बैतूल। जिले के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में आंगनबाड़ी भवन नाममात्र के हैं. आलम यह है कि आंगनबाड़ी या तो किराए के भवनों में संचालित हो रही हैं या कार्यकर्ता, सहायिका के घर या फिर मंदिर प्रांगण में शासन द्वारा आंगनबाड़ी भवनों के लिए लाखों रुपए की राशि स्वीकृत की जाती है. इसके बाद भी कई सालों से कुछ केन्द्र में आज भी आंगनबाड़ी भवन नहीं बन पाए हैं. इन भवनों के निर्माण की जिम्मेदारी ग्राम पंचायत को सौंपी गई है. ग्राम पंचायत और महिला बाल विकास की लापरवाही के कारण भवन नहीं बन सके हैं.
बारिश में भीग जाती है मिडडे मील की सामग्री
शाहपुर ब्लॉक के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत टांगनामाल के टांगना रैयत ग्राम में आज भी आंगनबाड़ी भवन नहीं है. यहां आंगनवाड़ी स्कूल के भोजन कक्ष में संचालित हो रही है. अत्यधिक वर्षा होने के कारण जर्जर हो चुका भोजन कक्ष भी बदहाल है. बच्चों को बैठने तक की व्यवस्था नहीं होने के कारण टांगना रैयत का आंगनबाड़ी केंद्र मंदिर के टीन शेड के नीचे संचालित करना पड़ रहा है. यहीं बच्चों को बिठाकर पढ़ाई कराई जाती है और भोजन कराया जाता है.
सरपंच ने कई बार उठाई मांग, सुनवाई नहीं
यहां की सरपंच राधा अहाके का कहना है "पंचायत की ओर से प्रशासन को अवगत किया जा चुका है. लेकिन आंगनवाड़ी भवन नहीं बन पा रहा है. प्रशासन द्वारा किसी भी प्रकार का सहयोग नहीं किया जा रहा है." वहीं, ग्रामीण किशन लाल विश्वकर्मा, किसन यादव का कहना है कि वर्तमान में बजरंग मंदिर के शेड में आंगनबाड़ी संचालित हो रही है. आंगनवाड़ी का सामान किचन शेड में रखने से सामग्री खराब हो रही है. इस मामले में महिला बाल विकास अधिकारी दीपमाला अहाके का कहना है "बारिश की वजह से अतिरिक्त कक्ष में सीलन है. इस कारण मंदिर प्रांगण में आंगनबाड़ी संचालित की जा रही है. ग्राम के चौपाल को खाली कराकर वहां आंगनबाड़ी केंद्र संचालित किया जाएगा."