जयपुर: भजनलाल सरकार द्वारा खत्म किए गए तीन संभाग और 9 जिलों को वापस बहाल करने की मांग को लेकर कांग्रेस भजनलाल सरकार के खिलाफ हल्ला बोलेगी. इसके लिए सरकार के फैसले से प्रभावित जिलों और संभागों में ब्लॉक से लेकर संभाग और जिला स्तर तक संघर्ष समिति का गठन किया जाएगा. यह संघर्ष समिति इस आंदोलन में जनता की भागीदारी सुनिश्चित कर इसे जन आंदोलन में बदलने की रणनीति पर काम करेगी.
इसके लिए कांग्रेस ने इंडिया गठबंधन की सहयोगी पार्टियों (सीपीआईएम और आरएलपी) से भी हाथ मिलाया है. जिले और संभाग को खत्म करने का फैसला बदलने के लिए सरकार पर दबाव बनाने के लिए कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, पार्टी व अन्य सहयोगी दलों के नेताओं के साथ उन सभी स्थानों पर जाएंगे, जो भजनलाल सरकार के इस फैसले से प्रभावित हुए हैं.
4 जनवरी को सीकर बंद, 6 को बांसवाड़ा में बैठक : जिलों के आंदोलन को जन आंदोलन में बदलने की रणनीति तय करने की इस मुहिम का सीकर से आगाज हुआ है. इस रणनीति के तहत 4 जनवरी को सीकर बंद का आह्वान किया गया है. बांसवाड़ा संभाग को खत्म करने के विरोध में वहां के संगठनों की ओर से 6 जनवरी को होने वाले प्रदर्शन में भी प्रदेशाध्यक्ष डोटासरा सहित पार्टी के अन्य नेता शामिल होंगे.
तीन सांसदों को सौंपी संघर्ष समिति की कमान : सीकर सांसद अमराराम, चूरू सांसद राहुल कस्वां और झुंझुनू सांसद बृजेंद्र ओला को इस संघर्ष समिति की कमान सौंपी गई है. इसके बाद सरकार के फैसले से प्रभावित तीन संभागों और 9 जिलों में ब्लॉक से लेकर जिला और संभाग स्तर पर स्थानीय संघर्ष समिति का गठन किया जाएगा. सीकर में गुरुवार को हुई बैठक में गोविंद सिंह डोटासरा, सांसद अमराराम, बृजेंद्र ओला व राहुल कस्वां के साथ ही कांग्रेस विधायक, प्रत्याशी और संगठन के पदाधिकारी मौजूद रहे. अब नीमकाथाना सहित अन्य स्थानों पर भी इस मुहिम को आगे बढ़ाया जाएगा.
कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा का कहना है कि सरकार ने जो जिले और संभाग खत्म किए हैं. उन्हें बहाल करना पड़ेगा. सरकार को जन आंदोलन के सामने झुकना पड़ेगा. संभाग, जिला, ब्लॉक और विधानसभा स्तर पर भी संघर्ष समिति का गठन किया जाएगा. बांसवाड़ा संभाग के निरस्त होने पर वहां लोगों ने 6 जनवरी को बड़ी बैठक बुलाई है. इसी तरह निरस्त हुए अन्य जिलों और संभागों पर भी आंदोलन को आगे बढ़ाने की रणनीति तय की जा रही है. जनता ने हमें अपना प्रतिनिधि चुना है. ऐसे में हमारा सबका दायित्व है कि हम जनता के मुद्दों को लेकर एक जाजम पर बैठे और संघर्ष करें. हम भाजपा की 'पर्ची सरकार' को झुकाकर ही दम लेंगे.
गहलोत सरकार ने बनाए थे 17 जिले और तीन संभाग : गौरतलब है कि कांग्रेस की पूर्ववर्ती अशोक गहलोत सरकार ने 17 नए जिले और तीन नए संभाग बनाए थे. उस समय जयपुर ग्रामीण, बालोतरा, डीडवाना-कुचामन, फलौदी, अनूपगढ़, जोधपुर ग्रामीण, सलूंबर, सांचौर, शाहपुरा, नीमकाथाना, गंगापुर सिटी, खैरथल-तिजारा, डीग, कोटपूतली-बहरोड़, ब्यावर, केकड़ी और दूदू को नया जिला बनाया था. जबकि, सीकर, पाली और बांसवाड़ा को नए संभाग बनाया गया था.
इन जिलों-संभागों पर चली सरकार की कैंची : राजस्थान में सत्ता बदलने के बाद भाजपा सरकार ने रिटायर्ड आईएएस अधिकारी ललित के. पंवार की अध्यक्षता में नए जिलों और संभागों की समीक्षा के लिए एक कमेटी बनाई थी. इस कमेटी की सिफारिश पर सरकार ने तीनों नए संभाग पाली, सीकर और बांसवाड़ा को खत्म कर दिया. जबकि नए बने 17 में से 9 जिलों को भी खत्म कर दिया. इस सरकार ने दूदू, केकड़ी, शाहपुरा, नीमकाथाना, गंगापुरसिटी, जयपुर ग्रामीण, जोधपुर ग्रामीण, अनूपगढ़ और सांचौर जिलों को खत्म करने का फैसला किया है.