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चिन्यालीसौड़ हवाई अड्डे का सौंदर्यीकरण कागजों में सिमटा, इस कारण रात में नहीं होती है लैंडिंग

Chinyalisaur Airport सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण चिन्यालीसौड़ हवाई अड्डे का सौंदर्यीकरण और विस्तारीकरण की योजना कागजों में सिमट कर रह गई है. जिसके चलते हवाई अड्डे पर रनवे लाइटिंग जैसे कामकाज नहीं हुए हैं. जिससे रात के समय विमान लैंडिंग नहीं कर पाते हैं.

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jan 20, 2024, 4:08 PM IST

उत्तरकाशी: भारत चीन सीमा से लगा चिन्यालीसौड़ हवाई अड्डा भारतीय सेना के लिए महत्वपूर्ण है. यही वजह है कि भारतीय सेना इसे अपने एडवांस लैंडिंग ग्राउंड (एएलजी) के रूप में विकसित करना चाहती है. लेकिन हवाई अड्डे के सौंदर्यीकरण और विस्तारीकरण के लंबे समय से अधूरे पड़े कार्यों के चलते यह मुमकिन नहीं हो पा रहा है.

साल 2013 में शुरू हुआ था सौंदर्यीकरण कार्य: साल 2013 में 46 करोड़ रुपये के बजट से हवाई अड्डे का सौंदर्यीकरण कार्य शुरू हुआ था. जिसमें से 40 करोड़ रुपये की लागत से यूपी निर्माण निगम ने रनवे का डामरीकरण, बाउंड्री वॉल, एटीसी टावर, टर्मिनल बिल्डिंग, सब स्टेशन, टैक्सी वे और एप्रन, एप्रोच रोड आदि काम करवाए थे. शेष 6 करोड़ रुपए का बजट नहीं मिलने से लेबलिंग, ग्रासिंग, ड्रेनेज, अनाउंसमेंट, फायर अलार्म और एयरपोर्ट रनवे पर लाइटिंग जैसे काम नहीं हो पाए.

विस्तारीकरण के लिए भेजे गए प्रस्ताव को नहीं मिली स्वीकृति: रनवे के विस्तारीकरण का काम भी शुरू नहीं हो पाया है. हालांकि लोक निर्माण विभाग चिन्यालीसौड़ ने शासन के निर्देश पर रनवे के विस्तारीकरण के लिए 2 साल पहले 19 करोड़ रुपए का एस्टीमेट तैयार कर स्वीकृति के लिए शासन को भेजा था, लेकिन प्रस्ताव को अब तक स्वीकृति नहीं मिल पाई है. जिसके चलते हवाई अड्डे के विस्तारीकरण का काम भी शुरू नहीं हो पा रहा है. लोक निर्माण विभाग के ईई मनोज दास ने बताया कि वायुसेना ने सरकार से रनवे की लंबाई 150 मीटर बढ़ाने की मांग की थी. जिस पर शासन के निर्देश पर 19 करोड़ रुपये का एस्टीमेट तैयार कर शासन को भेजा गया है, लेकिन अभी तक एस्टीमेट को स्वीकृति नहीं मिल पाई है.

ये भी पढ़ें: उत्तराखंड के कई हेलीपैड को टेकओवर कर सकती है वायुसेना

सिलक्यारा सुरंग हादसे में काम आया था हवाई अड्डा: बीते वर्ष नवंबर माह में हुए सिलक्यारा सुरंग हादसे में भी चिन्यालीसौड़ हवाई अड्डा काम आया था. नई दिल्ली से जब नई ऑगर मशीन मंगवाई गई थी, तो उसे भी तीन खेप में वायुसेना के हरक्यूलिस विमान से चिन्यालीसौड़ हवाई अड्डे पर ही उतारा गया था. साल 2013 की आपदा में भी यह हवाई अड्डा खासा महत्वपूर्ण साबित हुआ था, लेकिन यहां रात्रि में विमानों की लैंडिंग नहीं होने से यह रात के समय में काम नहीं आ पाता है.

ये भी पढ़ें: चीन सीमा के पास आर्मी और एयरफोर्स करेगी संयुक्त अभ्यास, ये है वजह

उत्तरकाशी: भारत चीन सीमा से लगा चिन्यालीसौड़ हवाई अड्डा भारतीय सेना के लिए महत्वपूर्ण है. यही वजह है कि भारतीय सेना इसे अपने एडवांस लैंडिंग ग्राउंड (एएलजी) के रूप में विकसित करना चाहती है. लेकिन हवाई अड्डे के सौंदर्यीकरण और विस्तारीकरण के लंबे समय से अधूरे पड़े कार्यों के चलते यह मुमकिन नहीं हो पा रहा है.

साल 2013 में शुरू हुआ था सौंदर्यीकरण कार्य: साल 2013 में 46 करोड़ रुपये के बजट से हवाई अड्डे का सौंदर्यीकरण कार्य शुरू हुआ था. जिसमें से 40 करोड़ रुपये की लागत से यूपी निर्माण निगम ने रनवे का डामरीकरण, बाउंड्री वॉल, एटीसी टावर, टर्मिनल बिल्डिंग, सब स्टेशन, टैक्सी वे और एप्रन, एप्रोच रोड आदि काम करवाए थे. शेष 6 करोड़ रुपए का बजट नहीं मिलने से लेबलिंग, ग्रासिंग, ड्रेनेज, अनाउंसमेंट, फायर अलार्म और एयरपोर्ट रनवे पर लाइटिंग जैसे काम नहीं हो पाए.

विस्तारीकरण के लिए भेजे गए प्रस्ताव को नहीं मिली स्वीकृति: रनवे के विस्तारीकरण का काम भी शुरू नहीं हो पाया है. हालांकि लोक निर्माण विभाग चिन्यालीसौड़ ने शासन के निर्देश पर रनवे के विस्तारीकरण के लिए 2 साल पहले 19 करोड़ रुपए का एस्टीमेट तैयार कर स्वीकृति के लिए शासन को भेजा था, लेकिन प्रस्ताव को अब तक स्वीकृति नहीं मिल पाई है. जिसके चलते हवाई अड्डे के विस्तारीकरण का काम भी शुरू नहीं हो पा रहा है. लोक निर्माण विभाग के ईई मनोज दास ने बताया कि वायुसेना ने सरकार से रनवे की लंबाई 150 मीटर बढ़ाने की मांग की थी. जिस पर शासन के निर्देश पर 19 करोड़ रुपये का एस्टीमेट तैयार कर शासन को भेजा गया है, लेकिन अभी तक एस्टीमेट को स्वीकृति नहीं मिल पाई है.

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सिलक्यारा सुरंग हादसे में काम आया था हवाई अड्डा: बीते वर्ष नवंबर माह में हुए सिलक्यारा सुरंग हादसे में भी चिन्यालीसौड़ हवाई अड्डा काम आया था. नई दिल्ली से जब नई ऑगर मशीन मंगवाई गई थी, तो उसे भी तीन खेप में वायुसेना के हरक्यूलिस विमान से चिन्यालीसौड़ हवाई अड्डे पर ही उतारा गया था. साल 2013 की आपदा में भी यह हवाई अड्डा खासा महत्वपूर्ण साबित हुआ था, लेकिन यहां रात्रि में विमानों की लैंडिंग नहीं होने से यह रात के समय में काम नहीं आ पाता है.

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