भोपाल। चुनाव लड़ने की वजह क्राइम और करप्शन फ्री भारत भोपाल के साथ वाराणसी जहां एमपी के पूर्व आईपीएस अधिकारी मैथिलीशरण गुप्त पीएम मोदी के मुकाबले में उतरने की तैयारी में है. दावा ये कि अगर वे चुनाव जीत गए तो पूरा सिस्टम बदल डालेंगे. बिना थाने जाए एफआईआर दर्ज हो जाएगी. 30 दिन में अपराधी को सजा. किसान बिना लोन लिए खेती बाड़ी करेगा. सही समय पर सही निर्णय नहीं लेने वाले जिम्मेदार अदिकारी को लाखों रुपए जुर्माने की विधिक व्यवस्था होगी. भोपाल में गुब्बारा चुनाव चिन्ह से लोकसभा के मैदान में उतरे मैथिली शरण गुप्त राजधानी के सबसे अमीर प्रत्याशी हैं. वोट मांगने का तरीका भी उनका दिलचस्प है.
वे सभा रैली नहीं बल्कि एक कप चाय पिलाओ और अपने बच्चों की जिंदगी संवारने के अभियान में जुट जाओ. ऑफर ये भी है कि इनसे जोड़कर कोई शख्स अगर सौ लोग जोड़ सकता है, तो वो भी इनकी तरह नामांकन दाखिल कर सकता है. निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरे मैथिलीशरण गुप्त ने मोदी के खिलाफ चुनाव मैदान में उतरने का प्लान क्यों बनाया. कैसे होगा करप्शन और क्राइम फ्री भारत. क्या पूर्व आईपीएस का फार्मूला ईटीवी भारत से गुप्त ने खास बातचीत की.
मोदी से मुकाबला क्यों, राजनीति में आने का मकसद क्या
2020 में एमपी पुलिस विभाग में स्पेशल डीजी के पद से रिटायर हुए पूर्व आईपीएस अफसर मैथिलीशरण गुप्त एक साथ तीन सीटों पर चनाव लड़ने की तैयारी कर चुके हैं. भोपाल से नामाकंन दाखिल कर दिया. दूसरा वाराणसी होगा. जहां वे मोदी के निर्वाचन क्षेत्र में अपनी किस्मत आजमाएंगे और तीसरी सीट संभावित झांसी है. गुप्त क्राइम और करप्शन फ्री भारत की परिकल्पना पर फार्मूले के साथ काम कर रहे हैं. फिलहाल निर्दलीय अकेले ही चुनाव में मैदान में हैं. भोपाल में चुनाव चिन्ह गुब्बारा मिला है, लेकिन रणनीति ये है कि उनके अभियान से जुड़ कर कोई भी शख्स जो 100 लोगों का समर्थन जुटा ले, वो नामांकन दाखिल कर दे. इसमें जो सबसे ज्यादा सदस्य जुड़ेगा, उसके समर्थन में बाकी अपना नाम वापिस ले लेंगे. गुप्त कहते हैं जो सबसे ज्यादा समर्थकों के साथ चुनाव मैदान में होगा, उसका केन्द्रीय मंत्री बनना तय है.
ऐसे सिस्टम के पेंच कसेंगे पूर्व आईपीएस
तो सवाल ये कि चुनाव मैदान में उतरे पूर्व आईपीएस के मुद्दे क्या हैं, गुप्त कहते हैं सबसे पहले मैं अंग्रेजों के जमाने से चला रहा कानून बदलूंगा. वैसे तो हमारे 21 पाइंट हैं, लेकिन जो पांच प्रमुख पाइंट है, उनमें रोजगार संवैधानिक अधिकार का हिस्सा होगा. बिना थाने जाए एफआईआर हो जाए ये व्यवस्था की जाएगी. अधिकतम पंद्रह दिन में चालान पेश होगा. अधिकतम तीस दिन में सजा और जिममेदारों की जवाबदेही तय होगी. जो सही समय पर अधिकारी सही निर्णय नहीं लेगा उसको जुर्माना भरना होगा. गुप्त कहते हैं देश के नागरिक की न्यूनतम क्रय शक्ति दो लाख रुपए होगी.
एकला चलो से कैसे बदलेगा भारत
गुप्त कहते हैं ये सही है कि अभी सिर्फ में अपने इस कॉन्सेप्ट को लेकर चुनाव मैदान में हूं, लेकिन अगर हमारे अभियान को सफलता मिलती गई तो पूरा भारत मेरे साथ खड़ा होगा. सिर्फ भारत के भविष्य के लिए इस अभियान से जुड़ने की देर है. वे कहते हैं 'मैं मोदी जी की सम्मान करता हूं. मैं उनके मुकाबल में वारणसी से चुनाव लड़ने नहीं जा रहा. मैं लड़ रहा हूं क्योंकि वाराणसी से चुनाव लड़ने के बाद मै अपने अभियान के साथ लोगों की नजर में आ जाऊंगा.