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बलरामपुर के डॉक्टर इस तकनीक से कर रहे स्ट्रॉबेरी की खेती, हर माह लाखों की कमाई, जानिए

Strawberry Cultivation "जब हौसले बुलंद हों, तो मुश्किलें बाधा नहीं बन सकती" इस कथन को रामानुजगंज के डॉ विकास अग्रवाल ने सही साबित कर दिखाया है. विकास अग्रवाल पेशे से डॉक्टर हैं. लेकिन अपने बचपन के शौक को पूरा करने उन्होंने खेती किसानी के फील्ड में कदम रखा और अब स्ट्रॉबेरी का उत्पादन कर लाखों की कमाई कर रहे हैं. अब क्षेत्र के लोगों को भी डॉ विकास नइ तकनीक से खेती के लिए प्रेरित कर रहे हैं.

Strawberry Cultivation in balrampur
बलरामपुर में स्ट्रॉबेरी की खेती
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Mar 17, 2024, 2:18 PM IST

Updated : Mar 17, 2024, 7:10 PM IST

मुनाफे वाली खेती

बलरामपुर: रामानुजगंज के रहने रहने वाले डॉ विकास अग्रवाल पेशे से डॉक्टर हैं, लेकिन साथ ही खेती-किसानी का भी शौक रखते हैं. अपने इसी शौक को पूरा करने के लिए लिए उन्होंने स्ट्रॉबेरी की खेती शुरु की और अब वे इससे लाखों रुपए कमाई कर रहे हैं. आधुनिक तरीके से बेहतर उत्पादन के लिए ड्रिप सिंचाई प्रणाली का उपयोग कर रहे हैं.

डॉक्टरी के पेशे के साथ कर रहे किसानी: डॉ विकास अग्रवाल रामानुजगंज में पांच एकड़ की जमीन पर स्ट्रॉबेरी की खेती कर रहे हैं. ट्रेडिशनल खेती से अलग बागवानी फसलों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से उन्होंने ड्रिप सिंचाई प्रणाली का उपयोग किया, जो गेमचेंजर साबित हुई. इस तकनीक से खेती करने पर हर दिन लगभग 600 किलोग्राम स्ट्रॉबेरी का उत्पादन हो रहा है. बड़े शहरों में स्ट्रॉबेरी की डिमांड होने के कारण यहां से स्ट्रॉबेरी बड़े शहरों में सप्लाई किया जा रहा है. इस तरह स्ट्रॉबेरी की खेती से वे लाखों की कमाई कर रहे हैं.

"हर दिन लगभग 600 किलो स्ट्रॉबेरी का उत्पादन": डॉ विकास अग्रवाल ने बताया, "मैं पेशे से डॉक्टर हूं. लेकिन बचपन से ही मेरा रूझान खेती की तरफ था और अपने परिवार में भी यह देखता आया हूं. मैं डॉक्टरी के साथ ही खेती-किसानी भी कर रहा हूं. सितंबर महीने में हमने पौधे लगाए थे. अप्रैल के मध्य तक इसमें लगातार फल आएंगे. फिलहाल बाजार में 250-300 रूपए किलोग्राम के रेट से स्ट्रॉबेरी की बिक्री हो रही है."

"यहां मैंने पांच एकड़ जमीन पर नेशनल हार्टीकल्चर बोर्ड के सहयोग से स्ट्रॉबेरी की खेती की है. एक एकड़ में हमने बाइस हजार पौधे लगाए हैं. पांच एकड़ में स्ट्रॉबेरी की खेती कर रहे हैं. नवंबर महीने से लेकर जनवरी तक हर दिन लगभग 200 किलोग्राम स्ट्रॉबेरी का उत्पादन हुआ है. जनवरी से लेकर मार्च तक हर दिन लगभग 600 किलोग्राम स्ट्रॉबेरी का उत्पादन हो रहा है." - डॉ विकास अग्रवाल, युवा किसान

हार्टीकल्चर से बढ़ेंगे आय के साधन: डॉ विकास अग्रवाल का मानना है कि "इस क्षेत्र में ट्रेडिशनल खेती से अलग लोगों को हार्टीकल्चर को बढ़ावा देना चाहिए. लोग इससे प्रेरित होकर अपने सीमित आय के साधन को बढ़ा सकते हैं. यह फसल प्रति एकड़ चार-पांच लाख रुपए तक प्रोफिट दे सकती है, अगर हम सारी चीजें समय पर अच्छे से करें."

बड़े शहरों में स्ट्रॉबेरी की भारी डिमांड: बलरामपुर जिले में यहां के किसान बड़े पैमाने पर स्ट्रॉबेरी की खेती कर रहे हैं. बड़े शहरों में स्ट्रॉबेरी की भारी डिमांड रहती है. रामानुजगंज से पश्चिम बंगाल के कलकत्ता सहित छत्तीसगढ़ के बिलासपुर, रायपुर, रायगढ़, कोरबा और अन्य बड़े शहरों में यहां से हर दिन स्ट्रॉबेरी सप्लाई किया जा रहा है. आमतौर पर ठंडे मौसम स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए बेहतर माना जाता है.

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बलरामपुर: रामानुजगंज के रहने रहने वाले डॉ विकास अग्रवाल पेशे से डॉक्टर हैं, लेकिन साथ ही खेती-किसानी का भी शौक रखते हैं. अपने इसी शौक को पूरा करने के लिए लिए उन्होंने स्ट्रॉबेरी की खेती शुरु की और अब वे इससे लाखों रुपए कमाई कर रहे हैं. आधुनिक तरीके से बेहतर उत्पादन के लिए ड्रिप सिंचाई प्रणाली का उपयोग कर रहे हैं.

डॉक्टरी के पेशे के साथ कर रहे किसानी: डॉ विकास अग्रवाल रामानुजगंज में पांच एकड़ की जमीन पर स्ट्रॉबेरी की खेती कर रहे हैं. ट्रेडिशनल खेती से अलग बागवानी फसलों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से उन्होंने ड्रिप सिंचाई प्रणाली का उपयोग किया, जो गेमचेंजर साबित हुई. इस तकनीक से खेती करने पर हर दिन लगभग 600 किलोग्राम स्ट्रॉबेरी का उत्पादन हो रहा है. बड़े शहरों में स्ट्रॉबेरी की डिमांड होने के कारण यहां से स्ट्रॉबेरी बड़े शहरों में सप्लाई किया जा रहा है. इस तरह स्ट्रॉबेरी की खेती से वे लाखों की कमाई कर रहे हैं.

"हर दिन लगभग 600 किलो स्ट्रॉबेरी का उत्पादन": डॉ विकास अग्रवाल ने बताया, "मैं पेशे से डॉक्टर हूं. लेकिन बचपन से ही मेरा रूझान खेती की तरफ था और अपने परिवार में भी यह देखता आया हूं. मैं डॉक्टरी के साथ ही खेती-किसानी भी कर रहा हूं. सितंबर महीने में हमने पौधे लगाए थे. अप्रैल के मध्य तक इसमें लगातार फल आएंगे. फिलहाल बाजार में 250-300 रूपए किलोग्राम के रेट से स्ट्रॉबेरी की बिक्री हो रही है."

"यहां मैंने पांच एकड़ जमीन पर नेशनल हार्टीकल्चर बोर्ड के सहयोग से स्ट्रॉबेरी की खेती की है. एक एकड़ में हमने बाइस हजार पौधे लगाए हैं. पांच एकड़ में स्ट्रॉबेरी की खेती कर रहे हैं. नवंबर महीने से लेकर जनवरी तक हर दिन लगभग 200 किलोग्राम स्ट्रॉबेरी का उत्पादन हुआ है. जनवरी से लेकर मार्च तक हर दिन लगभग 600 किलोग्राम स्ट्रॉबेरी का उत्पादन हो रहा है." - डॉ विकास अग्रवाल, युवा किसान

हार्टीकल्चर से बढ़ेंगे आय के साधन: डॉ विकास अग्रवाल का मानना है कि "इस क्षेत्र में ट्रेडिशनल खेती से अलग लोगों को हार्टीकल्चर को बढ़ावा देना चाहिए. लोग इससे प्रेरित होकर अपने सीमित आय के साधन को बढ़ा सकते हैं. यह फसल प्रति एकड़ चार-पांच लाख रुपए तक प्रोफिट दे सकती है, अगर हम सारी चीजें समय पर अच्छे से करें."

बड़े शहरों में स्ट्रॉबेरी की भारी डिमांड: बलरामपुर जिले में यहां के किसान बड़े पैमाने पर स्ट्रॉबेरी की खेती कर रहे हैं. बड़े शहरों में स्ट्रॉबेरी की भारी डिमांड रहती है. रामानुजगंज से पश्चिम बंगाल के कलकत्ता सहित छत्तीसगढ़ के बिलासपुर, रायपुर, रायगढ़, कोरबा और अन्य बड़े शहरों में यहां से हर दिन स्ट्रॉबेरी सप्लाई किया जा रहा है. आमतौर पर ठंडे मौसम स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए बेहतर माना जाता है.

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Last Updated : Mar 17, 2024, 7:10 PM IST
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