प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के पदाधिकारी को नसीहत दी है कि वह ऐसा कोई कार्य न करें जो उनकी खुद की और बार के अन्य सदस्यों की गरिमा को गिराने वाला हो. हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष, महासचिव तथा कोषाध्यक्ष के बीच चल रहे विवाद को लेकर दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी न्यायमूर्ति एस डी सिंह और न्यायमूर्ति मंजीव शुक्ला की खंड पीठ की.
हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के कोषाध्यक्ष आशीष कुमार मिश्रा ने हाई कोर्ट में एक याचिका दाखिल कर मांग की थी कि बार एसोसिएशन के अध्यक्ष और मंत्री को बिना उनकी सहमति के बार एसोसिएशन के खाते से चेक जारी करने से रोका जाए. सुनवाई के दौरान दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए कि नया चुनाव घोषित हो चुका है और जल्द ही नई कार्यकारिणी प्रभाव में आ जाएगी. इसलिए बार एसोसिएशन के कर्मचारी के वेतन भुगतान और मेडिकल दावों के भुगतान आदि से संबंधित चेक तीनों की सहमति से जारी किया जाए. बैंक की अधिवक्ता की ओर से इस बाबत प्रस्ताव रखा गया कि जो भी चेक तीनों पदाधिकारी जारी करते हैं, इसकी सूचना पत्र के माध्यम से बैंक को दी जाए ताकि भविष्य में उठने वाले किसी विवाद से बचा जा सके. इस पर तीनों पदाधिकारी की ओर से सहमति जताई गई.
कोर्ट ने इसके बाद याचिका निस्तारित करते हुए कहा कि इस विवाद में दोनों पक्ष अधिवक्ता है. इसलिए वह जो भी कार्य करें वह उनकी गरिमा के अनुरूप होना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि पदाधिकारी को अपने छोटे-छोटे मतभेदों को लेकर एसोसिएशन के उद्देश्यों को हताश नहीं करना चाहिए. ना ही उनको कोई ऐसा कार्य करना चाहिए जो उनकी खुद की और बार के सदस्यों की गरिमा को गिराने वाला हो.