लखनऊः भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय ने सत्र 2024-25 में कई बदलाव देखने को मिलने वाले हैं. विश्वविद्यालय प्रशासन कई वर्षों से बंद विषयों को फिर शुरू करने के साथ ही नई विशेष व्यवस्थाएं भी लागू करने जा रहा है. विश्वविद्यालय प्रशासन पिछले कुछ सालों से बंद मणिपुरी नृत्य, पखावज, सारंगी और सरोद में डिग्री कोर्स को इस सत्र से फिर से शुरू कर रहा है. इस सत्र में प्रवेश लेने वालों को फीस में विश्वविद्यालय प्रशासन की तरफ से 50% की छूट भी दी जा रही है.
विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि आजकल के युवाओं में वेस्टर्न म्यूजिक को लेकर क्रेज काफी तेजी से बढ़ा है. साथ ही वह भारतीय संगीत परंपरा से जुड़े वाद्य यंत्रों के स्थान पर नए वेस्टर्न म्यूजिक इंस्ट्रूमेंट को बजाना और सीखना पसंद करते हैं. जबकि हमारे पुराने वाद्य यंत्रों को लेकर रुचि लगातार घटती जा रही है.
विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि भारतीय संस्कृत महत्व को देखते हुए हमारे पुराने वाद्य यंत्रों को जीवित रखने के लिए दोबारा से विश्वविद्यालय प्रशासन इन सभी वाद्य यंत्रों में दोबारा से पढ़ाई शुरू करेगा. इससे हमारी म्यूजिक इंडस्ट्री के साथ-साथ देश और दुनिया में भी भारतीय संगीत को आगे ले जाया जा सके.
विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर मांडवी सिंह ने बताया कि भातखंडे विश्वविद्यालय पूरे देश का अकेला ऐसा विश्वविद्यालय है, जहां पर पखावज, सरोज और सारंगी जैसे वाद्य यंत्रों में डिग्री कोर्स करवाया जाता था. लेकिन कुछ साल पहले किसी कारणवश इन विषयों को बंद कर दिया गया था. अब नए सत्र से एक बार फिर से इनको शुरू किया जा रहा है. इसके अलावा विश्वविद्यालय में मणिपुरी नृत्य का कोर्स भी एक समय काफी प्रसिद्ध था. हमारा प्रयास है कि फिर से इन सभी कोर्सों को शुरू किया जाए.
इन कोर्सों के लिए विश्वविद्यालय में फैकल्टी भी मौजूद है. इस वर्ष इन कोर्सों में प्रवेश के लिए सीटों की संख्या और फीस की डिटेल जल्द ही जारी किया जाएगा. बात करने विश्वविद्यालय ने अपने बैचलर आफ परफॉर्मिंग आर्ट्स और मास्टर आफ परफॉर्मिंग आर्ट सहित और विषयों के लिए आवेदन की प्रक्रिया शुरू कर चुका है. जिसमें विश्वविद्यालय संगीत व वाद्य यंत्रों से जुड़े विभिन्न कोर्सों के लिए ऑनलाइन व ऑफलाइन आवेदन दोनों ले रहा है.
विशेष बच्चों के लिए स्पेशल क्लासेस बिना लिखित परीक्षा दिए होंगे पास: कुलपति ने बताया कि हम विशेष बच्चों जो देखा और सुन नहीं सकते हैं, आर्टिजम जैसी बीमारी से ग्रसित है, उनके लिए विशेष डिप्लोमा कोर्स भी शुरू करने जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय इसके लिए ऐसी व्यवस्था बना रहा है, जिसमें लिखित परीक्षा न देनी पड़े. केवल प्रयोगात्मक परीक्षा के जरिए ही उन्हें डिप्लोमा प्रदान किया जाए.
ऐसे विद्यार्थी सामान स्टूडेंट के साथ असहज होते हैं. ऐसे में यह विचार किया जा रहा है कि उनके लिए विशेष व्यवस्था की जाए. इस व्यवस्था को इसी सत्र से लागू किया जा सके. इसके लिए रूपरेखा तैयार की जा रही है. इन बच्चों को विशेष तरह से तैयार कोर्स पढ़कर उनकी सहूलियत के आधार पर परीक्षा ली जाएगी और उन्हें डिप्लोमा प्रदान किया जाएगा.