भोपाल। निराश्रित गोवंश का सरंक्षण और संवर्धन मध्यप्रदेश ही नहीं, बल्कि कई राज्यों में बड़ी चुनौती बना हुआ है. इस दिशा में मध्यप्रदेश के रीवा के सिमरिया में बने बसामन मामा गोवंश वन्य विहार बेहतर उदाहरण बनकर सामने आया है. इस वन्य विहार में करीबन 7 हजार निराश्रित गोवंश को रखा गया है. उधर रीवा जिले में पांच और गौ वन्य विहार बनाने की तैयारी की जा रही है. मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि ''जहां भी गौ वन्य विहार बनाने की जरूरत पड़ेगी, सरकार उसके लिए पूरी मदद करेगी. गौशालाओं को अब प्रति गाय 40 रुपए के हिसाब से राशि दी जाएगी.''
गौ वन्य विहार का प्रयोग हुआ सफल
मध्यप्रदेश गौ संवर्धन बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष स्वामी अखिलेश्वरानंद गिरी कहते हैं कि ''मध्यप्रदेश में पहले से गौ सदन की व्यवस्था थी, जो जंगल से सटकर बनाए गए थे, लेकिन बाद में इसे खत्म कर दिया गया. इसलिए आज गाय सड़क पर बैठी दिखाई देती हैं.'' वे कहते हैं कि ''सिमरिया के बसामन मामा गोवंश वन्य विहार से हम फिर पुरानी दिशा में लौटे हैं. यहां आज करीबन 7 हजार गोवंश हैं.'' उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ला कहते हैं कि ''जंगल से सटे होने से सुबह सभी गाएं जंगल में जाती हैं और दिन भर वहीं से पेट भरकर वापस लौट आती हैं. जंगल वन्य विहार के आसपास छोटे-छोटे पानी के स्थान तैयार किए गए हैं. सिर्फ समस्या गर्मियों के 4 माह की होती है, इस दौरान यहीं खाने की व्यवस्था की जाती है.''
रीवा सहित कई स्थानों पर बनेंगे गौ वन्य विहार
बताया जा रहा है कि रीवा में बड़ी संख्या में निराश्रित गौ वंश हैं, इसको देखते हुए रीवा प्रशासन ने पांच और गौ वन्य विहार बनाए जाने के लिए राज्य शासन को प्रस्ताव भेजा है. स्वामी अखिलेश्वरानंद गिरी कहते हैं कि ''इस तरह के गौ वन्य विहार प्रदेश के कई स्थानों पर बनाए जाने के लिए पूर्व में शासन को प्रस्ताव भेजे जा चुके हैं. इसके लिए शासन से जंगल की भूमि से लगी राजस्व की भूमि आवंटित किए जाने के लिए लिखा गया.
निराश्रित गोवंश संख्या साढ़े 8 लाख
उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ला के मुताबिक, राज्य सरकार ही नहीं, केन्द्र सरकार भी इसको लेकर गंभीर है. पिछले दिनों इस संबंध में केन्द्रीय मंत्री से भी चर्चा हुई थी. उन्होंने कहा कि ''वन भूमि से लगी बड़ी राजस्व की भूमि देखें, केन्द्र सरकार इसमें सहयोग करेगा.'' गौरतलब है कि प्रदेश में निराश्रित गोवंश की 20 वीं गणना के मुताबिक मध्यप्रदेश में निराश्रित गोवंश की संख्या करीबन 8 लाख 50 हजार थी. माना जा रहा है कि यह संख्या नौ लाख से ज्यादा हो सकती है.