बीजापुर: छत्तीसगढ़ में इन दिनों पोटाकेबिन अधीक्षकों की लापरवाही देखने को मिल रही है. ताजा मामला बीजापुर का है. यहां एक बच्ची का इलाज में देरी के कारण मौत हो गई. बच्ची को मलेरिया था. पोटाकेबिन के अधीक्षिका ने बच्ची को इलाज कराने के बजाए परिजनों को सौंप दिया. बच्ची को बीजापुर से जगदलपुर इलाज के लिए रेफर किया गया. इलाज के दौरान बच्ची की मौत हो गई.
पोटाकेबिन की छात्रा की मौत: दरअसल, ये पूरा मामला बीजापुर का है. कन्या आवासीय आश्रम तारलागुडा की अधिक्षिका ने छात्रा की तबीयत खराब होने पर उपचार कराने के बजाए उसे परिजनों को सौंप दिया. समय पर उपचार नहीं होने से छात्रा की मौत हो गई. छात्रा चंदूर गांव की रहने वाली थी. बच्ची का नाम दीक्षिता रेगा था. बीजापुर से बच्ची को बेहतर इलाज के लिए जगदलपुर मेडिकल कॉलेज डिमरापाल लाया गया. वहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई.
बच्ची को मलेरिया था. गुरुवार को मै तारलागुड़ा गया था, जहां मुझे बच्ची के बारे में किसी ने नहीं बताया. 7 जुलाई को संस्था आई थी. 8 जुलाई को तबीयत सही न होने के कारण परिजन अपने घर लेकर चले गए. -एम.व्ही .राव, डीएमसी
कई छात्राएं पड़ी बीमार:जानकारी के मुताबिक पोटाकेबिन की कई छात्राओं को मलेरिया है. बीजापुर संगमपल्ली पोटाकेबिन की छात्राओं को बीमार पड़ने पर जिला चिकित्सालय में भर्ती कराया गया है. सभी का उपचार जारी है. वहीं, जानकारी के बाद जिला कलेक्टर, जिला पंचायत सीईओ, एसडीएम मौके पर पहुंचे हैं.
छत्तीसगढ़ में मलेरिया के मरीज बढ़ रहे: बता दें कि बरसात के मौसम में शहरी के अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में भी हर दिन मलेरिया के मरीज बढ़ रहे है. जिले के मेकाज में रोजाना दो से तीन मलेरिया के मरीज पहुंच रहे हैं. बताया जा रहा है कि बस्तर के अंदुरुनी इलाकों में मलेरिया के काफी संख्या में मरीज मेकाज पहुंच रहे हैं. हालांकि स्थिति गंभीर होने पर मरीजों को बेहतर उपचार के लिए दूसरे अस्पताल रेफर किया जाता है.