बैतूल: जिले में भारी बारिश के चलते सोयाबीन की फसल यलो मोजैक वायरस की चपेट में आ गई है. इससे कई किसानों की फसलों को नुकसान पहुंचा है. किसानों ने कृषि कार्यालय पहुंचकर अधिकारी को ज्ञापन सौंप कर मुआवजे की मांग की. अपनी बात रखते हुआ एक किसान कृषि अधिकारी के पैरों पर भी गिर पड़ा. अधिकारी ने हर संभव मदद करने की बात कही है.
सोयाबीन की फसल में येलो मोजैक का अटैक
जिले में बारिश अधिक होने की वजह से सोयाबीन की फसल येलो मोजैक वायरस के चपेट में आने लगी है. खेतों में खड़ी सोयाबीन की फसल की पत्तियां पीली पड़ने लगी हैं. पत्तियों में छेद नजर आने लगे हैं, जिससे पौधों का विकास रुक गया है. इससे किसानों की चिंता बढ़ गई है. भैंसदेही विकासखंड के ग्राम कौडिया, कौडी, लाहस, धुडियानाई, धुडिया पुरानी, बाड़गांव, सारई, भीमकुंड, मंथनी सहित दो दर्जन से अधिक गांव के किसानों की सोयाबीन की फसल यलो मोजैक वायरस की चपेट में आने से चौपट हो गई है.
अपनी समस्या बताते हुए अधिकारी के पैरों में गिरा किसान
किसान अपनी समस्या लेकर कृषि अधिकारी के पास पहुंचे. उन्होंने कृषि अधिकारी को पत्र लिखकर बर्बाद हुई फसल के मुआवजे की मांग की. अपनी मांग को रखते हुए एक किसान अचानक अधिकारी के पैरों पर भी गिर पड़ा. अधिकारी ने उसको उठाया और हर संभव मदद का भरोसा दिलाया. कृषि अधिकारी एस.एल.टेकाम ने बताया कि, "मुआवजा कृषि विभाग की तरफ से नहीं दिया जाता. मुआवजा राजस्व विभाग की तरफ से दिया जाता है. प्रधानमंत्री किसान बीमा योजना के तहत रक्षक पोर्टल के लिए जारी टोल फ्री नंबर 14447 की जानकारी किसानों को दे दी गई है और उनसे उस टोल फ्री नंबर पर शिकायत दर्ज कराने को कहा है. बीमा कंपनी द्वारा शिकायत दर्ज होने के बाद उसकी जानकारी ब्लॉक लेवल के प्रतिनिधी के पास आती है. वह खेत में जाकर नुकसान का मुआयना करते हैं. इसके बाद मुआवजा मिलता है."
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क्या है येलो मोजैक वायरस
येलो मोजैक वायरस सोयाबीन के पौधों को प्रभावित करता है. वायरस के प्रभाव से पौधों की पत्तियों और तनों पर पीले धब्बे बन जाते हैं और पौधे की वृद्धि रुक जाती है. जिसके बाद पौधा कमजोर होकर सूखने लगता है. यह वायरस व्हाइटफ्लाइज और थ्रिप्स जैसे कीड़ों द्वारा फसल में फैलता है.