भोपाल। गौवंश के गोबर से गौकाष्ट, गोबर के दीपक जैसे कई उत्पाद आपने देखे होंगे, लेकिन अब गोबर से वॉल पेंट भी बनकर तैयार हो चुका है. फरीदाबाद के सर्वोदया फाउंडेशन ने एक साल की रिसर्च के बाद इसे तैयार कर मार्केट में उतारा है. भोपाल के मिंटो हॉल में आयोजित गौ रक्षा संवाद में सर्वोदया फाउंडेशन ने भी अपना स्टॉल लगाया है. सर्वोदया के अलावा मध्यप्रदेश के कई संस्थान गोबर और गौ मूत्र से बनने वाले प्रोडक्ट लेकर यहां पहुंचे है और उन्होंने भी अपना स्टॉल लगाया है.
3 माह में 1 करोड़ का बिका गोबर से बना पेंट
सर्वोदया फाउंडेशन द्वारा तैयार किए गए ईकोलॉजिकल ग्रीन पेंट के सेल्स ऑफिसर सौरभ खुराना बताते हैं कि "तीन साल पहले केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने एक कार्यक्रम में गोबर के महत्व को बताते हुई कई तरह के प्रोडक्ट बनाए जाने की संभावनाएं तलाशे जाने की बात कही थी. उन्होंने गोबर से वॉल पेंट बनाए जाने की बात भी कही. इसके बाद फाउंडेशन द्वारा इस दिशा में काम शुरू किया गया. करीब एक साल की रिसर्च के बाद हमने गोबर से पेंट तैयार किया. इसे हम उत्तर प्रदेश के अलावा, दिल्ली, हरियाणा में लांच कर चुके हैं. पिछले तीन माह में 1 करोड़ रुपये का पेंट बिक चुका है".
गोबर से बनाए 45 डेकोरेटिव आइटम्स
भोपाल के नीलबढ़ इलाके के गौकृपा पंचगव्य आयुर्वेद संस्थान के आशीष पाटीदार भी अपने प्रोडक्ट लेकर यहां पहुंचे हैं. उन्होंने गोबर से शिवलिंग, मंदिर, भगवान के झूले, पूजा की थाल, गदा, स्टूल, स्टैंड आदि कई सामान तैयार किए हैं. वे बताते हैं कि "हमने गोबर से 45 अलग-अलग तरह के प्रोडक्ट बनाए हैं. पिछले सालों में गोबर से बने प्रोडक्ट की डिमांड बढ़ी है. गणेश स्थापना के दौरान गोबर से बने गणेश जी की खूब डिमांड होती है. गोबर के प्रोडक्ट तैयारकर उस पर कलर कोटिंग की जाती है, इससे इनकी लाइफ और खूबसूरती और बढ़ जाती है".
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डिमांड बढ़ने से आत्मनिर्भर होंगी गौशालाएं
गोबर प्रोडक्ट के शिल्पकार जितेन्द्र कहते हैं कि वे पिछले 5 साल से गोबर के शिल्प बनाने का काम कर रहे हैं. इसके पहले वह मिट्टी के शिल्प तैयार करते थे. मिट्टी के मुकाबले गोबर से शिल्प तैयार करने में ज्यादा मेहनत लगती है. पिछले सालों में इसकी डिमांड बढ़ी है. बड़े शहरों और विदेशियों को यह प्रोडक्ट खूब लुभाते हैं. ऐसे प्रोडक्ट की डिमांड बढ़ेगी तो गौशालाएं अपने आप आत्मनिर्भर हो जाएंगी.