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भिवानी की बेटियों ने पिता की अर्थी को दिया कंधा, दो बहनों ने दी मुखाग्नि, पूरा गांव हुआ भावुक - BHIWANI DAUGHTERS CREMATED FATHER

भिवानी की 7 बेटियों ने पिता की अर्थी को कंधा दिया. दो बहनों ने पिता को मुखाग्नि दी. दृश्य देख पूरा गांव भावुक हो गया.

daughters Cremated Their Father
भिवानी की बेटियों ने पिता की अर्थी को दिया कंधा (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Jan 8, 2025, 2:38 PM IST

भिवानी: कहते हैं कि पिता के अर्थी को कंधा देने और मुखाग्नि देने का काम एक बेटा ही कर सकता है. हालांकि समय के साथ-साथ लोगों की सोच भी बदल रही है. इसका जीता-जागता उदाहरण है भिवानी जिले की 7 बेटियां. जिले की इन सात बेटियों ने अपने पिता की अर्थी को कंधा दिया. इसके बाद दो बेटियों ने पिता को मुखाग्नि दी. ये दृश्य देख हर कोई भावुक हो गया. लोगों की भीड़ इन बेटियों को देखने के लिए उमड़ पड़ी.

7 बहनों ने पिता को दिया कंधा: दरअसल जिले के सिवानी पास के गांव कालोद के नंबरदार उजागर सिंह का निधन हो गया. वो 75 साल के थे. पिछले कई दिनों से वो बीमार थे. उजागर सिंह ने एक निजी अस्पताल में अंतिम सांस ली. उजागर सिंह की सात बेटियां है, जिन्होंने अपने पिता उजागर सिंह के निधन के बाद उनको कंधा दिया. उजागर सिंह की बेटी सुमन ने बताया कि "उनके पिता की अंतिम इच्छी यही थी कि उनकी बेटियां उन्हें कंधा दे. यही कारण है कि सभी बहनों ने मिलकर पिता की अर्थी को कंधा दिया. इसके बाद दो बहनों ने पिता को मुखाग्नि दी.

बेटियों ने पिता की अर्थी को दिया कंधा (ETV Bharat)

"मेरे पिता 15 अगस्त और 26 जनवरी को स्कूल में बच्चों को देश भक्ति का भाषण देते थे. वे हमेशा स्कूल में जाकर बच्चों को पढ़ने के लिए प्रेरित करते थे. वो कहते थे कि किताबों में झुके सिर हमेशा पूरी जिंदगी उठे रहेंगे. मेरे पिता हमेशा हम सभी बहनों को बेटा कहा कर पुकारते थे. वो बेटियों की पढ़ाई को बढ़ावा देते थे. यही कारण है कि हम सब बहनें पढ़ी लिखी हैं. उनकी इच्छा थी कि उनके अर्थी को हम बहनें कंधा दे." - सुमन

सभी बहनें है पढ़ी-लिखी: उजागर सिंह की बेटी सुमन हिन्दी प्राध्यापिका हैं. उनकी छोटी बेटी पूनम हरियाणा पुलिस में कार्यरत हैं. इसके अलावा मैना, राजेश, इंदु, बबीता, पूनम, सुनीता भी पढ़ी-लिखी हैं. सुमन ने बताया कि, "मैंनें एमए, एमफिल बीएड, नैट क्वालीफाई किया है. मेरे पिता फौज में थे. फौज के बाद वे गांव आकर नंबरदार बन गए थे. पिता न्याय प्रिय थे. वो हमेशा सच्चाई का साथ देने वाले और देश भक्त थे. उन्होंने गांव में रहते हुए लोगों को न्याय दिलाने का काम किया. जरुरत मंदो की मदद की."

बता दें कि भिवानी की इन बेटियों ने एक मिसाल पेश की है. साथ ही इनकी हर ओर चर्चा हो रही है. हर कोई इन बेटियों की तारीफ करते नहीं थक रहे.

ये भी पढ़ें: बेटा नहीं था तो 4 बेटियों ने दिया मां की अर्थी को कंधा, खुद ही किया अंतिम संस्कार

भिवानी: कहते हैं कि पिता के अर्थी को कंधा देने और मुखाग्नि देने का काम एक बेटा ही कर सकता है. हालांकि समय के साथ-साथ लोगों की सोच भी बदल रही है. इसका जीता-जागता उदाहरण है भिवानी जिले की 7 बेटियां. जिले की इन सात बेटियों ने अपने पिता की अर्थी को कंधा दिया. इसके बाद दो बेटियों ने पिता को मुखाग्नि दी. ये दृश्य देख हर कोई भावुक हो गया. लोगों की भीड़ इन बेटियों को देखने के लिए उमड़ पड़ी.

7 बहनों ने पिता को दिया कंधा: दरअसल जिले के सिवानी पास के गांव कालोद के नंबरदार उजागर सिंह का निधन हो गया. वो 75 साल के थे. पिछले कई दिनों से वो बीमार थे. उजागर सिंह ने एक निजी अस्पताल में अंतिम सांस ली. उजागर सिंह की सात बेटियां है, जिन्होंने अपने पिता उजागर सिंह के निधन के बाद उनको कंधा दिया. उजागर सिंह की बेटी सुमन ने बताया कि "उनके पिता की अंतिम इच्छी यही थी कि उनकी बेटियां उन्हें कंधा दे. यही कारण है कि सभी बहनों ने मिलकर पिता की अर्थी को कंधा दिया. इसके बाद दो बहनों ने पिता को मुखाग्नि दी.

बेटियों ने पिता की अर्थी को दिया कंधा (ETV Bharat)

"मेरे पिता 15 अगस्त और 26 जनवरी को स्कूल में बच्चों को देश भक्ति का भाषण देते थे. वे हमेशा स्कूल में जाकर बच्चों को पढ़ने के लिए प्रेरित करते थे. वो कहते थे कि किताबों में झुके सिर हमेशा पूरी जिंदगी उठे रहेंगे. मेरे पिता हमेशा हम सभी बहनों को बेटा कहा कर पुकारते थे. वो बेटियों की पढ़ाई को बढ़ावा देते थे. यही कारण है कि हम सब बहनें पढ़ी लिखी हैं. उनकी इच्छा थी कि उनके अर्थी को हम बहनें कंधा दे." - सुमन

सभी बहनें है पढ़ी-लिखी: उजागर सिंह की बेटी सुमन हिन्दी प्राध्यापिका हैं. उनकी छोटी बेटी पूनम हरियाणा पुलिस में कार्यरत हैं. इसके अलावा मैना, राजेश, इंदु, बबीता, पूनम, सुनीता भी पढ़ी-लिखी हैं. सुमन ने बताया कि, "मैंनें एमए, एमफिल बीएड, नैट क्वालीफाई किया है. मेरे पिता फौज में थे. फौज के बाद वे गांव आकर नंबरदार बन गए थे. पिता न्याय प्रिय थे. वो हमेशा सच्चाई का साथ देने वाले और देश भक्त थे. उन्होंने गांव में रहते हुए लोगों को न्याय दिलाने का काम किया. जरुरत मंदो की मदद की."

बता दें कि भिवानी की इन बेटियों ने एक मिसाल पेश की है. साथ ही इनकी हर ओर चर्चा हो रही है. हर कोई इन बेटियों की तारीफ करते नहीं थक रहे.

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