बैतूल। आज के आधुनिक युग में भी ग्रामीण अंचलों में अंधविश्वास इतना हावी है की वे डॉक्टर से ज्यादा भगत और ओझा तांत्रिक पर विश्वास करते नजर आते हैं. ऐसा ही कुछ नजारा बैतूल के जिला अस्पताल में देखने को मिला. जहां जिले के बाजरवाड़ा गांव में सर्पदंश का शिकार होने के बाद युवती उपचार के लिए भर्ती हुई थी. जिला अस्पतला में 19 वर्षीय सपना का दो ओझा भगत एक के बाद एक झाड़ फूंक करके इलाज करते नजर आए. ये सिलसिला करीब आधा घंटे तक चलता रहा, लेकिन युवती होश में आने का नाम ही नहीं ले रही थी.
अस्पताल प्रबंधन ने ओझा भगत को निकाला बाहर
ओझा भगतों का दावा है कि "वे सर्प दंश का शिकार हुए लोगों को झाड़ फूक कर दो से ढाई घंटे में ठीक कर देते हैं. अब तक उन्होंने दो दर्जन से ज्यादा लोगों को इसी तरह झाड़ फूंक करके ठीक किया है." वहीं जिला अस्पताल के वार्ड में भर्ती मरीज की झाड़ फूंक करने का मामला संज्ञान में आते ही अस्पताल प्रबंधन ने ओझा भगत को अस्पताल से बाहर निकाल दिया.
नन्हा भगत का कहना है कि "हमे जो आता है, वह झाड़ फूंक हमने किया है. अभी युवती गहरी बेहोशी में है, इसलिए झाड़ फूंक करना जरूरी है. हम गांव में भी यही काम करते हैं. यह जो सर्प है वह बहुत मोटा है. डसने के बाद वह पलट गया था, इसलिए उसने ज्यादा जहर छोड़ दिया है. अगर वह डसने के बाद नहीं पलटता तो दो से ढाई घंटे में युवती ठीक हो जाती."
अभी तक 25-30 लोगों को ठीक किया: भगत मनोहरी
दूसरे भगत मनोहरी का कहना है कि "हमने देवी देवता को सुमिरन करके इसकी झाड़ फूंक की है. हमने केले की जड़ और सगुन की जड़ व राय मुनिया का बंधन उसके गले में बांधा है. अभी थोड़ा टाइम हो गया है, लेकिन ढाई से 3 घंटे में वह ठीक हो जाएगी. हमने गांव में अभी तक 25-30 लोगों को ठीक किया है"
मंगलवार को सुबह 11 बजे तक सर्पदंश के आए 3 मामले
जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. अशोक बारंगा का कहना है कि "बारिश के दिनों में सर्प दंश के मामले ज्यादा बढ़ जाते हैं. मंगलवार को सुबह से 11:00 तक सर्पदंश के 3 मामले आ चुके हैं. सर्पदंश का शिकार हुई 19 वर्षीय सपना की स्थिति के बारे में पूछने पर उन्होंने बताया कि "सपना की स्थिति अभी गंभीर बनी हुई है. अभी कुछ देर पहले उसको भर्ती किया गया है और उसका इलाज जारी है. हमारे यहां से अभी तक सभी लोगों की रिकवरी हुई है."
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पीड़ित के साथ गांव से आए थे ओझा भगत
मरीज की झाड़ फूंक करने के मामले में डॉक्टर अशोक बारंगा का कहना है कि "वे लोग मरीज को लेकर गांव से आए थे, क्योंकि उनके गांव में मरीज की झाड़ा फूंकी चल रही थी. इस वजह से पीड़ित के परिजन के साथ साथ झाड़ा फूंकी करने वाले भी आ गए थे. इस बात का पता चलते ही तत्काल हमने उन लोगों को वार्ड के बाहर किया है.