बस्तर: विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा अब खत्म होने जा रहा है. 75 दिनों तक चलने वाले बस्तर दशहरा की दूसरी आखिरी रस्म कुटुम्ब जात्रा बुधवार को विधि विधान से निभाई गई. यह रस्म गंगामुण्डा स्थित स्कूल परिसर में निभाई गई है. इस दौरान भारी संख्या में स्थानीय आदिवासी और पर्यटक मौजूद रहे.
निभाई गई कुटुम्ब जात्रा रस्म: इस बारे में बस्तर राजपरिवार सदस्य कमलचंद ने कहा कि यह रस्म गंगामुण्डा में निभाई जाती है. जैसे सभी परिवारों का कुटुम्ब होता है. वैसे ही दंतेश्वरी देवी के भी कुटुम्ब होते हैं. जैसे आंगा देव, लाट देव और अन्य देवी देवता इसमें शामिल हैं. दंतेश्वरी देवी और अन्य कुटुम्ब के लोगों को आज विदा दिया जाता है. पूजा-पाठ करके बकरे की बलि भी दी जाती है. इसके साथ ही अन्य भक्त जो देवी से मन्नत मांगते हैं. वो अपने मन्नत के अनुसार बलि देते हैं. इस दौरान भारी संख्या में लोग मौजूद रहते हैं.
विदाई के बाद दंतेश्वरी देवी क्षत्र जिया डेरा में जाकर स्थापित हो जाती हैं. अन्य देवी-देवता जो दंतेश्वरी देवी के साथ आते हैं, उन्हें पंचमी को निमंत्रण दिया गया था. वो सभी अपने-अपने क्षेत्रों के लिए रवाना हो जाते हैं. जिया डेरा में स्थापित दंतेश्वरी देवी का क्षत्र मावली देवी के डोली के साथ दंतेवाड़ा मंदिर के लिए रवाना हो जाता है. इसे ही कुटुम्ब जात्रा कहा जाता है. इसके बाद शविनार को डोली विदाई रस्म निभाई जाएगी. इस रस्म के साथ बस्तर दशहरे का समापन हो जाएगा.: कमलचंद भंजदेव, राजपरिवार सदस्य
बता दें कि बस्तर में 70 से अधिक दिनों तक बस्तर दशहरा पर्व मनाया जाता है. ये विश्व प्रसिद्ध है. इसमें अलग-अलग तरह की अनोखी रस्में निभाई जाती है. इन रस्मों से जुड़ी मान्यताएं भी है, जो कि सदियों से चली आ रही है. आज बस्तर दशहरा का खास रस्म कुटुम्ब जात्रा निभाया गया. अब शनिवार को डोली विदाई रस्म के साथ ही बस्तर दशहरा का समापन होगा.