बैतूल: कुकरू के कॉफी बीन्स दुनिया के बेहतरीन कॉफी बीन्स में से एक हैं. अंग्रेजों का लगाया हुआ यह बगान अब अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाने जा रहा है. बैतूल के कुकरू में प्रदेश का एकमात्र कॉफी बीन्स है, जिसे अब पूरी दुनिया पिएगी. जिला मुख्यालय से 93 किलोमीटर दूर और समुद्र सतह से करीब 4 हजार फीट की ऊंचाई पर बसे कुकरू की हसीन वादियां पर्यटकों का मन लुभाती हैं. पहाड़ों की सौंदर्यता, भोड़िया कुंड की पहाड़ियों के समीप सूर्यास्त का दृश्य, दिलकश मंजर पॉइंट का नजारा, बुच पॉइंट देखने के लिए यहां पर्यटक आते हैं.
1944 में लगाया गया था यह उद्यान
कुकरू के पहाड़ों में कॉफी उद्यान लगाए जाने से प्रदेश में कुकरू की एक अलग पहचान है. कुकरू में 1906 में अंग्रेजों ने विश्राम गृह बनाया था. इसी विश्राम गृह के आस-पास अंग्रेज मिस फ्लोरेंस हैंड्रिक्स ने सन 1944 में 160 एकड़ खेती में कॉफी उद्यान लगाया था और यहां से कॉफी बीन्स ब्रिटेन भेजती थी. देश के गिने-चुने प्रांतों में ही उत्तम किस्म की कॉफी की खेती होती है. जिसमें से भैंसदेही तहसील के कुकरू उद्यान का भी नाम शामिल है. यहां उत्तम किस्म की अरेबिका नामक कॉफी का उद्यान है.
कॉफी बीन्स को विदेशों में भेजने की तैयारी
बैतूल का जिला प्रशासन अब इन कॉफी बीन्स को विदेशों तक पहुंचाने की तैयारी शुरू कर चुका है. इन बीन्स को विदेश भेजने से पहले लैब में टेस्ट कराया गया. अब इसकी टेस्ट रिपोर्ट आ गई है. ये लैब टेस्ट रिपोर्ट बताती है कि कुकरू की कॉफी बीन्स दुनिया में पहचान बना सकती है, इसके बीन्स शानदार हैं.
कॉफी बागान देखने पहुंचते हैं पर्यटक
बैतूल जिले का पचमढ़ी कहे जाने वाले कुकरू क्षेत्र अपनी नैसर्गिक सुंदरता के लिए भी विख्यात है. यहां पर्यटक कॉफी बागान के साथ-साथ इसकी सुंदरता भी देखने पहुंचते हैं. कुकरू का ये बागान मध्य भारत का इकलौता कॉफी उत्पादक क्षेत्र है. यहां आज भी चार हेक्टेयर क्षेत्र में कॉफी उत्पादन हो रहा है.
मौजूदा समय में वन विभाग की देखरेख में कुकरू कॉफी बागान से सालाना 10 क्विंटल से अधिक कॉफी उत्पादित की जा रही है. आसपास निर्माण कार्यों के चलते ये बागान अब चार हेक्टेयर में सिमट चुका है, लेकिन मध्यप्रदेश ईको पर्यटन विभाग इस दुर्लभ कॉफी बागान को दोबारा गुलजार करने में जुट गया है. वह इसकी पहचान का दायरा बढ़ाने जा रहा है.
ये भी पढें: मियावाकी के सहारे खिला इंदौर, इस पद्धति से लगाए थे पौधे अब हो गया घना जंगल सोयाबीन को सोने नहीं दे रहा दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे, फसल की सेहत बिगड़ी तो किसानों ने लगाई गुहार |
विदेशी कंपनियों की इस कॉफी में है रुचि
दक्षिण वन मंडल की डीएफओ विजयानंतम टीआर बताते हैं कि "कुकरू कॉफी बीन्स के लैब टेस्ट से पता चला है कि ये बीन्स देश की उम्दा कॉफी बीन्स में से है. कुछ प्रक्रियाओं के बाद ये एक्सपोर्ट क्वालिटी के लायक बन जाएगी. कुछ विदेशी कंपनियों ने भी इस कॉफी बागान को लेकर रुचि दिखाई है. यहां की कॉफी अगर विदेश तक पहुंच गई तो न सिर्फ ये स्थानीय लोगों के लिए बल्कि मध्य प्रदेश के लिए भी एक बड़ी उपलब्धि होगी."