बलरामपुर : बसंत पंचमी यानी कि सरस्वती पूजा का त्यौहार अब नजदीक आ चुका है. माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का त्यौहार मनाया जाता है. इस साल 2 फरवरी को सरस्वती पूजा का पर्व मनाया जाएगा. इस बीच रामानुजगंज क्षेत्र में रहने वाले बंगाली समाज के मूर्तिकार पारंपरिक रूप से मां सरस्वती की प्रतिमाएं बनाने में जुटे हैं.
प्रतिमाओं को अंतिम रूप देने में जुटे मूर्तिकार : रामानुजगंज क्षेत्र में रहने वाले बंगाली मूर्तिकार पारंपरिक रूप से पीढ़ी दर पीढ़ी मुर्तियां बनाकर बेचने का व्यवसाय कर रहे हैं. सरस्वती पूजा के लिए विद्या की देवी मां सरस्वती की प्रतिमाएं बनाने में मूर्तिकारों का पूरा परिवार जुटा हुआ है. हालांकि मूर्तिकारों का यह भी कहना है कि लागत के अनुसार उन्हें रेट नहीं मिल पाता इसके बावजूद वह अपने पारंपरिक व्यवसाय को आगे बढ़ा रहे हैं.
डिमांड के मुताबिक बनाई जा रही मूर्तियां : रामानुजगंज के केरवाशीला गांव में रहने वाली बुजुर्ग महिला मूर्तिकार सीता देवी ने ईटीवी भारत से बात करते हुए बताया कि मार्केट में डिमांड के अनुसार छोटी-बड़ी सभी तरह की रंग-बिरंगी और आकर्षक मुर्तियां बनाई जा रही है. मूर्तियों को तैयार करने के बाद उसका श्रृंगार किया जा रहा है. इसमें कपड़ा, मुकूट, बाल सहित अन्य श्रृंगार की वस्तुएं लगती है. जिसके बाद मूर्तियां आकर्षक दिखाई देती हैं.
सरस्वती पूजा के लिए डिमांड के मुताबिक मूर्तियां बनाई जा रही है. इन मूर्तियों की कीमत 900 रूपए से लेकर 9000 रूपए तक रखी गई है. इस बार हम परिवार के साथ मिलकर लगभग 65 मूर्तियां बना रहे हैं, जिन्हें बाजारों में बेचा जाएगा : सीता देवी, महिला मूर्तिकार
पीढ़ियों से कर रहे मूर्तियों का व्यवसाय : महिला मूर्तिकार ने को बताया कि हमारा परिवार पिछले 50 से 60 वर्षों से मूर्तियों को बनाकर बेचने का व्यवसाय कर रहे हैं. घर के सभी लोग मिलकर मूर्तियां तैयार करते हैं. इन मूर्तियों को बनाने में उपयोग होने वाली मिट्टी कलकत्ता से मंगाई जाती है. मूर्तियों को बनाने में लागत अधिक लग जाता है, लेकिन उस हिसाब से हमें रेट नहीं मिल पाता है.
शैक्षणिक संस्थानों में बसंत पंचमी को लेकर उत्साह : वसंत पंचमी 2025 स्कूल कॉलेज सहित शैक्षणिक संस्थानों और कार्यालयों में धूमधाम से मनाई जाती है. खासकर बच्चों में मां सरस्वती की प्रतिमाएं स्थापित करने और पूजा-अर्चना करने को लेकर काफी उत्साह देखने को मिलता है.