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पूर्व सीएम की बहु और मिनिस्टर कृष्णा गौर के घर में ठगी, साइबर ठगों ने बेटे को फंसाया

मोहन यादव सरकार की मंत्री कृष्णा गौर के बेटे को ठगों ने अपने जाल में फांस कर लाखों रुपए की ठगी की. पूर्व सीएम बाबूलाल गौर के पोते आकाश गौर संग यह केस रिपोर्ट हुई है.

CYBER FRAUD WITH MINISTER SON
मंत्री कृष्णा गौर के बेटे के साथ साइबर ठगी (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Nov 12, 2024, 11:13 AM IST

Updated : Nov 12, 2024, 11:20 AM IST

भोपाल : मध्य प्रदेश सरकार की मंत्री कृष्णा गौर के बेटे और पूर्व मुख्यमंत्री रहे स्वर्गीय बाबूलाल गौर के पोते के साथ ठगी का मामला सामने आया है. कृष्णा गौर के बेटे को सायबर ठगों ने लेबर सप्लाई का ठेका दिलाने के नाम पर 3 लाख 19 हजार रुपए की ठगी की है. इस पूरे मामले में भोपाल सायबर क्राइम ब्रांच ने अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शरू कर दी है.

क्या है पूरा मामला?

भोपाल के 74 बंगले में कृष्णा गौर के साथ रहने वाले उनके बेटे आकाश गौर ने साइबर क्राइम को दी अपनी शिकायत में बताया कि 20 मार्च 2024 को सुबह 11:00 से 4:00 बजे के बीच उन्हें प्राइवेट कंपनी में लेबर सप्लाई के टेंडर के लिए फोन आया था. फोन करने वाले ने उनसे पूछा कि आप लेबर सप्लाई का काम करते हैं. आकाश ने इस पर बताया कि वह ठेकेदारी करते हैं. इस पर फोन करने वाले ने कहा कि उन्हें काम का टेंडर मिल जाएगा. इसके लिए क्यूआर कोड पर एक एंट्री करनी होगी और काम अलॉट हो जाएगा.

आकाश ने पुलिस को बताया कि फोन करने वाले ने खुद का नाम आर के यादव बताया और उसने कहा कि टेंडर पाने के लिए आपको जल्द ही वेंडर कोड जनरेट करना होगा और उसके लिए निर्धारित शुल्क जमा करने के लिए कहा. थोड़ी देर बाद ही जालसाज ने उनके व्हाट्सएप पर एक क्यूआर कोड भेज उनसे शुल्क जमा करने के लिए कहा. आकाश उनके झांसे में आ गए और ठग के कहे अनुसार 20 मार्च 2024 को अलग-अलग बैंक खातों से 3 लाख 19 हजार ऑनलाइन ट्रांसफर कर दिए. इसके बाद जालसाज ने फोन बंद कर लिया.

शातिर ठग एक कदम रहे आगे

भोपाल साइबर पुलिस ने इस पूरे मामले में जब जांच की तो सहायक पुलिस आयुक्त (साइबर) सुजीत तिवारी ने बताया, '' जालसाजों ने यह पूरी रकम पाने के लिए बैंक ऑफ इंडिया के एक खाते का उपयोग किया और शिकायत के बाद जब इस पूरे मामले में बैंक खाते को होल्ड कराया गया, उससे पहले ही ठगी का यह पूरा पैसा एक अन्य सहकारी बैंक के खाते में ट्रांसफर कर लिया गया. साइबर क्राइम की टीम ने सहकारी बैंक के बारे में जानकारी जुटाकर खाते को फ्रीज कर दिया.

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बैंक को किया कंफ्यूज, क्राइम ब्रांच आईडी बनाकर मेल

साइबर क्राइम ब्रांच की टीम ने जब सहकारी बैंक में ठग का अकाउंट फ्रीज करा दिया तो ठग ने यहां भी जालसाजी की. आरोपियों ने बैंक को कंफ्यूज करने के लिए खुद साइबर क्राइम की मिलती-जुलती ईमेल आईडी से बैंक मैनेजर को खाता अनफ्रीज करने के लिए मेल कर दिया. जब सहकारी बैंक के मैनेजर ने इस पूरे मामले में भोपाल क्राइम ब्रांच से संपर्क किया तो खुलासा हुआ कि आरोपियों ने खाते को अनफ्रीज करने के लिए डीसीपी क्राइम ब्रांच की ईमेल आईडी में एक शब्द का हेर फेर कर खाता अनफ्रीज करने की कोशिश की. भोपाल साइबर क्राइम ने इस पूरे मामले में 8 महीने की जांच के बाद 9 नवंबर को शिकायत दर्ज कर ली है. तकनीकी साक्ष्यों के आधार पर जल्द ही आरोपियों की गिरफ्तारी की जाएगी.

भोपाल : मध्य प्रदेश सरकार की मंत्री कृष्णा गौर के बेटे और पूर्व मुख्यमंत्री रहे स्वर्गीय बाबूलाल गौर के पोते के साथ ठगी का मामला सामने आया है. कृष्णा गौर के बेटे को सायबर ठगों ने लेबर सप्लाई का ठेका दिलाने के नाम पर 3 लाख 19 हजार रुपए की ठगी की है. इस पूरे मामले में भोपाल सायबर क्राइम ब्रांच ने अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शरू कर दी है.

क्या है पूरा मामला?

भोपाल के 74 बंगले में कृष्णा गौर के साथ रहने वाले उनके बेटे आकाश गौर ने साइबर क्राइम को दी अपनी शिकायत में बताया कि 20 मार्च 2024 को सुबह 11:00 से 4:00 बजे के बीच उन्हें प्राइवेट कंपनी में लेबर सप्लाई के टेंडर के लिए फोन आया था. फोन करने वाले ने उनसे पूछा कि आप लेबर सप्लाई का काम करते हैं. आकाश ने इस पर बताया कि वह ठेकेदारी करते हैं. इस पर फोन करने वाले ने कहा कि उन्हें काम का टेंडर मिल जाएगा. इसके लिए क्यूआर कोड पर एक एंट्री करनी होगी और काम अलॉट हो जाएगा.

आकाश ने पुलिस को बताया कि फोन करने वाले ने खुद का नाम आर के यादव बताया और उसने कहा कि टेंडर पाने के लिए आपको जल्द ही वेंडर कोड जनरेट करना होगा और उसके लिए निर्धारित शुल्क जमा करने के लिए कहा. थोड़ी देर बाद ही जालसाज ने उनके व्हाट्सएप पर एक क्यूआर कोड भेज उनसे शुल्क जमा करने के लिए कहा. आकाश उनके झांसे में आ गए और ठग के कहे अनुसार 20 मार्च 2024 को अलग-अलग बैंक खातों से 3 लाख 19 हजार ऑनलाइन ट्रांसफर कर दिए. इसके बाद जालसाज ने फोन बंद कर लिया.

शातिर ठग एक कदम रहे आगे

भोपाल साइबर पुलिस ने इस पूरे मामले में जब जांच की तो सहायक पुलिस आयुक्त (साइबर) सुजीत तिवारी ने बताया, '' जालसाजों ने यह पूरी रकम पाने के लिए बैंक ऑफ इंडिया के एक खाते का उपयोग किया और शिकायत के बाद जब इस पूरे मामले में बैंक खाते को होल्ड कराया गया, उससे पहले ही ठगी का यह पूरा पैसा एक अन्य सहकारी बैंक के खाते में ट्रांसफर कर लिया गया. साइबर क्राइम की टीम ने सहकारी बैंक के बारे में जानकारी जुटाकर खाते को फ्रीज कर दिया.

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साइबर क्राइम ब्रांच की टीम ने जब सहकारी बैंक में ठग का अकाउंट फ्रीज करा दिया तो ठग ने यहां भी जालसाजी की. आरोपियों ने बैंक को कंफ्यूज करने के लिए खुद साइबर क्राइम की मिलती-जुलती ईमेल आईडी से बैंक मैनेजर को खाता अनफ्रीज करने के लिए मेल कर दिया. जब सहकारी बैंक के मैनेजर ने इस पूरे मामले में भोपाल क्राइम ब्रांच से संपर्क किया तो खुलासा हुआ कि आरोपियों ने खाते को अनफ्रीज करने के लिए डीसीपी क्राइम ब्रांच की ईमेल आईडी में एक शब्द का हेर फेर कर खाता अनफ्रीज करने की कोशिश की. भोपाल साइबर क्राइम ने इस पूरे मामले में 8 महीने की जांच के बाद 9 नवंबर को शिकायत दर्ज कर ली है. तकनीकी साक्ष्यों के आधार पर जल्द ही आरोपियों की गिरफ्तारी की जाएगी.

Last Updated : Nov 12, 2024, 11:20 AM IST
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