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भरतपुर का रहस्य वाला भीम पहाड़, पांडवों और कुंती के निशानियों का है गवाह ! - Bharatpur mysterious Bhima Pahad - BHARATPUR MYSTERIOUS BHIMA PAHAD

भरतपुर का रहस्यमयी भीम पहाड़ मसौरा गांव में स्थित है. यह स्थान रहस्यों से भरा है. महाभारत काल से इस पहाड़ को लेकर कई तरह की कहानियां प्रचलित है. इस खबर से यह जानने की कोशिश करते हैं कि इस पहाड़ का पांडवों और कुंती से क्या कनेक्शन है.?

Bharatpur mysterious Bhima mountain
भरतपुर का रहस्यमयी भीम पहाड़ (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Sep 13, 2024, 4:47 PM IST

आज भी रहस्य है कुंती का स्वप्नदोष (ETV Bharat)

मनेन्द्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर: एमसीबी जिले के भरतपुर विकासखंड का मसौरा गांव ऐतिहासिक धरोहर का केंद्र है. यहां स्थित भीम पहाड़ अपनी प्राकृतिक सुंदरता और रहस्यमय कहानियों के लिए प्रसिद्ध है. यह स्थान अद्भुत जड़ी-बूटियों और वनस्पतियों से घिरा हुआ है, जो पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है. साथ ही पहाड़ पर भगवान शंकर की प्राचीन मूर्ति और भीम के पदचिन्ह इस स्थान को और भी विशिष्ट बनाते हैं.

पांडवों के पदचिन्ह और अज्ञातवास की कथा: कहा जाता है कि महाभारत काल में जब पांडव अज्ञातवास पर थे, तब वे इस पहाड़ से गुजरे थे. उस दौरान यहां विश्राम भी किया था. यह पौराणिक कथा इस क्षेत्र की प्रमुख पहचान है. स्थानीय लोगों का कहना है कि भीम ने यहां अपने पैरों के निशान छोड़े थे, जो कि आज भी मौजूद है. भीम के एक पैर का निशान इस पहाड़ पर है, जबकि दूसरा किसी और पहाड़ पर है.

कुंती के सपनों की रहस्यमयी कथा: भीम पहाड़ केवल पांडवों के पदचिन्हों के लिए ही नहीं, बल्कि कुंती के साथ जुड़ी एक अद्भुत घटना के लिए भी चर्चा में है. इस बारे में पंडित राम शरण शास्त्री का कहना है कि, "द्वापर युग में पांडव जब अपनी मां कुंती के साथ इस क्षेत्र में आए थे, तो यह स्थान श्रापित माना जाता था. कुंती को यहां स्वप्न दोष और कामदेव द्वारा सताए जाने की समस्या हो गई थी."

"रात के समय कुंती अक्सर अचानक उठकर बैठ जाती थीं और अर्जुन उन्हें श्रीकृष्ण के चरित्र का वर्णन करके शांत करते थे. इस समस्या से निपटने के लिए पांडव पांच दिनों तक यहां रुके रहे. यहां की मिट्टी और वातावरण में कुछ रहस्यमयी ताकतें थीं, जो कुंती को रात के समय परेशान करती थीं, लेकिन जैसे ही पांडव आगे बढ़े, कुंती की यह समस्या भी समाप्त हो गई." - राम शरण शास्त्री, पंडित

आज भी बना हुआ है रहस्य: इस बारे में स्थानीय कन्हैया लाल उपाध्याय कहते हैं कि, "भीम पहाड़ पर स्थित गुफाओं में पांडवों ने कुछ समय तक शरण ली थी. हर रात कुंती माता ठीक 12 बजे उठकर बैठ जाती थीं. अर्जुन उनकी चिंता दूर करने के लिए भगवान श्रीकृष्ण की कथाओं का वर्णन करते थे."

कुंती के स्वप्नदोष का रहस्य: मसौरा गांव का ये पहाड़ न केवल अपनी प्राकृतिक सुंदरता बल्कि धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है. यहां की ऐतिहासिक और पौराणिक घटनाएं इसे और भी रहस्यमयी बनाती हैं. आज भी इस पहाड़ से जुड़ी कुंती माता के स्वप्नदोष की कहानी लोगों को अचंभित करती है. आखिर वह कौन सी शक्ति थी, जो कुंती को इस पहाड़ पर रात में सोने नहीं देती थी? ये सवाल आज भी रहस्य बना हुआ है.

बता दें कि इस रहस्यमयी पहाड़ को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं. ये क्षेत्र पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र है.

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पांडवों के पदचिन्ह और अज्ञातवास की कथा: कहा जाता है कि महाभारत काल में जब पांडव अज्ञातवास पर थे, तब वे इस पहाड़ से गुजरे थे. उस दौरान यहां विश्राम भी किया था. यह पौराणिक कथा इस क्षेत्र की प्रमुख पहचान है. स्थानीय लोगों का कहना है कि भीम ने यहां अपने पैरों के निशान छोड़े थे, जो कि आज भी मौजूद है. भीम के एक पैर का निशान इस पहाड़ पर है, जबकि दूसरा किसी और पहाड़ पर है.

कुंती के सपनों की रहस्यमयी कथा: भीम पहाड़ केवल पांडवों के पदचिन्हों के लिए ही नहीं, बल्कि कुंती के साथ जुड़ी एक अद्भुत घटना के लिए भी चर्चा में है. इस बारे में पंडित राम शरण शास्त्री का कहना है कि, "द्वापर युग में पांडव जब अपनी मां कुंती के साथ इस क्षेत्र में आए थे, तो यह स्थान श्रापित माना जाता था. कुंती को यहां स्वप्न दोष और कामदेव द्वारा सताए जाने की समस्या हो गई थी."

"रात के समय कुंती अक्सर अचानक उठकर बैठ जाती थीं और अर्जुन उन्हें श्रीकृष्ण के चरित्र का वर्णन करके शांत करते थे. इस समस्या से निपटने के लिए पांडव पांच दिनों तक यहां रुके रहे. यहां की मिट्टी और वातावरण में कुछ रहस्यमयी ताकतें थीं, जो कुंती को रात के समय परेशान करती थीं, लेकिन जैसे ही पांडव आगे बढ़े, कुंती की यह समस्या भी समाप्त हो गई." - राम शरण शास्त्री, पंडित

आज भी बना हुआ है रहस्य: इस बारे में स्थानीय कन्हैया लाल उपाध्याय कहते हैं कि, "भीम पहाड़ पर स्थित गुफाओं में पांडवों ने कुछ समय तक शरण ली थी. हर रात कुंती माता ठीक 12 बजे उठकर बैठ जाती थीं. अर्जुन उनकी चिंता दूर करने के लिए भगवान श्रीकृष्ण की कथाओं का वर्णन करते थे."

कुंती के स्वप्नदोष का रहस्य: मसौरा गांव का ये पहाड़ न केवल अपनी प्राकृतिक सुंदरता बल्कि धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है. यहां की ऐतिहासिक और पौराणिक घटनाएं इसे और भी रहस्यमयी बनाती हैं. आज भी इस पहाड़ से जुड़ी कुंती माता के स्वप्नदोष की कहानी लोगों को अचंभित करती है. आखिर वह कौन सी शक्ति थी, जो कुंती को इस पहाड़ पर रात में सोने नहीं देती थी? ये सवाल आज भी रहस्य बना हुआ है.

बता दें कि इस रहस्यमयी पहाड़ को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं. ये क्षेत्र पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र है.

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