भोपाल: मध्यप्रदेश में बीते दो दिनों से आईटी की रेड जारी है. राजधानी भोपाल और इंदौर समेत प्रदेश के अलग-अलग स्थानों पर 52 से अधिक छापे मारे गए हैं. इनमें अलग-अलग लोगों से करीब 20 करोड़ रुपये नगदी के साथ 50 करोड़ रुपये से अधिक का सामान व करोड़ों रुपये की ज्वेलरी जब्त की गई है. इसके साथ ही इन ठिकानों से सैकड़ों एकड़ जमीनों के कागजात भी मिले हैं, जिनकी कीमत 500 करोड़ रुपये से अधिक हो सकती है. लेकिन इस आईटी रेड की शुरुआत कैसे हुई, ये खुलासा कर रहे हैं मध्यप्रदेश के पूर्व मंत्री और भाजपा नेता दीपक जोशी.
जमीनों की खरीद-फरोख्त की शिकायत के बाद कार्रवाई
दीपक जोशी ने ईटीवी भारत को बताया कि, ''आईटी रेड की शुरुआत जमीनों की खरीद-फरोख्त से संबंधित एक शिकायत से शुरु होती है. जो आईटी रेड से जुड़े हुए लोग हैं. इनका बड़ा काम था वेस्टर्न बायपास के आसपास नीलबड़, रातीबड़ व बड़े तालाब के कैचमेंट की जमीनों की खरीद-फरोख्त करना. ये जमीनें बहुत सी बेनामी और बहुत कुछ नाम से खरीदी गई. इसको लेकर हमने मध्यप्रदेश सरकार से लेकर केंद्र सरकार तक चिठ्ठियां लिखी थी. आज भी यदि देखिए तो सबसे कम कलेक्टर गाइड लाइन इन्हीं स्थानों पर है. मतलब ये है कि इन स्थानों पर जमीनें खरीदें, फिर से उसे चार गुना, आठ गुना और दस गुना दाम पर बेचें.''
वेस्टर्न बायपास से जुड़े हैं आईटी रेड के तार
दीपक जोशी ने बताया कि, ''हमारी शिकायत के बाद प्रधानमंत्री कार्यालय से पीडब्ल्यूडी विभाग को एक पत्र आया, जिसमें लिखा था कि दीपक जोशी की शिकायत है कि वेस्टर्न बायपास के आसपास जमीनों की खरीद-फरोख्त ज्यादा हो रही है. इसकी बिंदुवार जांच की जाए. चूंकि जमीनों की खरीद-फरोख्त के मामले में जो बड़ा नाम था, वो वेस्टर्न बायपास के कंसल्टेंट का था. जो बाद में करप्शन के अन्य मामलों में पकड़े भी गए. उनके साथ कुछ और लोगों के नाम भी शामिल हैं.''
जोशी ने बताया कि, ''हमारा तो सिर्फ ये कहना था कि जो बड़ा तालाब राजा भोज ने बनाया था. जो भोपाल से लेकर भोजपुर मंदिर तक था. आज हम इतना बड़ा तालाब खो चुके हैं. उसमें आधे से ज्यादा भोपाल शहर बसा हुआ है. क्या हम भोपाल को राजा भोज की विरासत जिसे देश में अच्छे तालाबों में से एक मानते हैं. वो तालाब भी हम खत्म कर दें.''
आईटी की रेड जनता की पहली विजय
दीपक जोशी ने कहा कि, ''हम इस बात को लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय गए थे. लेकिन इस मामले में प्रधानमंत्री कार्यालय का सचिवालय बड़ी मुस्तैदी से काम कर रहा है. इसी का परिणाम आप देख रहे हैं कि आज आईटी के छापे पड़े हैं. इसी का नतीजा है कि जो हमने वेस्टर्न बायपास की लड़ाई लड़ी थी. प्रारंभिक विजय जनता के हित में होती दिख रही है. ये बायपास जो आ रहा था मंडीदीप से फंदा कला तक, करीब 3 हजार करोड़ रुपये इसकी लागत है.
दीपक जोशी ने कहा, ''हालांकि उसमें बड़ा वन क्षेत्र जा रहा है. हमारे शहर में बाघ का जो मूवमेंट है, वो भी उसी क्षेत्र में आ रहा है. लेकिन ये बायपास जब झागरिया से फंदा कला जाएगा तो कोलांस नदी और उलझावन नदी इसी से होकर गुजरती है. इसी के पानी से बड़ा तालाब भरता है. इसके अलावा जो गांव फंदा कला और झागरिया के बीच के 12 किलोमीटर दायरे में हैं, उसी के सीपेज से ये तालाब भरता है. जब सीपेज नहीं आएगा तो तालाब भी नहीं भरेगा. ऐसे में हमें राजा भोज की 1100 साल पुरानी विरासत को बचाने के लिए आगे आना चाहिए.''
जांच हो तो यहां स्वर्ण भंडार मिलेगा
दीपक जोशी ने कहा कि, ''आज भोपाल के इतिहास में आईटी की बड़ी रेड पड़ी है. जिसमें 40 किलो सोने के साथ हजारों करोड़ रुपये की बेनामी संपत्ति सामने आ रही है. इस क्षेत्र में जो मकान है, यदि सरकार रेड मारती है तो संसार का सबसे बड़ा स्वर्ण भंडार यहां निकल जाएगा. नोटबंदी के बाद लोगों पर नोटों पर विश्वास नहीं रहा. अब उनको सोने और जमीनों पर ही विश्वास है. जमीनों का खेल कर रहे रहे हैं. सोना इनके घर से निकलेगा. अब ये रेड कितने की थी, कितनी निकली ये तो बाद में पता चलेगा.''
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पटवारी से लेकर चीफ सेक्रेटरी तक का काम कराने की बात
जोशी ने कहा कि, ''आज दुनिया में जब राजनीति में नेताओं से लोगों की दूरी बढ़ती जा रही है. लोगों का विश्वास खत्म होता जा रहा है. भोपाल के एक बिल्डर के पास एक कागज मिला है, जिसमें बकायदा वो लिखकर दे रहा है कि पटवारी से लेकर चीफ सेक्रेटरी तक का काम मैं करा कर दूंगा. बदले में 12 प्लाट या 20 प्लाट मेरे रहेंगे. इसका एफिड डेविड भी मिला है. अब जब बिल्डर जैसा आदमी पटवारी से लेकर चीफ सेक्रेटरी तक का काम करा रहा है. तो मध्यप्रदेश सरकार को सिंगल विंडो कर देना चाहिए. जिससे लोगों को सरकारी कार्यालयों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे.''