहुंचते ही बिजली का खुला बॉक्स देखा. इसके बाद बच्चों के परिजनों से कहा कि प्रतीक्षालय में बैठें. मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने एसएनसीयू वार्ड में लगे सभी फायर सेफ्टी इक्यूपमेंट की डेट चेक की. जहां नवजात एडमिट हैं, वहां की मशीनों का तापमान देख कर स्टाफ को निर्देशित किया. चेकिंग के बाद सीएमओ ने संतोष जताया.
- फिल्म 'नायक' की तरह निरीक्षण करने पहुंचे मोहन यादव के मंत्री, कमी देख की धड़ाधड़ कार्रवाई
- सरकारी अस्पताल में कलेक्टर बने एंग्री यंग मैन, सिविल सर्जन और डॉक्टरों पर गिरी गाज
झांसी मेडिकल कॉलेज में जलकर मरे 11 नवजात
गौरतलब है कि झांसी मेडिकल कॉलेज के बच्चों के वार्ड में शुक्रवार देर रात आग लग गई. भयानक अग्निकांड में 11 नवजात बच्चों की जलकर मौत हो गई. चाइल्ड वार्ड की खिड़की तोड़कर कई बच्चों को निकाला गया. फायर ब्रिगेड के कर्मचारियों ने बड़ी मुश्किल से आग पर काबू पाया. झांसी जिला प्रशासन की ओर से 10 बच्चों की मौत की पुष्टि की गई है. इनमें 7 बच्चों की पहचान भी कर ली गई है, जबकि 3 बच्चों की पहचान नहीं हो पाई है. आग लगने का कारण शॉर्ट सर्किट बताया जा रहा है. वार्ड में करीब 49 नवजात बच्चे भर्ती थे.