भोपाल। अपने फैसलों के साथ अपने बयानों से पाकिस्तान तक धमक दे रहे सीएम डॉ मोहन यादव क्या अपनी लंबी लकीर खींचने की राजनीति पर बढ़ रहे हैं. शिवराज के 18 साल के कार्यकाल की छाया से आगे बढ़ते मोहन यादव ने पहले BRTS तोड़े जाने का शिवराज का फैसला पलटा. अब उन्होंने फिर शिवराज का फैसला पलटते हुए राष्ट्र गीत और राष्ट्रगान की तरह मध्यप्रदेश गान में खड़े होने की बाध्यता खत्म कर दी है. क्या मोहन यादव की ये रणनीति ये बताने की कोशिश है कि पार्टी बेशक वही है लेकिन कृपया ध्यान दे लें कि निज़ाम अब बदल चुका है.
शिवराज के फैसलों पर मोहन का भूल सुधार
डॉ मोहन यादव की सरकार में शिवराज सरकार के दौर का ये दूसरा फैसला है जिसे पलट दिया गया. पहले उन्होंने भोपाल में बीआरटीएस हटाए जाने का फैसला किया था. उसके बाद अब मध्यप्रदेश गान को लेकर ये निर्णय दिया कि इसे राष्ट्र गान या राष्ट्रगीत का सम्मान नहीं दिया जा सकता. इसलिए अधिकारियों को अब मध्यप्रदेश गान में खड़े होने की जरुरत नहीं है.
क्या कहते हैं राजनीतिक विश्लेषक
वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक प्रकाश भटनागर के मुताबिक असल में मोहन यादव पिच पर बहुत इत्मीनान से खेल रहे हैं. किसी जल्दी में नहीं है. लेकिन छोटे निर्णय से वो बड़ा संदेश भी दे रहे हैं. मध्यप्रदेश गान का मामला ऐसा ही है. उन्होंने बता दिया है कि दौर बदलता है तो बहुत कुछ बदलता है सोच भी. मोहन यादव ये बता रहे हैं कि अब मैं भी हूं ,बल्कि मैं ही हूं.
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'बीजेपी में तूफान से पहले की शांति'
कांग्रेस की मीडिया विभाग की उपाध्यक्ष संगीता शर्मा कहती हैं इसे बीजेपी सरकार में तूफान के पहले की शांति की तरह देखिए वो इसलिए क्योंकि शिवराज नाराज हैं.बाकी जिन्हें मंत्री बना दिया गया है और जिन्हें नहीं बनाया गया है लोकसभा बाद वो भी बोलेंगे देखते जाइए बीजेपी में आगे-आगे होता है क्या.
मध्यप्रदेश गान क्या है
मध्य प्रदेश गान "सुख का दाता सबका साथी शुभ का यह सन्देश है, माँ की गोद पिता का आश्रय मेरा मध्यप्रदेश है" के रचयिता महेश श्रीवास्तव हैं, जो कि एक वरिष्ठ पत्रकार हैं. इस गाने को हिंदी फ़िल्म जगत के जाने माने पार्श्व गायक शान ने गाया है और इसे सुनील झा ने लयबद्ध किया. पहली बार ये गाना 2010 में गाया गया था. शिवराज सिंह ने सीएम रहते राजकीय गान घोषित कर दिया और उसके बाद हर शासकीय कार्यक्रम में इसे बजाया जाता था और सभी खड़े होते थे. लेकिन अब ये परंपरा खत्म हो चली है.