ETV Bharat / state

नाव में लाए थे गजलक्ष्मी की प्रतिमा, दर्शन के लिए खुले 200 साल पुराने मंदिर के पट

200 सालों से भी ज्यादा पुराने महालक्ष्मी मंदिर में दीपावली के मौके पर सुबह 3 बजे पूजन के साथ पट खुल गए.

barwani-mahalaxmi-temple
महालक्ष्मी मंदिर में लोगों ने की पूजा (ETV Bharat)
author img

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Oct 31, 2024, 8:34 PM IST

Updated : Oct 31, 2024, 11:00 PM IST

बड़वानी: रानीपुरा इलाके में मौजूद महालक्ष्मी मंदिर में वैसे तो अभिषेक-पूजन, श्रृंगार और महाआरती पूरे साल होती है. लेकिन इस साल दीपोत्सव की अलग ही रौनक है. 200 साल से ज्यादा पुराने इस मंदिर में दीपावली के मौके पर हर दिन अलग थीम पर फूल बंग्ला सजाया जा रहा है. ये मंदिर कई मायनों में खास है. इसमें कमल आसन पर वरद मुद्रा यानि दान देने की मुद्रा में गजलक्ष्मी विराजित हैं.

200 साल से भी ज्यादा पुरानी है मंदिर

दिपावली के मौके पर सुबह 3 बजे अभिषेक पूजन के साथ 6 बजे पट खुल गया था. दिनभर दर्शनार्थियों के लिए मंदिर खुला रहेगा. तीसरी पीढ़ी से मंदिर में सेवा करने वाले पंडित राहुल शुक्ला ने कहा कि "ये मंदिर पोरवाड़ समाज के अधीनस्थ होकर 200 साल से भी ज्यादा पुराना है. एक भक्त को स्वप्न आने पर राजस्थान से नदियां पार कर नाव से प्रतिमा को यहां लाया गया था."

सुबह-सुबह अभिषेक

12 साल पहले इसका जीर्णोद्धार कराने के बाद अब ये बड़े स्वरूप में है. दिपावली पर अलसुबह से अभिषेक, पूजन के बाद 6 बजे पट खोले गए. इसके बाद 8 बजे आरती हुई. पंचमेवा, पान और रबड़ी सहित विभिन्न प्रकार की मिठाइयों का भोग लगाया गया. दर्शन के लिए दिनभर श्रद्धालुओं का आना जाना लगा रहा.

ये भी पढ़ें

मंदिर में नहीं है एक भी मूर्ति, दीपावली पर किसको पूजने जाते हैं भक्त, बरसती है कृपा

इंदौर के धन्वंतरि मंदिर में लगता है डॉक्टरों का मेला, धनतेरस पर होती है दवाइयों की सिद्धि

श्रद्धालु संतान प्राप्ति के लिए यहां से लेकर जाते हैं खीर

मंदिर में शारदीय नवरात्रि की अष्टमी और श्राद्ध पत्र की अष्टमी के दिन माता के जन्मोत्सव पर हवन होता है. इस दौरान हवन में डाली जाने वाली खीर को श्रद्धालु संतान प्राप्ति के लिए लेकर जाते हैं. वहीं श्रद्धालु ही माता के श्रृंगार की सामग्री भेंट करते है. जिससे माता रानी का श्रृंगार होता है.

बड़वानी: रानीपुरा इलाके में मौजूद महालक्ष्मी मंदिर में वैसे तो अभिषेक-पूजन, श्रृंगार और महाआरती पूरे साल होती है. लेकिन इस साल दीपोत्सव की अलग ही रौनक है. 200 साल से ज्यादा पुराने इस मंदिर में दीपावली के मौके पर हर दिन अलग थीम पर फूल बंग्ला सजाया जा रहा है. ये मंदिर कई मायनों में खास है. इसमें कमल आसन पर वरद मुद्रा यानि दान देने की मुद्रा में गजलक्ष्मी विराजित हैं.

200 साल से भी ज्यादा पुरानी है मंदिर

दिपावली के मौके पर सुबह 3 बजे अभिषेक पूजन के साथ 6 बजे पट खुल गया था. दिनभर दर्शनार्थियों के लिए मंदिर खुला रहेगा. तीसरी पीढ़ी से मंदिर में सेवा करने वाले पंडित राहुल शुक्ला ने कहा कि "ये मंदिर पोरवाड़ समाज के अधीनस्थ होकर 200 साल से भी ज्यादा पुराना है. एक भक्त को स्वप्न आने पर राजस्थान से नदियां पार कर नाव से प्रतिमा को यहां लाया गया था."

सुबह-सुबह अभिषेक

12 साल पहले इसका जीर्णोद्धार कराने के बाद अब ये बड़े स्वरूप में है. दिपावली पर अलसुबह से अभिषेक, पूजन के बाद 6 बजे पट खोले गए. इसके बाद 8 बजे आरती हुई. पंचमेवा, पान और रबड़ी सहित विभिन्न प्रकार की मिठाइयों का भोग लगाया गया. दर्शन के लिए दिनभर श्रद्धालुओं का आना जाना लगा रहा.

ये भी पढ़ें

मंदिर में नहीं है एक भी मूर्ति, दीपावली पर किसको पूजने जाते हैं भक्त, बरसती है कृपा

इंदौर के धन्वंतरि मंदिर में लगता है डॉक्टरों का मेला, धनतेरस पर होती है दवाइयों की सिद्धि

श्रद्धालु संतान प्राप्ति के लिए यहां से लेकर जाते हैं खीर

मंदिर में शारदीय नवरात्रि की अष्टमी और श्राद्ध पत्र की अष्टमी के दिन माता के जन्मोत्सव पर हवन होता है. इस दौरान हवन में डाली जाने वाली खीर को श्रद्धालु संतान प्राप्ति के लिए लेकर जाते हैं. वहीं श्रद्धालु ही माता के श्रृंगार की सामग्री भेंट करते है. जिससे माता रानी का श्रृंगार होता है.

Last Updated : Oct 31, 2024, 11:00 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.