उमरिया। अपने हरे-भरे जंगलों और दुर्लभ वन्यजीवों के लिये दुनिया भर मे मशहूर बांधवगढ़ नेशनल पार्क इन दिनों नन्हे वनराजों की किलकारियों से गूंज रहा है. क्षेत्र संचालक के मुताबिक बीते कुछ महीनो के दौरान बांधवगढ़ के जंगलों में कई शावकों ने जन्म लिया है. इनकी संख्या एक से डेढ़ दर्जन बताई गई है. यह खबर वन्य जीव प्रेमियों के लिये सुकून के साथ चिंता का सबब बनी हुई है. उनका मानना है कि बीते कुछ सालों मे बांधवगढ़ ने कई बाघों को खोया है. ऐसे में नन्हे शावकों का बड़ा होकर अपने पूर्वजों की विरासत संभालना जरूरी है. उनकी चिंता उद्यान पर कुदृष्टि लगाये शिकारियों को लेकर भी है, जिनकी गतिविधियो की पुष्टि बीते दिनो कई बार हुई है.
कहां कितने शावक दिखे
क्षेत्र संचालक ने बताया कि बांधवगढ़ के मानपुर परिक्षेत्र की बडख़ेरा बीट स्थित एक गुफा मे बाघ के 2 नवजात शावक गश्ती के दौरान देखे गए हैं. इसी प्रकार पनपथा कोर परिक्षेत्र के चंसुरा मे लगभग 3 माह के 2 शावक, पनपथा बफर के बिरूहली क्षेत्र मे 3 माह के 2 शावक तथा धमोखर के बदरेहल एवं रायपुर क्षेत्र मे 6 माह के दो-दो शावक चिन्हित हुए हैं. इसके अलावा कल्लवाह परिक्षेत्र मे 8 से 10 माह के चार शावक लगातार देखे जा रहे हैं. इस दौरान ताला परिक्षेत्र मे लंबे समय से सैलानियों के आकर्षण का केन्द्र रही बाघिन टी-17 ने भी 4-5 शावकों को जन्म दिया है. जबकि पतौर परिक्षेत्र मे 8-12 माह के 12 शावक, धमोखर परिक्षेत्र मे 6 माह के 4 शावक, पनपथा बफर परिक्षेत्र मे 3 माह के 2 शावक, पनपथा कोर परिक्षेत्र मे 3 माह के 2 शावक, मानपुर मे नवजात 2 शावक, मगधी परिक्षेत्र मे 10-12 माह के 5 शावक, तथा खितौली परिक्षेत्र मे 8-12 माह के 4 शावकों के विचरण करने की बात कही जा रही है.
लगातार मिल रहे बाघों के शव
साल के शुरू में ही में एक बाघ शावक का कंकाल 10 जनवरी 24 को पतोर रेंज चिल्हारी बीट के आर 421 के कुशहा नाल में 15-16 महीना के बाघ शावक का एक महीना पुराना कंकाल पाया गया. 16 जनवरी 2024 को धमोखर परिक्षेत्र के ग्राम बरबसपुर से करीब एक किमी दूर नर बाघ शावक 12 से 15 माह का शव मिला. 23 जनवरी 2024 को मानपुर बफर रेंज के पटपरिया हार पीएफ 313 में एक बाघिन का शव पाया गया. 31 जनवरी 2024 बांधवगढ टाइगर रिजर्व के कल्लवाह परिक्षेत्र के आरएफ़ क्रम 255 में गश्ती के दौरान मृत अवस्था मे बाघ मिला. इन मामलों में अभी तक कोई खास खुलासा नहीं हो सका है. बस आपसी द्वंद बताकर इतिश्री कर ली गई है.
तस्करी के कई मामले
इसके अलावा बांधवगढ़ से पेंगालीन की तस्करी के कई मामले सामने आ चुके हैं. ऐसे मे इन शावकों के वयस्क होने और उनका जीवन बचाने की बड़ी चुनौती प्रबंधन के सामने है. मतलब साफ है कि यदि बांधवगढ़ के बाघों को सुरक्षित रखना है तो क्षेत्र मे सक्रिय शिकारियों और असामाजिक तत्वों को सख्ती से निपटाना जरूरी है. नया साल बांधवगढ़ के बाघों के लिये कुछ अच्छा नहीं रहा. इस दौरान अभी तक 4 बाघों की मौत हो गई. वहीं 3 तेंदुओं ने भी पार्क को अलविदा कर दिया. मरने वाले बाघों मे अधिकांश मादा हैं, जो इस नुकसान को कई गुना बढ़ा देता है.
ALSO READ: |
एक साल में 18 बाघों की मौत
बड़ी संख्या मे नये शावकों के जन्म लेने से पार्क के अधिकारियों एवं कर्मचारियों मे हर्ष व्याप्त है. बता दें बांधवगढ़ में साल 2023 से जनवरी 2024 तक 18 बाघों की मौत हो चुकी है, जो पार्क में बाघों के सरंक्षण एवं मॉनिटरिंग पर कई सवाल खड़े करता है. उमरिया जिले के बांधवगढ़ में लगातार बाघों की संख्या बढ़ रही है तो वहीं तेजी से कम भी होती हुई नजर आ रही है. प्रबंधन चाहे कितने भी दावे क्यों न कर ले, लेकिन वह ट्रैप कर पाने में नाकाम साबित होता नजर आ रहा है. पैदा होने से लेकर बड़े होने तक चारों तरफ कैमरे को लगाकर बाघ के बच्चों की निगरानी की जाती है.