कांकेर : कांकेर के जंगलवार कॉलेज परिसर में सुबह 6 बजे ड्यूटी कर रहे जवानों ने भालू को घूमते देखा. कॉलेज परिसर में 8 भालू हैं, जो हमेशा अलग-अलग हिस्से में घूमते दिखते हैं. जिसके कारण जवानों ने उस पर ध्यान नहीं दिया. शिफ्ट चेंज होने के बाद दूसरे जवान ड्यूटी पर पहुंचे तो बिजली बंद थी.जवान बिजली बंद होने के कारण सुबह 10 बजे कुर्सी बाहर निकाल बैठ गए. इसी दौरान भवन के ऊपर जाने वाली सीढ़ी की ओर से आहट हुई. जवानों ने जाकर देखा तो सीढ़ी के नीचे एक भालू बेसुध पड़ा था.
सिगारभाट डिपो में चल रहा भालू का इलाज : जवानों ने सूचना वन विभाग को दी गई. टीम मौके पर पहुंची और भालू को पकड़ने रेस्क्यू शुरू किया. सुरक्षा के मद्देनजर भवन के कुछ हिस्से को खाली कराया गया. फिर पिंजरा लगाकर भालू को सिंगारभाट डिपो लाया गया. शुरुआती जांच में पाया गया कि गर्मी के कारण भालू की तबीयत बिगड़ गई है. शरीर में लू के लक्षण दिख रहे थे.इसके कारण भालू सुस्त हो गया था. वन विभाग ने प्रारंभिक उपचार करते इलेक्ट्रॉल और ग्लूकोज का घोल भालू को पिलाया.यदि भालू की तबीयत में सुधार नहीं हुआ तो उसे डिप चढ़ाई जाएगी.
इलाज के बाद भालू को जंगल में छोड़ा जाएगा : वन परिक्षेत्र अधिकारी अब्दुल रहमान खान ने बताया कि जंगलवार कॉलेज से सुबह लगभग सवा 11 बजे जानकारी मिली. वनमंडलाधिकारी आलोक बाजपेयी और एसडीओ आरएस मरकाम के मार्गदर्शन में रेस्क्यू करके भालू को लाया गया और ईलाज करवाया गया.
''भालू की हालत ठीक है.उच्च अधिकारियों से जो निर्देश मिलेगा, उसका पालन किया जाएगा कि भालू को किस जंगल में छोड़ा जाना उचित रहेगा.''- अब्दुल रहमान, वन परिक्षेत्र अधिकारी
गर्मी का सितम : आपको बता दें कि प्रशासन ने हीट वेव से बचने के लिए निर्देश जारी किए हैं. गर्मी के कारण अस्पतालों में पेट दर्द और डिहाइड्रेशन के मरीजों की तादाद बढ़ती जा रही है. शनिवार 25 मई से नौतपा शुरू होकर 2 जून तक चलेगा. नौतपा के पहले दिन बाद तापमान 39 डिग्री के आसपास रहेगा. नौतपा के तीसरे दिन से पारा बढ़ने लगेगा. छठवें से आठवें दिन तक पारा 43 डिग्री तक पहुंचने की संभावना है. इसके बाद तापमान कम होने लगेगा।
जामवंत परियोजना फेल : वन विभाग कांकेर ने भालूओं के आवास और विचरण क्षेत्र के लिए जामवंत परियोजना लाई थी.2014-15 में इस योजना को अस्तित्व में लाया गया. जिसके तहत 30.630 हेक्टेयर भूमि में विचरण क्षेत्र बना.इस क्षेत्र में फलदार पौधे लगाए गए.लेकिन एक भी पौधा पेड़ ना बन सका.अब भालुओं को अपना जीवन बचाने के लिए इस क्षेत्र में संघर्ष करना पड़ रहा है.