बस्तर\सरगुजा: हरी भरी वादियों और खूबसूरत झरनों से घिरे बस्तर में कांगेर वैली नेशनल पार्क, चित्रकोट झरना. कोटमसर गुफा, मिचनार हिल्स, दलपत सागर घूमने लायक जगह है. कांगेर वैली में कई जलप्रपात और गुफाएं मौजूद हैं. तीरथगढ़ जलप्रपात प्रमुख झरनों में से एक हैं, जो काफी ऊंचा और खूबसूरत हैं. इसके अलावा तामड़ा घूमर जलप्रपात, मेन्द्रीघूमर जलप्रपात, चित्रधारा जलप्रपात, मंडवा जलप्रपात, बिजाकसा झरना भी आप घूम सकते हैं.
चित्रकोट जलप्रपात: भारत के मिनी नियाग्रा के नाम से मशहूर बस्तर का चित्रकोट जलप्रपात देखते ही मन मुग्ध हो जाएगा. चित्रकोट जलप्रपात बस्तर के लोहंडीगुड़ा ब्लॉक में पड़ता है. 40 फीट की चौड़ाई से गिरता यह वाटरफॉल अपनी सुंदरता के लिए देशभर में मशहूर है. बस्तर की जीवनदायनी इंद्रावती नदी के जल को समेट कर यह जल प्रपात 90 फीट की ऊंचाई से नीचे गिरता है. हर मौसम में यह वॉटर फॉल लोगों को आकर्षित करता है लेकिन मानसून में इसकी खूबसूरती देखते ही बनती है. इसकी खूबसूरती के कारण ही कई बॉलीवुड, टॉलीवुड और छॉलीवुड फिल्मों की शूटिंग भी इस जलप्रपात के आसपास होने लगी है. इस वॉटर फॉल के आसपास ठहरने की भी सुविधा है.
कांगेर वैली में प्रकृति की खूबसूरती: कांगेर वैली नेशनल पार्क में जलप्रपात के अलावा विशालकाय गुफाएं हैं. छत्तीसगढ़ की राजकीय पक्षी पहाड़ी मैना सहवास क्षेत्र भी कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान ही है. यहां कई ऐसे विलुप्तप्राय वन्य जीव हैं, जो दूसरे जगह देखने को नहीं मिलते. कांगेर वैली नेशनल पार्क को देखने के लिए हर साल लाखों की संख्या में पर्यटक बस्तर पहुंचते हैं.
तीरथगढ़ जलप्रपात: बस्तर के कांगेर वैली नेशनल पार्क में तीरथगढ़ जलप्रपात शामिल है. तीरथगढ़ जलप्रपात बस्तर का दूसरा सबसे बड़ा जल प्रपात है. इस वाटरफॉल में मुनगा बहार का पानी गिरता है. इस वाटरफॉल की खासियत है कि यहां का जल प्रपात थ्री स्टेप में होकर नीचे गिरता है. इस जलप्रपात की ऊंचाई 100 फीट से भी ज्यादा है. तीरथगढ़ जलप्रपात के पास जल्द ही ग्लास ब्रिज बनाए जाने की योजना है. जिसके बाद कांगेर वैली की खूबसूरती और बढ़ जाएगी.
कोटमसर गुफा: कांगेर वैली नेशनल पार्क में प्राकृतिक कोटमसर गुफा मौजूद है. जो 50 फीट के करीब चौड़ी है. गुफा के अंदर कई आकृतियां बनी हुई है. इसके अलावा इस गुफा के अंदर अंधी मछली भी पाई जाती है. कोटमसर गुफा के अलावा दंडक गुफा, कैलाश गुफा, हरि गुफा, मादरकोंटा गुफा मौजूद है. इन स्थानों पर पर्यटकों के सुविधा के लिए होम स्टे भी है. मानसून में गुफाओं में पानी भर जाने के कारण सुरक्षा की दृष्टि से बंद कर दिया जाता है. जो अक्टूबर के आखिरी हफ्ते तक बंद ही रहती है.
मिचनार हिल्स स्टेशन: जलप्रपातें, गुफाएं और दलपत सागर के अलावा हिल्स स्टेशन भी मौजूद है. जिसे मिचनार हिल्स स्टेशन भी कहा जाता है. मिचनार गांव में मौजूद होने के कारण इसका नाम मिचनार हिल्स स्टेशन पड़ा. यह लोहंडीगुड़ा और तोकापाल ब्लॉक के बॉर्डर में मौजूद मौजूद है. इसकी ऊंचाई करीब 100 फिट है. पर्यटकों को 100 फिट ऊंची पहाड़ पर पहुंचने के लिए पैदल खड़ी चढ़ाई करना पड़ता है. ऊपर चढ़ते ही वो खूबसूरत दृश्य पर्यटकों के सामने होता है, जिसकी खूबसूरती पर्यटकों का मंत्रमुग्ध कर देती है. यह हिल्स स्टेशन आपको ऊंटी और बड़े बड़े हिल्स स्टेशनों की अनुभूति कराता है.
दलपत सागर: बस्तर के जंगल से निकलने के बाद जगदलपुर शहर में दलपत सागर लोगों के देखने के लिए अच्छी जगह है. यह धरोहर करीब 400 हेक्टेयर में फैली हुई है. जिसे रियासत काल में बस्तर के राजा दलपतदेव ने बनवाया था. दलपत सागर के बीच में जिला प्रशासन ने आइलैंड का भी निर्माण कराया है, जो काफी खूबसूरत है.
बस्तर के बाद अब आपको सरगुजा की सैर कराते हैं. सरगुजा में मैनपाट, उल्टा पानी, जलजली, टाइगर प्वाइंट जैसे पिकनिक स्पॉट है. जहां एक बार आने के बाद आपका मन बार बार आने को करेगा.
उल्टा पानी: मैनपाट में उल्टा पानी में पानी की धार ढलान से चढ़ान की ओर चढ़ती है. बंद गाड़ियां भी अपने आप चढ़ान की ओर लुढ़कने लगती हैं. ये नजारा लोगों को अचरज में डाल देता है. कुछ लोग इसे मैग्नेटिक फील्ड कहते हैं तो वहीं भू-गर्भ शास्त्री इसे ऑप्टिकल इल्यूजन बताते हैं.
जलजली में हिलती है जमीन: मैनपाट में ही जलजली या दलदली में जमीन स्पंज की तरह हिलती है. यहां घूमने आने वाले पर्यटक जमीन पर कूदकर स्पंज का अनुभव करते हैं. जानकार बताते हैं की इस जमीन के नीचे दलदल है और ऊपर जमीन, जिस वजह से यहां जमीन स्पंज की तरह हिलती है.
टाइगर प्वॉइंट: यह स्थान घनघोर जंगल के बीच है. यहां पानी का तेज बहाव और फिर काफी ऊंचाई से गिरता झरना बेहद आकर्षक लगता है. प्रकृति के अनुपम नजारे लोगों को बेहद पसंद आते हैं. इस वाटर फॉल को ऊपर और नीचे दोनों ही स्थानों से देखा जा सकता है. ये जगह अंबिकापुर से मैनपाट होते हुए सीतापुर जाने वाले मुख्य मार्ग से करीब 300 मीटर अंदर है. इसकी अंबिकापुर से कुल दूरी करीब 65 किलोमीटर है. यहां भी पब्लिक ट्रांसपोर्ट से जाया जा सकता है.
सतबहिनी वाटरफॉल के साथ नेचुरल सनसेट पॉइंट: बलरामपुर जिला मुख्यालय से लगभग 18 किलोमीटर की दूरी पर ग्राम पंचायत विश्रामनगर में मौजूद यह बेहतरीन वाटरफॉल अपने आप में नायाब प्राकृतिक पर्यटन स्थल है. ऊंची पहाड़ियों से आ रहा पानी यहां झरने का रूप ले लेता है. दूरदराज के जंगलों से आते हुए बारिश का पानी पत्थरों, चट्टानों से टकराते हुए अनेकों छोटे-छोटे झरने निर्मित होते हैं. यहां नेचुरल सनसेट पॉइंट चारों तरफ से ऊंची-ऊंची पहाड़ियों से घिरा हुआ है.
तातापानी: बलरामपुर के प्रमुख धार्मिक सांस्कृतिक और पर्यटन स्थल में तातापानी का नाम प्रमुख है. यहां से अनवरत गर्मपानी निकलता है. जो पूरे छत्तीसगढ़ के साथ ही देशभर में प्रसिद्ध है. राष्ट्रीय राजमार्ग 343 के जरिए यहां पहुंचा जा सकता है.
पवई वाटरफॉल: बलरामपुर जिला मुख्यालय से करीब 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित पवई वाटरफॉल बेहतरीन पर्यटन स्थल है. पहाड़ की ऊंचाई से लगभग 100 फीट की ऊंचाई से ये वॉटरफॉल गिरता है. यह प्राकृतिक सौन्दर्य से परिपूर्ण पर्यटन स्थल चारों तरफ से घने जंगल से घिरा हुआ है.
सरगुजा के अलावा कोरबा में भी घूमने लायक कई ऐसे जगह है जहां आकर आपको काफी अच्छा लगेगा.
सतरेंगा : कोरबा जिला मुख्यालय से सतरेंगा की दूरी 35 किलोमीटर है. पहाड़ की चोटी शिवलिंग के आकार की है.इसलिए इसे महादेव पहाड़ की संज्ञा दी जाती है. मौजूदा समय में यहां बोटिंग करने के साथ ही पर्यटकों के रुकने के लिए रिजॉर्ट भी है. यहां आकर लोगों को मिनी गोवा का अहसास होता है.
बुका : इको फ्रेंडली पर्यटन स्थल बुका कटघोरा वन मंडल के अंदर आता है. जो कटघोरा अंबिकापुर मार्ग पर है. यहां मोबाइल नेटवर्क काम नहीं करता, लेकिन आप प्रकृति से कनेक्ट हो सकते हैं. वन विभाग ने यहां ग्लास हाउस बनाया है. यहां भी पानी की बड़ी झील है.जिससे कुछ दूर पर गोल्डन आइलैंड भी है. बुका और गोल्डन आइलैंड को मिलाकर लगभग 35 छोटे-छोटे टापू यहां मौजूद हैं. गोल्डन आइलैंड में उगते सूरज को देखने से ऐसा लगता है जैसे सुनहरे रंग की चादर बिछी हो.इसी वजह से इसे गोल्डन आईलैंड कहा जाता है.
देवपहरी और रानी झरिया: यह दोनों पर्यटन स्थल सतरेंगा के आसपास ही हैं. सतरेंगा जाते हुए रास्ते में रानी झरिया का झरना है. मुख्य सड़क से लगभग 4 किलोमीटर जंगल के भीतर ट्रैकिंग कर जाना पड़ता है. ट्रैकिंग का एक्सपीरियंस आपको हिमाचल के वादियों का अहसास कराता है. रानी झरिया का पानी काफी ठंडा रहता है.
धमतरी का गंगरेल डैम घूमने पूरे प्रदेश के लोग आते हैं. महानदी पर बने गंगरेल को देखने से किसी समंदर को देखने का अनुभव होता है. पूरे सालभर यहां पिकनिक मनाने काफी संख्या में लोग पहुंचते हैं.