भिवानी: अब लोग हनुमान चालीसा को रोमन भाषा में भी पढ़ सकेंगे. शिक्षा और अंग्रेजी साहित्य के क्षेत्र में जाने-पहचाने नाम डॉक्टर सतीश आर्य ने 3 भाषाओं में हनुमान चालीसा का अनुवाद किया है. साहित्य के क्षेत्र में ख्याति प्राप्त कर चुके भिवानी के डॉक्टर सतीश आर्य ने कमाल किया है. उन्होंने एक साल की कड़ी मेहनत के बाद ये काम किया है. उन्होंने हनुमान चालीसा को बड़े ही सुंदर ढंग से हिंदी, रोमन और अंग्रेजी लिपि में ट्रांसलेट किया है.
हनुमान चालीसा को ट्रांसलेट कर उन्होंने इस किताब को आमजन के लिए उपलब्ध करवाया है. डॉक्टर सतीश आर्य ने बताया कि उनका पौत्र विदेश में रहता है. वो हिंदी कम जानता है. हनुमान चालीसा उसे कैसे सिखाई जाए, इसी ख्याल ने इस पुस्तक को ट्रांसलेट करने के लिए प्रेरित किया. उन्होंने कहा कि हनुमान चालीसा हिंदू धर्म का विलक्षण ग्रंथ है. हनुमान विश्व भर में सबसे निराले देवता हैं. तुलसीदास जी ने हनुमान के गुणों की बड़े ही बखूबी ढंग से व्याख्या की है.
अपनी पुस्तक के बारे में डॉक्टर सतीश ने बताया कि पुस्तक के अंदर उन्होंने हिंदी का मूल दोहा लिखा है. उसके बाद उसे रोमन लिपि में अनुवादित कर दोहे का अंग्रेजी अनुवाद और बाद में दोहे की पूरी व्याख्या रचित की है. उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हनुमान जी का पूरा परिचय करना. इस पुस्तक का मुख्य लक्ष्य है. पुस्तक में गोस्वामी तुलसीदास और हनुमान जी पर एक लेख भी प्रकाशित किया गया है.
हिंदी नामों और सिद्धांतों की भी पुस्तक में संक्षिप्त व्याख्या की गई है. जैसे कि अधर्म, आस्था, असुर, आत्मा, बजरंगी, भक्ति, चालीसा, चौपाई, दोहा, गुरु, पाप, ऋषि, तपस्वी जैसे कई शब्द केवल हिंदू धर्म में हिंदी लिपि में ही इस्तेमाल होते हैं. उन्होंने कहा कि इस पुस्तक के जरिए विश्वभर के लोग अब हनुमान चालीसा को पढ़ सकेंगे और हनुमान जी के बारे में जान सकेंगे.