जयपुर. प्रदेश के 78 नगरीय निकायों में की गई राजनीतिक नियुक्तियां के फैसले को वापस ले लिया गया है. सरकार ने रविवार को ही मनोनीत पार्षदों के आदेश जारी किए थे, लेकिन कुछ घंटे बाद ही इन आदेशों को स्थगित कर दिया गया है. स्वायत्त शासन विभाग की ओर से जारी आदेशों में इस स्थगन आदेश को प्रशासनिक कारण बताया जा रहा है. जबकि जानकारों की माने तो कुछ जगह स्थानीय जनप्रतिनिधियों के चहेतों के नाम शामिल नहीं करने से विवाद होने की स्थिति बनी. इसके बाद फिलहाल विभाग ने अपने आदेशों पर यू टर्न ले लिया है.
राज्य सरकार ने शहरी सरकार में राजनीतिक नियुक्तियां करते हुए प्रदेश के 78 निकायों में 550 सदस्य नियुक्त किए. इनमें जिन विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव है, वहां की कई नगर पालिका और और नगर परिषद में भी सदस्य लगाए गए हैं. इनमें 5 नगर निगम, 10 नगर परिषद और 63 नगर पालिका शामिल है. सरकार ने इन्हीं नियुक्तियों के जरिए कार्यकर्ताओं को साधने की कोशिश की. हालांकि कुछ जगह स्थानीय जनप्रतिनिधियों के चहेतों के नाम शामिल नहीं होने से विवाद की स्थिति बनी. ऐसे में नियुक्तियां देकर कुछ ही घंटों में स्थगन आदेश आ गया. कुछ लोग इस निर्णय के पीछे बीजेपी की अंदरूनी सियासत को जिम्मेदार मान रहे हैं. वहीं विभाग से मिली जानकारी के अनुसार अब इन नियुक्तियों पर नए सिरे से एक्सरसाइज की जाएगी. इसमें स्थानीय स्तर से सुझाव और नाम लेने के बाद फैसला किया जाएगा.
उधर, राज्य सरकार ने पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार की ओर से नगरीय निकायों में 155 अधिकारियों के ट्रांसफर कर दिए हैं. जबकि 20 अधिकारियों को दूसरे निकायों की अतिरिक्त जिम्मेदारी भी सौंपी गई है. वहीं सरकार का दावा है कि विवाद या फिर भ्रष्टाचार के आरोप में गृह अधिकारियों को फील्ड पोस्टिंग नहीं दी गई है. वहीं जयपुर की अगर बात करें तो यहां दोनों नगर निगम में चार उपायुक्तों को बदला गया है .