भोपाल। भोपाल जिला न्यायालय के विशेष न्यायाधीश सीबीआई अरविन्द कुमार शर्मा ने निर्णय सुनाते हुए भारतीय स्टेट बैंक के सहायक महाप्रबंधक जितेन्द्र प्रताप सिंह, उनकी पत्नी किरन सिंह के साथ ही तीन बेटियों अन्वेषा सिंह, गरिमा सिंह, नम्रता सिंह व दामाद समीर सिंह को आय से अधिक सम्पत्ति के प्रकरण में दोषी पाया है. जितेन्द्र प्रताप सिंह को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत 3 वर्ष के कठोर कारावास के साथ ही 32 लाख 22 हजार जुर्माना अदा करना होगा. जुर्माना अदा नहीं करने पर 3 माह अतिरिक्त कारावास की सजा होगी.
एजीएम के साथ ही पत्नी व बेटियों को भी सजा
जितेंद्र की पत्नी और तीन बेटियों के साथ ही दामाद को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 के तहत 1-1 वर्ष के कठोर कारावास और प्रत्येक पर 25 हजार जुर्माना लगाया है. जुर्माना नहीं देने पर 01 माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा. सीबीआई की ओर से अभियोजन की कार्रवाई डॉ.मनफूल बिश्नोई ने की. मामले के अनुसार सीबीआई और एसीबी भोपाल ने जितेन्द्र प्रताप सिंह सहित इन लोगों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 के तहत आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज किया था.
भ्रष्टाचार के मामले में ऐसे चली सालोंसाल सुनवाई
उस समय इनके घर की तलाशी के दौरान सीबीआई को चल-अचल सम्पत्ति के दस्तावेज, सोने-चांदी के जेवरात, कई एफडी व आरडी के साथ ही कई बैंक खातों के दस्तावेज मिले थे. सीबीआई ने वर्ष 2007 में विशेष न्यायाधीश सीबीआई भोपाल के समक्ष अभियोग पत्र प्रस्तुत किया था. सीबीआई के अनुसार जितेन्द्र प्रताप सिंह ने 37 लाख से अधिक अनुपातहीन संपत्ति बनाई.
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मुख्य आरोपी को पूरे परिवार ने दिया बढ़ावा
जितेन्द्र प्रताप को इस अवैध काम के लिए उनकी पत्नी और बेटियों ने प्रोत्साहित किया. सीबीआई ने इस मामले में 94 गवाहों को कोर्ट में पेश किया. वहीं, आरोपियों ने भी अपने बचाव में 15 गवाहों को पेश किया. आरोप है कि जितेन्द्र प्रताप सिंह के साथ ही इन लोगों ने भारतीय स्टेट बैंक की भोपाल स्थित विभिन्न शाखाओं में बोगस खाते भी खोले.