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जुनून हो तो ऐसाः 1 लाख पौधे लगाने के लिए 25 बीघा जमीन में बना दी कृत्रिम झील, 2 किलोमीटर का कैनाल भी बनाया - Artificial lake in kuchamancity

कुचामनसिटी में पानी की कमी को दूर करने और निजी जमीन पर 1 लाख पौधे लगाने के लक्ष्य को पूरा करने के लिए जिद और जुनून के चलते एक भामाशाह ने कृत्रिम झील बना दी. झील को प्रदेश में वाटर हार्वेस्टिंग का सबसे बड़ा उदाहरण माना जा रहा है.

Artificial lake in kuchamancity
कुचामनसिटी में कृत्रिम झील (ETV Bharat Kuchaman City)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Aug 26, 2024, 4:09 PM IST

कुचामनसिटी में कृत्रिम झील (ETV Bharat Kuchaman City)

कुचामनसिटी : डीडवाना-कुचामन जिला डार्क जोन की श्रेणी में आता है, जहां भूमिगत जल स्तर बेहद निचले स्तर पर है. ऐसे में क्षेत्र में एक लाख पेड़ लगाने के अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए कुचामन के एक भामाशाह राजकुमार माथुर ने अपनी जिद और जुनून के चलते कृत्रिम झील का निर्माण करवाकर पर्यावरण और जल संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. झील को प्रदेश में वाटर हार्वेस्टिंग का सबसे बड़ा उदाहरण माना जा रहा है.

डीडवाना कुचामन जिला प्रदेश के उन जिलों में शुमार है जहां जल स्तर निचले स्तर पर है, जिले में प्राकृतिक जल स्रोत भी रीत चुके हैं. जिले में जल संकट इस कदर है कि सदियों से लोग खेती तो दूर यहां पीने के पानी के लिए भी तरसते रहे हैं. ऐसे में डीडवाना कुचामन जिले के कुचामन सिटी के भामाशाह राजकुमार माथुर ने अपनी निजी जमीन पर 1 लाख पौधे लगाने के लक्ष्य को पूरा करने के लिए जिद के चलते कृत्रिम झील का ही निर्माण करवाकर जल संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.

इसे भी पढ़ें : किसान नेता रामपाल जाट बोले- यमुना जल समझौते को सार्वजनिक करे सरकार - NEEMKATHANA KISAN SAMMELAN

पानी लाने के लिए नहर का निर्माण : उन्होंने 25 बीघा क्षेत्र में कृत्रिम झील का निर्माण करवा दिया है, जो बरसात के पानी को सहेज रही है. इस पूरे कार्य में उन्होंने 90 लाख रुपए खर्च किए हैं. बता दें कि कुछ समय पहले तक कुचामन और आसपास के क्षेत्र में जलस्तर काफी नीचे चला गया था और आसपास की भूमि बंजर हो गई थी. उसके बाद भामाशाह राजकुमार माथुर ने कृत्रिम झील बनाने का निर्णय लिया. उन्होंने अपनी जमीन पर खुदाई करवाकर झील निर्मित करवाई. झील बनने में लगभग 5 वर्ष का समय लगा. झील में पानी की पर्याप्त आवक हो, इसके लिए दो किलोमीटर लंबी कैनाल का भी निर्माण करवाया. इससे आसपास की अरावली की पहाड़ियों और मैदानी क्षेत्र से बहता हुआ पानी इस झील में पहुंचने लगा और परिणाम यह हुआ कि झील पानी से लबालब हो गई वहीं क्षेत्र का भूमिगत जल स्तर भी बढ़ने लगा है. कृत्रिम झील को प्रदेश में वाटर हार्वेस्टिंग का सबसे बड़ा उदाहरण माना जा रहा है .

नौकायन शुरू करने की योजना : झील बन जाने के बाद बरसात के दिनों में इस झील में पानी का अच्छा खासा भराव होता है, जो साल भर तक इस क्षेत्र की पानी की कमी को दूर करता है. इस झील से क्षेत्र में विचरण करने वाले पशुओं को जहां पेयजल सुलभ हो रहा है, वहीं इससे हरियाली को भी बढ़ावा मिल रहा है. झील के पानी से क्षेत्र में लगाए गए 5000 पेड़ पौधों को पानी उपलब्ध हो रहा है. इससे जहां क्षेत्र में पौधारोपण और हरियाली को बढ़ावा मिल रहा है, वहीं दूसरी ओर भूगर्भीय जलस्तर भी बढ़ने लगा है. इस झील के निर्माण से पानी की अच्छी आवक होने से अब यहां नौकायन शुरू करने की योजना है.

इसे भी पढ़ें : बारिश अच्छी, फिर भी बांध रीते: भीलवाड़ा के 60 में से 55 जलाशय खाली, पानी का इंतजार - reservoirs in Bhilwara are empty

मंत्री ने की तारीफ : भामाशाह राजकुमार माथुर की ओर से कृत्रिम झील बनाने की हर और तारीफ हो रही है. प्रदेश सरकार में राजस्व राज्य मंत्री विजय सिंह चौधरी ने भी पर्यावरण संरक्षण और जल संरक्षण के लिए भामाशाह राजकुमार माथुर की ओर से किए गए प्रयासों की तारीफ की.

कुचामनसिटी में कृत्रिम झील (ETV Bharat Kuchaman City)

कुचामनसिटी : डीडवाना-कुचामन जिला डार्क जोन की श्रेणी में आता है, जहां भूमिगत जल स्तर बेहद निचले स्तर पर है. ऐसे में क्षेत्र में एक लाख पेड़ लगाने के अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए कुचामन के एक भामाशाह राजकुमार माथुर ने अपनी जिद और जुनून के चलते कृत्रिम झील का निर्माण करवाकर पर्यावरण और जल संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. झील को प्रदेश में वाटर हार्वेस्टिंग का सबसे बड़ा उदाहरण माना जा रहा है.

डीडवाना कुचामन जिला प्रदेश के उन जिलों में शुमार है जहां जल स्तर निचले स्तर पर है, जिले में प्राकृतिक जल स्रोत भी रीत चुके हैं. जिले में जल संकट इस कदर है कि सदियों से लोग खेती तो दूर यहां पीने के पानी के लिए भी तरसते रहे हैं. ऐसे में डीडवाना कुचामन जिले के कुचामन सिटी के भामाशाह राजकुमार माथुर ने अपनी निजी जमीन पर 1 लाख पौधे लगाने के लक्ष्य को पूरा करने के लिए जिद के चलते कृत्रिम झील का ही निर्माण करवाकर जल संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.

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पानी लाने के लिए नहर का निर्माण : उन्होंने 25 बीघा क्षेत्र में कृत्रिम झील का निर्माण करवा दिया है, जो बरसात के पानी को सहेज रही है. इस पूरे कार्य में उन्होंने 90 लाख रुपए खर्च किए हैं. बता दें कि कुछ समय पहले तक कुचामन और आसपास के क्षेत्र में जलस्तर काफी नीचे चला गया था और आसपास की भूमि बंजर हो गई थी. उसके बाद भामाशाह राजकुमार माथुर ने कृत्रिम झील बनाने का निर्णय लिया. उन्होंने अपनी जमीन पर खुदाई करवाकर झील निर्मित करवाई. झील बनने में लगभग 5 वर्ष का समय लगा. झील में पानी की पर्याप्त आवक हो, इसके लिए दो किलोमीटर लंबी कैनाल का भी निर्माण करवाया. इससे आसपास की अरावली की पहाड़ियों और मैदानी क्षेत्र से बहता हुआ पानी इस झील में पहुंचने लगा और परिणाम यह हुआ कि झील पानी से लबालब हो गई वहीं क्षेत्र का भूमिगत जल स्तर भी बढ़ने लगा है. कृत्रिम झील को प्रदेश में वाटर हार्वेस्टिंग का सबसे बड़ा उदाहरण माना जा रहा है .

नौकायन शुरू करने की योजना : झील बन जाने के बाद बरसात के दिनों में इस झील में पानी का अच्छा खासा भराव होता है, जो साल भर तक इस क्षेत्र की पानी की कमी को दूर करता है. इस झील से क्षेत्र में विचरण करने वाले पशुओं को जहां पेयजल सुलभ हो रहा है, वहीं इससे हरियाली को भी बढ़ावा मिल रहा है. झील के पानी से क्षेत्र में लगाए गए 5000 पेड़ पौधों को पानी उपलब्ध हो रहा है. इससे जहां क्षेत्र में पौधारोपण और हरियाली को बढ़ावा मिल रहा है, वहीं दूसरी ओर भूगर्भीय जलस्तर भी बढ़ने लगा है. इस झील के निर्माण से पानी की अच्छी आवक होने से अब यहां नौकायन शुरू करने की योजना है.

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मंत्री ने की तारीफ : भामाशाह राजकुमार माथुर की ओर से कृत्रिम झील बनाने की हर और तारीफ हो रही है. प्रदेश सरकार में राजस्व राज्य मंत्री विजय सिंह चौधरी ने भी पर्यावरण संरक्षण और जल संरक्षण के लिए भामाशाह राजकुमार माथुर की ओर से किए गए प्रयासों की तारीफ की.

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