कबीरधाम : अगर आप मॉनसून में आउटिंग का प्लान बना रहे हैं तो छत्तीसगढ़ का कबीरधाम जिला आपके लिए सबसे बेहतर स्पॉट हो सकता है. यहां की मैकल पर्वत, घुमावदार घाटी वाले रास्ते, ऊंचे -ऊंचे पहाड़,झरना,हरे भरे पेड़ और जंगल किसी को भी आकर्षित कर लेंगे.भोरमदेव अभ्यारण्य के वन्यप्राणी बारिश के मौसम में पर्यटकों का स्वागत करने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं.
सरोधा जलाशय मिटा देगा थकान : कबीरधाम जिले की सुंदरता मॉनसून के महीने में दोगुनी हो जाती है.यदि आप कबीरधाम आना चाहते हैं तो आपको सड़कमार्ग से आना होगा. कबीरधाम में प्रवेश करते ही आपको सबसे पहले सैकड़ों साल पुराना राजमहल दिखाई देगा.जिसे आम जनता मोती महल के नाम से भी जानती है. मोती महल घूमने के बाद आप सरोधा जलाशय में टूर कर सकते हैं.जिसकी दूरी जिला मुख्यालय से 7 किलोमीटर है.जहां बोटिंग करके आपको काफी ज्यादा आनंद आएगा.यहां बने गार्डन और झूले बच्चों का मन मोह लेंगे.इसके बाद बारी आती है विश्व प्रसिद्ध भोरमदेव मंदिर की.
विश्व प्रसिद्ध भोरमदेव मंदिर : सरोधा जलाशय में टूर करने के बाद आपको भोरमदेव मंदिर के लिए निकलना होगा.जिसकी दूरी जलाशय से लगभग 10 किलोमीटर है. भोरमदेव मंदिर जाने के लिए आपको मैकल पर्वत के दोनों ओर से गुजरना होगा.रास्ते के हरे भरे नजारे आपकी आंखों को सुकून देंगे. 11वीं शताब्दी में नागवंशी राजाओं ने भोरमदेव मंदिर को बनाया था. जहां भगवान भोलेनाथ विराजमान हैं. इस मंदिर की मान्यता है कि यहां भगवान शंकर से मांगी गई मन्नत जरूर पूरी होती है. पूजा-अर्चना के बाद मंदिर की दीवार पर अद्भुत कलाकृति देखकर आपको लगेगा कि आप किसी गुजरे जमाने में आ गए हैं.मंदिर के पास ही एक सरोवर है. जहां आप बोर्डिंग का भी मजा ले सकते हैं. इसके बाद आपको यदि वाइल्ड लाइफ एडवेंचर का शौक है तो जनाब भोरमदेव अभ्यारण्य बस आपके लिए ही है.
भोरमदेव अभ्यारण्य : मंदिर में दर्शन के बाद आप खाली वक्त बिताने के लिए भोरमदेव अभ्यारण्य जा सकते हैं.लगभग 300 वर्ग किलोमीटर में फैले इस अभ्यारण्य में बाघ, तेंदुआ,भालू, लोमड़ी, हिरण,कोटरी, मोर, खरगोश समेत 130 से भी ज्यादा प्रकार की तितलियों को देख सकते हैं. भोरमदेव अभ्यारण्य में सिर्फ तितलियों के लिए ही 130 एकड़ क्षेत्र को संरक्षित किया गया है.
चिल्फी घाटी में ड्राइविंग अद्भुत : भोरमदेव अभ्यारण्य में सैर के बाद आप यदि आराम फरमाना चाहते हैं तो चिल्फी घाटी आपके लिए सबसे बढ़िया जगह है. 20 किलोमीटर घुमावदार घाटी के एक तरफ मैकल पर्वत और दूसरी तरफ सैकड़ों फिट गहरी खाई है.इसे पार करने के बाद आप चिल्फी गांव पहुंचेंगे.जो रायपुर जबलपुर नेशनल हाईवे 30 पर छत्तीसगढ़ मध्यप्रदेश की सीमा पर बसा है. यहां से लगभग 03 किलोमीटर जाने पर आपको मिलेगा संस्कृति विभाग के बनाए हुए खूबसूरत सरोधा रिसॉर्ट दिखेंगे. जहां आपको स्वादिष्ट भोजन और आरामदायक कमरे मिलेंगे.
रिसॉर्ट में रुककर लिजिए शानदार अनुभव : यदि आप छत्तीसगढ़ से बाहर के हैं तो यहां मौजूद हैं यहां बने कॉटेज आपका मन मोहेंगे. लकड़ियों से बने ये एयरकंडीशन रुम छत्तीसगढ़ी कल्चर को ध्यान में रखकर बनाए गए हैं. ताकि यहां आने वाले पर्यटक छत्तीसगढ़ की कल्चर को महसूस कर सके. सुबह जल्दी उठने पर यहां का नजारा और सनराइज आपको बिल्कुल अलग दुनिया में लेकर जाएगा. यहां रेस्ट हाउस और वाच टावर में चढ़कर आपको आसमान में होने का अहसास दिलाएगा.जहां से आप 20 से 30 किलोमीटर दूर तक जंगल को निहार सकते हैं.
वही चिल्फी से वापस बोड़ला की ओर आने पर रास्ते में मेन रोड़ से लगभग 20 किलोमीटर पक्की -कच्ची सड़क से आप रानी दहरा जलप्रपात की सैर कर सकते हैं. जहां बच्चों को अकेला बिल्कुल भी ना छोड़े क्योंकि यहां खतरा हो सकता है.पहाड़ को काटकर बनाए गए रास्ते बारिश के दिनों में फिसलन भरे होते हैं.इसलिए यहां जाने पर आप सावधानी रखे. अच्छे ट्रैकिंग शूज ना हो तो इस जगह पर बारिश में ना ही जाए तो बेहतर होगा.लेकिन यदि आप अच्छे ट्रैकर हैं तो बारिश के दिनों में रानीदहरा जलप्रपात आपको अपनी आगोश में ले लेगा.
कैसे पहुंचे कबीरधाम : आपको छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से 120 किलोमीटर सड़क के रास्ते कबीरधाम जिला मुख्यालय आना होगा. रायपुर भाटागांव बस स्टैंड से कबीरधाम के लिए एसी और नॉन एसी बसें लगातार चलती रहती हैं.जिससे आप आसानी से कबीरधाम आ सकते हैं.इसके अलावा आप जगदलपुर रेलवे स्टेशन से भी प्राइवेट टैक्सी या फिर बस से कबीरधाम आ सकते हैं. यदि आप रिसॉर्ट में नहीं रुकना चाहते हैं तो आपको जिला मुख्यालय में ही 500 से 1000 के बीच अच्छे होटल मिल जाएंगे.जो आपको अच्छा खाना मुहैया करवाएंगे. तो फिर देर किस बात की यदि आप प्रकृति को बिल्कुल करीब से देखना चाहते हैं तो आईए कबीरधाम.