भोपाल। राजधानी के एक कॉलेज की फीस माफ करने के मामले में दिग्जिवय सिंह की मुश्किलें बढ़ गई हैं. मुख्यमंत्री रहने के दौरान भोपाल के एक कॉलेज की फीस माफ करने से यह मामला जुड़ा है. भोपाल की एमपी एमएलए कोर्ट ने 23 साल पुराने इस प्रकरण में एमपी नगर थाना पुलिस को जांच करने के आदेश दिए हैं. कोर्ट ने पुलिस से इस मामले में 15 जुलाई तक जांच रिपोर्ट पेश करने के आदेश भी दिए हैं. यह पूरा मामला 2002 का है, उस वक्त मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी और दिग्जिवय सिंह मुख्यमंत्री थे.
दिग्विजय सिंह ने माफ कर दी थी जुर्माने की राशि
यह पूरा मामला दिग्विजय सिंह के मुख्यमंत्री काल का है. साल 2002 में भोपाल के निजी शिक्षण संस्थान आरकेडीएफ ने दस्तावेजों में गड़बड़ी कर 11 के स्थान पर 21 स्टूडेंट्स के नाम एडमिशन सूची में जोड़े और इस तरह 10 स्टूडेंट्स को गलत तरीके से एडमिशन दे दिया गया था. इस आधार पर आरकेडीएफ कॉलेज पर 24 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया था लेकिन तत्कालीन तकनीकी शिक्षा मंत्री राजा पटेरिया ने इन प्रवेशों को सामान्य तकनीकी त्रुटि बताई थी. इसके बाद तत्कालीन मुख्य सचिव ने नोटशीट में लिखा था कि आरकेडीएफ कॉलेज पर लगाया गया जुर्माना माफ किया गया तो अन्य संस्थाओं पर गलत संदेश जाएगा.
आरोप है कि तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कॉलेज पर लगाए गए जुर्माने को सिर्फ माफ ही नहीं किया, बल्कि नोटशीट में आरकेडीएफ के साथ एक अन्य कॉलेज सत्यसाई का नाम भी लिख दिया और सिर्फ 5 लाख का जुर्माना लगाकर 24 लाख का जुर्माना माफ कर दिया था. इसे शासन को राजस्व की हानि मना गया गया.
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ईओडब्ल्यू में भी दर्ज हुई थी शिकायत
इस मामले को लेकर शिकायतकर्ता राधावल्लभ शारदा ने पूर्व में ईओडब्ल्यू में शिकायत दर्ज की थी. इस मामले में ईओडब्ल्यू ने पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह और पूर्व मंत्री राजा पटेरिया सहित कई लोगों को आरोपी बनाया था. मामले में कार्रवाई न होने के बाद शिकायतकर्ता की ओर से अधिवक्ता यावर खान ने एमपी एमएलए कोर्ट में परिवाद दायर किया था, जिसके संबंध में कोर्ट ने इस मामले में एमपी नगर थाना पुलिस से 15 जुलाई तक अपनी रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा है.