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मावली देवी को विदाई के साथ विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा संपन्न, निकाली गई विशाल कलश यात्रा

बस्तर दशहरा 2024 का समापन डोली विदाई रस्म के साथ सम्पन्न हुई. मावली देवी को लोगों ने विदाई दी.

Bastar Dussehra 2024
बस्तर दशहरा 2024 (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Oct 19, 2024, 8:22 PM IST

बस्तर: विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा पर्व शनिवार को डोली विदाई रस्म के साथ खत्म हो गया. ये पर्व इस बार 77 दिनों तक मनाया गया. इस रस्म को जगदलपुर शहर के गीदम रोड स्थित जिया डेरा मंदिर से निभाया गया. यहां से मावली देवी की डोली को माटी पुजारी दंतेश्वरी मंदिर से पैदल अपने कंधे पर लादकर पहुंचाते हैं. इस दौरान जगह-जगह डोली में फूलों की वर्षा की जाती है. बड़ी संख्या में स्थानीय नागरिक मौजूद रहते हैं. नंगे पांव राजमहल परिसर से निकलकर माटी पुजारी के लिए सड़क पर फूल और कार्पेट बिछाया जाता है.

विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा संपन्न (ETV Bharat)

शहर में निकाली गई विशाल कलश यात्रा: इस दौरान भारी संख्या में लोगों की भीड़ उमड़ती है. स्थानीय लोगों पूजा अर्चना कर मावली देवी की डोली को विदा करते हैं. इस मौके पर शहर में विशाल कलश यात्रा निकाली गई. डोली को विदा करने के लिए शहर में लोगों की भीड़ देखते बन रही थी. एक बेटी की तरह डोली की विदाई शनिवार को दी गई.

बेटी की तरह दी गई विदाई: इस बारे में बस्तर राजपरिवार सदस्य कमलचंद भंजदेव ने बताया कि नवरात्रि के पंचमी के दिन मावली देवी को दशहरे पर्व में शामिल होने के लिए न्यौता दिया गया था. पंचमी के बाद मावली देवी की डोली और दंतेश्वरी देवी के छत्र को दंतेवाड़ा से जिया डेरा लाया गया. इसके बाद शनिवार को ससम्मान डोली की विदाई की गई. जिया बाबा जो कि राजपरिवार द्वारा नियुक्त किए गए पुजारी हैं, वो डोली और छत्र को लेकर दंतेवाड़ा मंदिर पहुंचते हैं. जब देवी दंतेश्वरी से आती हैं, तब मंदिर की जिम्मेदारी दूसरे को देती है. शनिवार को नम आंखों से डोली विदाई रस्म निभाई गई. जैसे एक बेटी को विदा किया जाता है, ठीक वैसे ही मावली देवी को विदा किया गया.

इस साल रिकॉर्ड बन गया है. पूरे बस्तर क्षेत्र और पड़ोसी राज्यों से करीब 1500 से अधिक देवी-देवता पहुंचे हुए थे, जिन्होंने भव्यता के साथ बस्तर दशहरा पर्व को मनाने में अपना योगदान दिए. -महेश कश्यप, सांसद, बस्तर

5 लाख से अधिक पदयात्री हुए शामिल: इस मौके पर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष किरण सिंहदेव ने कहा कि इस साल लाखों की संख्या में पर्यटक बस्तर पहुंचे. बड़े हर्ष की बात है कि इस साल करीब 5 लाख से अधिक पदयात्री पदयात्रा करते हुए विभिन्न क्षेत्रों से दंतेश्वरी देवी का दर्शन करने दंतेवाड़ा पहुंचे हुए थे. इसके साथ ही मावली देवी और दंतेश्वरी देवी से कामना करता हूं कि अपना आशीर्वाद यूं ही बनाए रखे. साथ ही बस्तर सहित पूरे छत्तीसगढ़ की सुरक्षा करें.

अंतिम यात्रा में उमड़ा जनसैलाब: बता दें कि शनिवार को बस्तर दशहरा का अंतिम रस्म मावली देवी की विदाई निभाई गई. इस दौरान मावली देवी के डोली को माटी पुजारी दंतेश्वरी मंदिर से पैदल अपने कंघे पर लादकर पहुंचते हैं. इस दौरान भाजपा प्रदेश अध्यक्ष किरण सिंहदेव, बस्तर सांसद महेश कश्यप सहित बड़ी संख्या में आम नागरिक मौजूद रहे. बस्तर दशहरा के अंतिम रस्म में भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिली.

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बस्तर: विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा पर्व शनिवार को डोली विदाई रस्म के साथ खत्म हो गया. ये पर्व इस बार 77 दिनों तक मनाया गया. इस रस्म को जगदलपुर शहर के गीदम रोड स्थित जिया डेरा मंदिर से निभाया गया. यहां से मावली देवी की डोली को माटी पुजारी दंतेश्वरी मंदिर से पैदल अपने कंधे पर लादकर पहुंचाते हैं. इस दौरान जगह-जगह डोली में फूलों की वर्षा की जाती है. बड़ी संख्या में स्थानीय नागरिक मौजूद रहते हैं. नंगे पांव राजमहल परिसर से निकलकर माटी पुजारी के लिए सड़क पर फूल और कार्पेट बिछाया जाता है.

विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा संपन्न (ETV Bharat)

शहर में निकाली गई विशाल कलश यात्रा: इस दौरान भारी संख्या में लोगों की भीड़ उमड़ती है. स्थानीय लोगों पूजा अर्चना कर मावली देवी की डोली को विदा करते हैं. इस मौके पर शहर में विशाल कलश यात्रा निकाली गई. डोली को विदा करने के लिए शहर में लोगों की भीड़ देखते बन रही थी. एक बेटी की तरह डोली की विदाई शनिवार को दी गई.

बेटी की तरह दी गई विदाई: इस बारे में बस्तर राजपरिवार सदस्य कमलचंद भंजदेव ने बताया कि नवरात्रि के पंचमी के दिन मावली देवी को दशहरे पर्व में शामिल होने के लिए न्यौता दिया गया था. पंचमी के बाद मावली देवी की डोली और दंतेश्वरी देवी के छत्र को दंतेवाड़ा से जिया डेरा लाया गया. इसके बाद शनिवार को ससम्मान डोली की विदाई की गई. जिया बाबा जो कि राजपरिवार द्वारा नियुक्त किए गए पुजारी हैं, वो डोली और छत्र को लेकर दंतेवाड़ा मंदिर पहुंचते हैं. जब देवी दंतेश्वरी से आती हैं, तब मंदिर की जिम्मेदारी दूसरे को देती है. शनिवार को नम आंखों से डोली विदाई रस्म निभाई गई. जैसे एक बेटी को विदा किया जाता है, ठीक वैसे ही मावली देवी को विदा किया गया.

इस साल रिकॉर्ड बन गया है. पूरे बस्तर क्षेत्र और पड़ोसी राज्यों से करीब 1500 से अधिक देवी-देवता पहुंचे हुए थे, जिन्होंने भव्यता के साथ बस्तर दशहरा पर्व को मनाने में अपना योगदान दिए. -महेश कश्यप, सांसद, बस्तर

5 लाख से अधिक पदयात्री हुए शामिल: इस मौके पर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष किरण सिंहदेव ने कहा कि इस साल लाखों की संख्या में पर्यटक बस्तर पहुंचे. बड़े हर्ष की बात है कि इस साल करीब 5 लाख से अधिक पदयात्री पदयात्रा करते हुए विभिन्न क्षेत्रों से दंतेश्वरी देवी का दर्शन करने दंतेवाड़ा पहुंचे हुए थे. इसके साथ ही मावली देवी और दंतेश्वरी देवी से कामना करता हूं कि अपना आशीर्वाद यूं ही बनाए रखे. साथ ही बस्तर सहित पूरे छत्तीसगढ़ की सुरक्षा करें.

अंतिम यात्रा में उमड़ा जनसैलाब: बता दें कि शनिवार को बस्तर दशहरा का अंतिम रस्म मावली देवी की विदाई निभाई गई. इस दौरान मावली देवी के डोली को माटी पुजारी दंतेश्वरी मंदिर से पैदल अपने कंघे पर लादकर पहुंचते हैं. इस दौरान भाजपा प्रदेश अध्यक्ष किरण सिंहदेव, बस्तर सांसद महेश कश्यप सहित बड़ी संख्या में आम नागरिक मौजूद रहे. बस्तर दशहरा के अंतिम रस्म में भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिली.

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