बलौदाबाजार: केंद्रीय सहकारी बैंक बलौदा बाजार शाखा में 2 करोड़ से ज्यादा का घोटाला करने वाले क्लर्क को तीन साल कठोर कारावास की सजा मिली है. सजा के साथ ही कोर्ट ने 22 लाख रुपये क्षतिपूर्ति राशि भी जमा करने को कहा है.
बैंक में काम करने वाले लिपिक ने किया 2 करोड़ का स्कैम: सहायक लोक अभियोजक अमित बाजपेयी ने पूरे मामले का खुलासा करते हुए बताया "आरोपी का नाम सूरज साहू है. जो बलौदाबाजार के इंद्रा कॉलोनी का रहने वाला है. केंद्रीय सहकारी बैंक बलौदा बाजार शाखा में लिपिक के पद पर पदस्थ था. अपनी पदस्थापना के दौरान 45 साल के आरोपी क्लर्क ने सहकारी बैंक में जमा राशि में बड़ा घोटाला किया. आरोपी ने 22 लाख 55 हजार 149 रुपये का घोटाला किया. इसके अलावा वटगन बैंक शाखा में आरोपी सूरज साहू ने सहायक लेखापाल होते हुए 2 करोड़ से ज्यादा का घपला किया था. जिसका मामला पलारी थाने में दर्ज किया गया. बैंक में गबन के खुलासे के बाद जांच दल का गठन किया गया. बैंक स्कैम कोतवाली थाना में आईपीसी की धारा 409 के तहत अपराध दर्ज किया गया."
बैंक गबन के दो मामलों में आरोपी लिपिक को सजा: इस मामले की सुनवाई 6 जुलाई को न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी बलौदा बाजार मंजू लता सिन्हा की कोर्ट में हुई. जज ने आरोपी सूरज साहू को 3 साल का कारावास और 22 लाख 55 हजार 149 रुपये क्षतिपूर्ति राशि जमा करने का दंड दिया.
दिलचस्प तरीके से क्लर्क ने बैंक में किया गबन: आरोपी लेखापाल ने अपने ही बैंक की उपभोक्ता मृत बैसाखिन बाई गेंडरे के खाता क्रमांक 624046114649 से 13 मई 2022 को एक लाख और एक माह बाद 14 जून 2022 को 4900 रुपए निकाले. जिसका मैसेज जब घर के मोबाइल पर गया तो परिजन इसकी जानकारी लेने बैंक पहुंचे. शाखा प्रबंधक को फोन में आए बैंक के मैसेज को दिखाते हुए बताया कि उसकी मां की मौत हो चुकी है. घर के किसी भी सदस्य ने उनके खाते से पैसे नहीं निकाले, फिर उनके खाते में ट्रांजेक्शन कैसे हुआ.
मैसेज को देखकर शाखा प्रबंधक ने इसकी जांच की तो उनके ही बैंक के लेखापाल सूरज साहू द्वारा राशि निकालने की पुष्टि हुई. जिसके बाद राशि तत्काल उपभोक्ता के खाते में जमा करने का निर्देश दिया गया. इस पर सूरज ने अधिकारी को गुमराह करते हुए वापस बैंक के दूसरे खाते से उपभोक्ता के खाते में पैसा डाल दिया. जब इस बात की जानकारी प्रबंधक को हुई तो उन्होंने बैंक के दूसरे खाते की प्रारंभिक जांच कराई. जिसमें बड़ी गड़बड़ी सामने आई. जिसके बाद इसकी सूचना मुख्यालय को दी गई. इस मामले में जांच टीम बिठाई गई. जिसमें खुलासा हुआ कि आरोपी सहायक लेखापाल ने चार साल में बैंक को लगभग 2 करोड़ से ज्यादा का चूना लगाया है.