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तीन महीने की मेहनत से तैयार हुआ एकल नाटक, प्रस्तुति ने मोह लिया दर्शकों का मन

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Jan 25, 2024, 2:02 PM IST

Bharatmuni Rang Utsav: दिल्ली में साहित्य कला परिषद द्वारा 4 दिवसीय भरतमुनि रंग उत्सव का आयोजन किया जा रहा है. जिसका बुधवार को तीसरा दिन था. प्रस्तुतियों में एक कप चाय, धूप का एक टुकड़ा, बारिश और जेबकतरा का मंचन हुआ.

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3 महीने की मेहनत से तैयार हुआ एकल नाटक

नई दिल्ली: अगर आप नाटक प्रेमी हैं, तो आपने अपने जीवन में कई नाटक देखे होंगे. किसी भी नाटक में एक टीम द्वारा मंचन किया जाता है. लेकिन एकल नाटक करना कोई आसान काम नहीं. इसमें केवल मंचन ही नहीं बल्कि दर्शकों का मन मोहना बेहद जरूरी है. ऐसे ही उभरी हुई एक कलाकार हैं सूचि. उन्होंने अपने मंचन के दौरान दर्शकों को पलक झपकाने तक का मौका नहीं दिया. उनकी प्रस्तुति दर्शकों द्वारा खूब पसंद की गई.

सूचि ने बताया कि उन्होंने स्कूली शिक्षा के समय से नाटकों का मंचन करना शुरू कर दिया था. अब इस सफ़र को 8 वर्ष बीत चुके हैं. वह इस वक्त थिएटर के क्षेत्र में मास्टर की डिग्री ले रही हैं. 'एक कप चाय' नाटक कारावास में सजा काट रही महिलाओं की कहानी पर आधारित है. इस नाटक में यह दिखाने की कोशिश की गई है कि वो जेल में किन किन परिस्थितियों से गुजरती हैं? कई बार ऐसा होता है कि महिलाएं पुरुषों की गलतियों के कारण जेल में पहुंचती हैं. उनको अनेक अत्याचार झेलने पड़ते हैं. इसी के ऊपर आधारित है 'एक कप चाय' नाटक.

बोल्ड डायलॉग के साथ प्रस्तुत हुआ नाटक: सूचि ने बताया कि जब वह इस नाटक को पढ़ रही थीं, तो उनके मन में भी आया कि इसमें बहुत बोल्ड डायलॉग्स हैं. यह नाटक 40 मिनट का है. लेकिन एक बेहरतीन थिएटर आर्टिस्ट वही होता है, जो नाटक के सही प्रारूप को दर्शकों के सामने प्रस्तुत कर पाए. जीवन की जो सच्चाई है, उसका प्रस्तुतिकरण जरूरी है. कारावास में सजा काटने वाली महिलाओं का जीवन एक ऐसा विषय है, जिसको कभी उजागर नहीं किया जाता है. सभी का ध्यान केवल पुरुष कैदियों पर होता है. इस नाटक में कई बोल्ड डायलॉग थे. लेकिन एक बार पढ़ने के बाद सारी हिचकिचाहट दूर हो जाती है.

3 महीने की मेहनत और लगन के बाद तैयार हुआ नाटक: सूचि ने बताया कि लगभग 3 महीने की मेहनत के आधार नाटक के मंचन को तैयार किया गया है. सबसे अहम नाटक को समझना है. इसके बाद फिर डायलॉग को याद करना, फिर एक महीने की रिहर्सल के बाद पूरी तरह से नाटक का मंचन तैयार किया गया.

थिएटर में शब्दों का सही उच्चारण बेहद जरूरी: सूचि ने बताया कि थिएटर में शब्दों का सही उच्चारण बेहद जरूरी है, ताकि सही डायलॉग डिलीवर हो सके. इसके लिए उनको विशेष परीक्षण दिया जाता है. इसमें सबसे अहम है ॐ का उच्चारण. इससे शब्दों के उच्चारण के सभी स्वर शुद्ध हो जाते हैं. इसके अलावा हिंदी वर्णमाला के एक-एक अक्षर को लगातार, सही और तेज आवाज में उच्चारण करना है. हर किरदार की अपनी अलग भूमिका होती है. इसके हिसाब से ही वहां अपने डायलॉग्स को तैयार करता है.

'एक कप चाय' कहानी का नाट्य रूपांतरण निर्देशन राजेश तिवारी द्वारा किया गया है. उन्होंने बताया कि यह नाटक डॉ. किरण सिंह द्वारा लिखा गया है. बता दें कि साहित्य कला परिषद द्वारा 4 दिवसीय भरतमुनि रंग उत्सव का आज तीसरा दिन था. गुरूवार की प्रस्तुतियों में एक कप चाय, धूप का एक टुकड़ा, बारिश और जेबकतरा का मंचन हुआ.

3 महीने की मेहनत से तैयार हुआ एकल नाटक

नई दिल्ली: अगर आप नाटक प्रेमी हैं, तो आपने अपने जीवन में कई नाटक देखे होंगे. किसी भी नाटक में एक टीम द्वारा मंचन किया जाता है. लेकिन एकल नाटक करना कोई आसान काम नहीं. इसमें केवल मंचन ही नहीं बल्कि दर्शकों का मन मोहना बेहद जरूरी है. ऐसे ही उभरी हुई एक कलाकार हैं सूचि. उन्होंने अपने मंचन के दौरान दर्शकों को पलक झपकाने तक का मौका नहीं दिया. उनकी प्रस्तुति दर्शकों द्वारा खूब पसंद की गई.

सूचि ने बताया कि उन्होंने स्कूली शिक्षा के समय से नाटकों का मंचन करना शुरू कर दिया था. अब इस सफ़र को 8 वर्ष बीत चुके हैं. वह इस वक्त थिएटर के क्षेत्र में मास्टर की डिग्री ले रही हैं. 'एक कप चाय' नाटक कारावास में सजा काट रही महिलाओं की कहानी पर आधारित है. इस नाटक में यह दिखाने की कोशिश की गई है कि वो जेल में किन किन परिस्थितियों से गुजरती हैं? कई बार ऐसा होता है कि महिलाएं पुरुषों की गलतियों के कारण जेल में पहुंचती हैं. उनको अनेक अत्याचार झेलने पड़ते हैं. इसी के ऊपर आधारित है 'एक कप चाय' नाटक.

बोल्ड डायलॉग के साथ प्रस्तुत हुआ नाटक: सूचि ने बताया कि जब वह इस नाटक को पढ़ रही थीं, तो उनके मन में भी आया कि इसमें बहुत बोल्ड डायलॉग्स हैं. यह नाटक 40 मिनट का है. लेकिन एक बेहरतीन थिएटर आर्टिस्ट वही होता है, जो नाटक के सही प्रारूप को दर्शकों के सामने प्रस्तुत कर पाए. जीवन की जो सच्चाई है, उसका प्रस्तुतिकरण जरूरी है. कारावास में सजा काटने वाली महिलाओं का जीवन एक ऐसा विषय है, जिसको कभी उजागर नहीं किया जाता है. सभी का ध्यान केवल पुरुष कैदियों पर होता है. इस नाटक में कई बोल्ड डायलॉग थे. लेकिन एक बार पढ़ने के बाद सारी हिचकिचाहट दूर हो जाती है.

3 महीने की मेहनत और लगन के बाद तैयार हुआ नाटक: सूचि ने बताया कि लगभग 3 महीने की मेहनत के आधार नाटक के मंचन को तैयार किया गया है. सबसे अहम नाटक को समझना है. इसके बाद फिर डायलॉग को याद करना, फिर एक महीने की रिहर्सल के बाद पूरी तरह से नाटक का मंचन तैयार किया गया.

थिएटर में शब्दों का सही उच्चारण बेहद जरूरी: सूचि ने बताया कि थिएटर में शब्दों का सही उच्चारण बेहद जरूरी है, ताकि सही डायलॉग डिलीवर हो सके. इसके लिए उनको विशेष परीक्षण दिया जाता है. इसमें सबसे अहम है ॐ का उच्चारण. इससे शब्दों के उच्चारण के सभी स्वर शुद्ध हो जाते हैं. इसके अलावा हिंदी वर्णमाला के एक-एक अक्षर को लगातार, सही और तेज आवाज में उच्चारण करना है. हर किरदार की अपनी अलग भूमिका होती है. इसके हिसाब से ही वहां अपने डायलॉग्स को तैयार करता है.

'एक कप चाय' कहानी का नाट्य रूपांतरण निर्देशन राजेश तिवारी द्वारा किया गया है. उन्होंने बताया कि यह नाटक डॉ. किरण सिंह द्वारा लिखा गया है. बता दें कि साहित्य कला परिषद द्वारा 4 दिवसीय भरतमुनि रंग उत्सव का आज तीसरा दिन था. गुरूवार की प्रस्तुतियों में एक कप चाय, धूप का एक टुकड़ा, बारिश और जेबकतरा का मंचन हुआ.

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