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निरसा विधानसभा सीट के लिए खींचतान शुरू, महागठबंधन के दो दल आमने-सामने - Jharkhand Assembly Election 2024 - JHARKHAND ASSEMBLY ELECTION 2024

Nirsa assembly seat.झारखंड में विधानसभा चुनाव से पहले सीटों को लेकर दावेदारी का दौर शुरू हो गया है. महागठबंधन में शामिल दो प्रमुख दलों ने अब निरसा विधानसभा सीट पर अपनी-अपनी दावेदारी पेश की है.

Nirsa Assembly Seat
कांग्रेस की बैठक में मौजूद कार्यकर्ता. (फोटो-ईटीवी भारत)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Sep 18, 2024, 1:54 PM IST

धनबादः हाल ही में मासस का विलय माले में हुआ है. इसके बाद निरसा विधानसभा सीट के लिए दावेदारी तेज हो गई है. माले में मासस के विलय के बाद निरसा सीट पर माले की ओर से पूर्व विधायक अरूप चटर्जी को महागठबंधन से प्रत्याशी बनाए जाने के कयास लगाए जा रहे हैं, लेकिन कांग्रेस इस पर एतराज जता रही है.

बयान देते कांग्रेस नेता निशिकांत मिश्रा. (वीडियो-ईटीवी भारत)

अरूप चटर्जी पर कांग्रेस को एतराज

इस संबंध में कांग्रेस नेता निशिकांत मिश्रा ने कहा कि अरूप चटर्जी को यह विश्वास हो गया था कि वह अपने दम पर चुनाव जीतने वाले नहीं हैं. यदि उन्हें महागठबंधन से टिकट मिलता है तो चुनाव आसानी से जीत सकते हैं. इसी कारण मासस का विलय माले में किया गया है, ताकि महागठबंधन से उन्हें टिकट मिल सके और वह अपनी जीत सुनिश्चित कर सकें.

निरसा में कांग्रेस अपना कैंडिडेट दे

उन्होंने कहा कि कांग्रेस निरसा सीट पर महागठबंधन धर्म निभाती है तो कार्यकर्ता पूरी तरह से टूट जाएंगे. पार्टी को निरसा से अपना प्रत्याशी उतारने की जरूरत है. निशिकांत मिश्रा ने कहा कि मजदूर से जुड़े कांग्रेस नेता को यहां से प्रत्याशी बनाया जाना चाहिए. निरसा एक औद्योगिक नगरी है. यहां 90 प्रतिशत मजदूर वर्ग के लोग हैं.

उन्होंने कहा कि निरसा में कांग्रेस की सीधी टक्कर भाजपा से है. कांग्रेस से प्रत्याशी नहीं बनाए जाने पर मुस्लिम मतदाता मायूस होकर मासस को अपना वोट देते रहे हैं. जिसके बल पर पूर्व विधायक का अरूप चटर्जी जीतते आए हैं.

कार्यकर्ताओं के मत का ख्याल रखे पार्टी

उन्होंने कहा कि जिन्होंने 40 सालों तक पार्टी का झंडा ढोया है उनके भी कुछ अरमान हैं. पार्टी को इसका ख्याल रखना चाहिए. उन्होंने कहा कि महागठबंधन से अगर पूर्व विधायक अरूप चटर्जी को निरसा से प्रत्याशी बनाया जाता है तो कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता नाराज हो जाएंगे.

लोकसभा चुनाव का दिया उदाहरण

उन्होंने लोकसभा चुनाव का उदाहरण देते हुए कहा कि अगर बाहरी कैंडिडेट नहीं दिया गया होता तो निरसा में हमारा प्रत्याशी जरूर लीड करता. उन्होंने कहा कि निरसा सीट पर झामुमो का कोई आधार नहीं है. अशोक मंडल जिसे पिछली विधानसभा में निरसा से जेएमएम ने प्रत्याशी के रूप में उतारा था, वह भाजपा से जेएमएम में आए थे. बीजेपी से वह दो-तीन इलेक्शन लड़ चुके थे.

बयान देते माले नेता सह पूर्व विधायक अरूप चटर्जी. (वीडियो-ईटीवी भारत)

महागठबंधन तय करेगा टिकटःअरूप

वहीं इस संबंध में पूर्व विधायक अरूप चटर्जी ने कहा कि महागठबंधन को यह तय करना है कि निरसा विधानसभा सीट किसके खाते में जाएगी. उन्होंने कहा कि मासस का माले में विलय से महागठबंधन को बेहतर मजबूती मिली है. उत्तरी छोटानागपुर में इसका प्रभाव देखने को मिलेगा. उन्होंने कहा कि टिकट महागठबंधन तय करेगा.

बता दें कि निरसा विधानसभा सीट लाल झंडे का गढ़ माना जाता है. अरूप चटर्जी निरसा सीट से तीन टर्म विधायक रह चुके हैं. 2000 से 2005, 2009 से 2014 और 2014 से 2019 तक वह विधायक रहे हैं. 2019 के चुनाव में फारवर्ड ब्लॉक से भाजपा में आई अपर्णा सेन गुप्ता ने जीत दर्ज की थी.

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धनबादः हाल ही में मासस का विलय माले में हुआ है. इसके बाद निरसा विधानसभा सीट के लिए दावेदारी तेज हो गई है. माले में मासस के विलय के बाद निरसा सीट पर माले की ओर से पूर्व विधायक अरूप चटर्जी को महागठबंधन से प्रत्याशी बनाए जाने के कयास लगाए जा रहे हैं, लेकिन कांग्रेस इस पर एतराज जता रही है.

बयान देते कांग्रेस नेता निशिकांत मिश्रा. (वीडियो-ईटीवी भारत)

अरूप चटर्जी पर कांग्रेस को एतराज

इस संबंध में कांग्रेस नेता निशिकांत मिश्रा ने कहा कि अरूप चटर्जी को यह विश्वास हो गया था कि वह अपने दम पर चुनाव जीतने वाले नहीं हैं. यदि उन्हें महागठबंधन से टिकट मिलता है तो चुनाव आसानी से जीत सकते हैं. इसी कारण मासस का विलय माले में किया गया है, ताकि महागठबंधन से उन्हें टिकट मिल सके और वह अपनी जीत सुनिश्चित कर सकें.

निरसा में कांग्रेस अपना कैंडिडेट दे

उन्होंने कहा कि कांग्रेस निरसा सीट पर महागठबंधन धर्म निभाती है तो कार्यकर्ता पूरी तरह से टूट जाएंगे. पार्टी को निरसा से अपना प्रत्याशी उतारने की जरूरत है. निशिकांत मिश्रा ने कहा कि मजदूर से जुड़े कांग्रेस नेता को यहां से प्रत्याशी बनाया जाना चाहिए. निरसा एक औद्योगिक नगरी है. यहां 90 प्रतिशत मजदूर वर्ग के लोग हैं.

उन्होंने कहा कि निरसा में कांग्रेस की सीधी टक्कर भाजपा से है. कांग्रेस से प्रत्याशी नहीं बनाए जाने पर मुस्लिम मतदाता मायूस होकर मासस को अपना वोट देते रहे हैं. जिसके बल पर पूर्व विधायक का अरूप चटर्जी जीतते आए हैं.

कार्यकर्ताओं के मत का ख्याल रखे पार्टी

उन्होंने कहा कि जिन्होंने 40 सालों तक पार्टी का झंडा ढोया है उनके भी कुछ अरमान हैं. पार्टी को इसका ख्याल रखना चाहिए. उन्होंने कहा कि महागठबंधन से अगर पूर्व विधायक अरूप चटर्जी को निरसा से प्रत्याशी बनाया जाता है तो कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता नाराज हो जाएंगे.

लोकसभा चुनाव का दिया उदाहरण

उन्होंने लोकसभा चुनाव का उदाहरण देते हुए कहा कि अगर बाहरी कैंडिडेट नहीं दिया गया होता तो निरसा में हमारा प्रत्याशी जरूर लीड करता. उन्होंने कहा कि निरसा सीट पर झामुमो का कोई आधार नहीं है. अशोक मंडल जिसे पिछली विधानसभा में निरसा से जेएमएम ने प्रत्याशी के रूप में उतारा था, वह भाजपा से जेएमएम में आए थे. बीजेपी से वह दो-तीन इलेक्शन लड़ चुके थे.

बयान देते माले नेता सह पूर्व विधायक अरूप चटर्जी. (वीडियो-ईटीवी भारत)

महागठबंधन तय करेगा टिकटःअरूप

वहीं इस संबंध में पूर्व विधायक अरूप चटर्जी ने कहा कि महागठबंधन को यह तय करना है कि निरसा विधानसभा सीट किसके खाते में जाएगी. उन्होंने कहा कि मासस का माले में विलय से महागठबंधन को बेहतर मजबूती मिली है. उत्तरी छोटानागपुर में इसका प्रभाव देखने को मिलेगा. उन्होंने कहा कि टिकट महागठबंधन तय करेगा.

बता दें कि निरसा विधानसभा सीट लाल झंडे का गढ़ माना जाता है. अरूप चटर्जी निरसा सीट से तीन टर्म विधायक रह चुके हैं. 2000 से 2005, 2009 से 2014 और 2014 से 2019 तक वह विधायक रहे हैं. 2019 के चुनाव में फारवर्ड ब्लॉक से भाजपा में आई अपर्णा सेन गुप्ता ने जीत दर्ज की थी.

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