पटना: बिहार में विधानसभा के चार सीटों के लिए चुनाव हो रहे हैं. चारों सीटें लोकसभा चुनाव के दौरान खाली हुई हैं. चार विधायक सांसद बने जिसके चलते उपचुनाव के हालात पैदा हुए. गया के बेलागंज विधानसभा सीट पर मुकाबला दिलचस्प हो गया है. एनडीए के सामने राष्ट्रीय जनता दल के 25 साल पुराने किले को ध्वस्त करने की चुनौती है.
दांव पर सांसद सुरेंद्र यादव की साख: बिहार में विधानसभा के उपचुनाव हो रहे हैं और सबकी नजरें बेलागंज विधानसभा सीट पर टिकी हैं. बेलागंज विधानसभा सीट राष्ट्रीय जनता दल का सबसे मजबूत किला माना जा रहा है. बेलागंज के तत्कालीन विधायक सुरेंद्र यादव सांसद बन चुके हैं और अब सुरेंद्र यादव के राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी उनके पुत्र विश्वनाथ यादव के कंधों पर है.
मैदान में JDU की मनोरमा देवी: बेलागंज विधानसभा सीट पर जनता दल यूनाइटेड ने पूर्व विधान पार्षद मनोरमा देवी को मैदान में उतारा है. मनोरमा देवी बाहुबली नेता बिंदी यादव की पत्नी हैं और उनके पुत्र रॉकी यादव रोडरेज कांड के दौरान सुर्खियों में आए थे. हाल ही में मनोरमा देवी के आवास से एनआईए को करोड़ों रुपए मिले थे.
मनोरमा देवी के आवास से बरामद हुए थे 4 करोड़: मनोरमा देवी के आवास से 4 करोड़ रुपए कैश और 10 घातक हथियार बरामद किए गए थे. छापेमारी के दौरान मनोरमा देवी का नक्सली कनेक्शन भी सामने आया था. बरामद हथियार नक्सलियों को सप्लाई करने के लिए रखे गए थे, इसकी जानकारी एनआईए ने अपने प्रेस रिलीज में दी थी.
राजद और जदयू से एमएलसीः मनोरमा देवी के पति के राजद से अच्छे संबंध थे. इसलिए मनोरमा देवी 2003 से 2009 तक आरजेडी से एमएलसी रहीं. 2015 से 2021 तक जदयू के विधान पार्षद रही. मनोरमा देवी के पति बिंदी यादव ने भी दो बार विधानसभा चुनाव लड़ा. 2005 में निर्दलीय और 2010 में आरजेडी के टिकट पर मैदान में उतरे लेकिन दोनों बार हार का सामना करना पड़ा. बिंदी यादव का 2020 में निधन हो गया.
2001 से मनोरमा का राजनीतिक करियर शुरूः हालांकि बिंदी यादव अपने राजनीतिक करियर में ज्यादा ऊंचाई तक नहीं पहुंच पाए. 2001 में बिंदी यादव जिला परिषद का अध्यक्ष बने थे और यहीं से मनोरमा देवी का राजनीतिक करियर शुरू हो गया. प्रखंड प्रमुख से लेकर विधायक तक का सफर तय किया. 2001 में ही मनोरमा देवी गया जिले के मोहनपुर की प्रखंड प्रमुख बनी थीं.
सुरेंद्र यादव लगातार आठ बार विधायक बने: बेलागंज विधानसभा सीट राष्ट्रीय जनता दल का सबसे मजबूत किला माना जाता है और बाहुबली नेता सुरेंद्र यादव लगातार बेलागंज विधानसभा सीट पर चुनाव जीतते आ रहे हैं. इस बार सुरेंद्र यादव सांसद बन गए हैं लेकिन 1990 में पहली बार सुरेंद्र यादव बेलागंज से विधानसभा चुनाव जीते थे.
RJD को टक्कर देना नहीं होगा आसान: सुरेंद्र यादव ने कांग्रेस पार्टी प्रत्याशी अभिराम शर्मा को हराया था. 1995 के चुनाव में भी सुरेंद्र यादव ने फिर से कांग्रेस पार्टी के अभिराम शर्मा को शिकस्त दी. इस बार जीत और हार का अंतर 21000 से अधिक वोटो का रहा. 2005 के चुनाव में सुरेंद्र यादव का सामना लोक जनशक्ति पार्टी के मोहम्मद अमजद से हुआ और सुरेंद्र यादव ने मोहम्मद अमजद को चुनाव में पटखनी दे दी. 2015 के विधानसभा चुनाव में सुरेंद्र यादव ने हम पार्टी के शारीम अली को 31000 मतों से हराया. 2015 के विधानसभा चुनाव में सुरेंद्र यादव को 53 हजार से अधिक वोट मिले.
यादव वोटों पर जदयू की नजर: बेलागंज विधानसभा सीट यादव बहुल माना जाता है और इस बार राष्ट्रीय जनता दल और जनता दल यूनाइटेड दोनों ने यादव उम्मीदवार को मैदान में उतारा है. बेलागंज विधानसभा क्षेत्र में 70000 के आसपास यादव वोटर हैं और जदयू की नजर भी यादव वोट पर है. जनता दल यूनाइटेड मनोरमा देवी के जरिए यादव वोट बैंक में सेंधमारी करना चाहती है.
माय समीकरण की होगी अग्नि परीक्षा: बेलागंज राष्ट्रीय जनता दल का सबसे मजबूत किला क्यों है यह भी समझना जरूरी है. बेलागंज क्षेत्र में 70000 यादव वोटर है तो मुस्लिम आबादी हुई अच्छी खासी है. तकरीबन 62000 के आसपास मुस्लिम वोटर हैं . माय समीकरण के बदौलत ही राष्ट्रीय जनता दल उम्मीदवार की जीत हो जाती है.
अल्पसंख्यक वोटों में सेंधमारी की कोशिश: इस बार उपचुनाव में परिस्थितियों बदली बदली सी दिख रही है. जदयू ने जहां यादव जाति के उम्मीदवार को मैदान में उतार दिया है. वहीं प्रशांत किशोर ने अल्पसंख्यक समुदाय के उम्मीदवार को मैदान में उतारा है. प्रशांत किशोर की पार्टी से मोहम्मद अमजद अली को उम्मीदवार बनाया गया है. प्रशांत किशोर भी अल्पसंख्यक वोटों में सेंधमारी कर सकते हैं.
बेलागंज का जातीय समीकरण: बेलागंज विधानसभा सीट पर लगभग 250000 मतदाता हैं और सबसे अधिक 70000 के आसपास यादव वोटर हैं. दूसरे स्थान पर मुस्लिम वोटर हैं जिनकी संख्या 62000 के आसपास है. तीसरे स्थान पर कोईरी और दांगी जाति का वोट है, यह लगभग 25000 के आसपास है. अन्य पिछड़ी जाति की आबादी लगभग 20000 के आसपास है.
भूमिहार वोटर भी 20000 के करीब हैं. राजपूत वोटरों की संख्या 15000 है तो बनिया वोटर 10000 के आसपास हैं. अति पिछड़ी जाति की आबादी भी 10000 के करीब है. राजनीतिक विश्लेषक डॉक्टर संजय कुमार का मानना है कि बेलागंज सीट राष्ट्रीय जनता दल का सबसे मजबूत किला माना जाता है, लेकिन इस बार राष्ट्रीय जनता दल को लड़ाई दो मोर्चो पर लड़नी है.
"एक ओर जहां उन्हें यादव वोटो को इंटैक्ट रखना है तो दूसरी तरफ प्रशांत किशोर के अल्पसंख्यक उम्मीदवार भी उनके लिए चुनौती हैं. जनसुराज जहां अल्पसंख्यक वोटों को डिस्टर्ब करेगी. वहीं जदयू यादव वोट में सेंधमारी करने की कोशिश करेगी. ऐसे में मुकाबला बेहद दिलचस्प होने वाला है."-डॉक्टर संजय कुमार,राजनीतिक विश्लेषक
ये भी पढ़ें