वाराणसी : युवा सोच देश को बदलने की ताकत रखती है. पीएम मोदी भी अक्सर युवाओं से क्रियटिव होने की अपील करते रहते हैं. प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र के युवा कुछ इसी तरह के रास्ते पर चलकर समाज में बदलाव लाने की कोशिश कर रहे हैं. यह प्रयास गंगा की सफाई के साथ स्टार्टअप से भी जुड़ा है. हर रविवार को गंगा सफाई अभियान चलाकर युवाओं ने कूड़ा बाजार नाम की एक संस्था खड़ी कर दी है. युवा गंगा उस पार रेत पर फेंके जाने वाली कोल्ड ड्रिंक व पानी की बोतलें, चिप्स के पैकेट समेत अन्य कचरे को रीसायकल कर उनसे उपयोगी सामान बना रहे हैं. ये काफी डिमांड में भी रहते हैं.
काशी हिंदू विश्वविद्यालय, काशी विद्यापीठ और कई अलग-अलग कॉलेजों में पढ़ने वाले छात्रों ने गंगा की सफाई का जिम्मा उठाया था. 2019 में वाराणसी के गौरव मिश्रा और उनकी टीम ने हर रविवार को गंगा क्लीनिंग कैंपेन शुरू किया. शुरुआत में तो यह काम सिर्फ गंगा की सफाई तक सीमित था, लेकिन बाद में उन्हें यह अंदाजा होने लगा कि गंगा किनारे मिलने वाला यह कचरा फिर कचरे के रूप में ही लोगों के लिए परेशानी का सबक बना रहेगा. इसी बात को ध्यान में रखते हुए गौरव और उनकी 14 युवकों की टीम ने इस कचरे को रीसाइकल करने का प्लान बनाया.
पर्यावरण संरक्षण में भी दे रहे योगदान : युवाओं ने इसमें अपनी खूब क्रिएटिविटी दिखाई. काम आगे बढ़ा तो कूड़ा बाजार नाम से एक संस्था भी बना डाली. टीम में शामिल युवक कचरे को बंटोर कर रीसाक्लिंग के जरिए उनसे जरूरत के कई सामान तैयार कर रहे हैं. इसके जरिए वह पर्यावरण को संरक्षित करने में भी अपना योगदान दे रहे हैं. शुरुआत में इन लोगों ने कचरे को रीसाइक्लिंग करते हुए स्कूल-कॉलेज और कई अन्य प्रोग्राम में देने वाली ट्रॉफी-मेडल तैयार किए. लोकल लेवल पर स्कूलों और संस्थाओं से बात कर इन्हें उन तक पहुंचाया गया.
साल 2019 में तैयार की टीम, अब रंग ला रही मेहनत : गौरव बताते हैं कि वह आईआईटी बीएचयू से जुड़े हैं. उन्होंने अपनी एक टीम तैयार की. वॉलिंटियर्स को रेडी किया. गंगा की सफाई करते-करते कोरोना काल में साल 2019 में उन्होंने युवाओं की पूरी टीम तैयार की. यह टीम हर रविवार को कचरा इकट्ठा करती थी. इन कचरे को किस तरह से उपयोग में लाया जा सकता है, इसकी प्लानिंग की जाती थी. बोतल समेत प्लास्टिक के तमाम कचरों को जुटाकर उनसे अलग-अलग प्रोडक्ट बनाए जाने लगे. 2022-23 में कचरा और कागज से राखियां तैयार की गई. इंस्टाग्राम के जरिए लोगों को इसकी जानकारी दी गई. लोगों ने इसे काफी पसंद भी किया.
रीसाइक्लिंग राखियों ने खींचा लोगों का ध्यान : गौरव मिश्रा ने बताया कि इस बार रक्षाबंधन पर इस रीसाइक्लिंग राखियों ने खूब बिजनेस किया. कचरे से बनाए जाने वाली ट्रॉफी, मेडल व सजावटी सामान की अब अच्छी डिमांड है. स्कूल उनसे यह बल्क में खरीदते हैं और सामाजिक संस्थाएं भी उनसे संपर्क करती हैं. इसके अलावा अब वाराणसी नगर निगम, वाराणसी प्रशासन भी इन चीजों को लेने की तैयारी में है. वाराणसी नगर निगम ने प्लास्टिक की बोतलों से तैयार होने वाली बेंच और पार्क के और डिजाइनर स्ट्रक्चर पर भी गौरव से काम करने के लिए कहा है. इसे उन्होंने एक स्केच तैयार करके नगर आयुक्त और मेयर को भी दिखाया है. इस पर नगर निगम ने इन्हें इनवाइट किया है कि वह नगर निगम वाराणसी के साथ मिलकर काम करें. कचरे से बेंच और अन्य स्ट्रक्चर भी तैयार करेंगे.
बिजनेस बढ़ने पर रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे : गौरव बताते हैं की शुरुआत में उन्होंने अपनी पॉकेट मनी और उनके दोस्तों ने अपने घर से पैसे लेकर इस काम की शुरुआत की. अभी भी वह लोग एक फंड इकट्ठा करके और कुछ सामाजिक संस्थाएं जो पर्यावरण की दिशा में काम करती है, उनके साथ मिलकर इस काम को आगे बढ़ा रहे हैं. 1 साल पहले इन्होंने अपने इस स्टार्टअप को रजिस्टर्ड भी करवा लिया है. अब उम्मीद है कि वह अपने बिजनेस को डेवलप करते हुए कचरे के बल पर एंप्लॉयमेंट जनरेट करने का भी काम करेंगे. हालांकि अभी मुनाफा उतना नहीं है. जितनी जरूरत है, लेकिन उम्मीद है कि आने वाले समय में कचरे से तैयार होने वाले यह प्रोडक्ट अच्छा रिस्पांस देंगे.
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