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बालाघाट-सिवनी सीट पर बीजेपी का राज, 8 बार की विजयी कांग्रेस को जीत की आस - balaghat lok sabha seat profile

मध्य प्रदेश की बालाघाट-सिवनी लोकसभा सीट पर वैसे तो कांग्रेस ने एक या दो नहीं बल्कि 8 बार जीत हासिल की है, लेकिन ये सीट वर्तमान समय में बीजेपी का गढ़ मानी जाती है. यहां बीते 15 सालों से बीजेपी राज कर रही है. इस बार के लोकसभा चुनाव 2024 के लिए बीजेपी ने महिला उम्मीदवार भारती पारधी को टक्कर देने मैदान में उतारा है. जबकि कांग्रेस ने अभी तक प्रत्याशी घोषित नहीं किया है.

balaghat lok sabha seat profile
बालाघाट-सिवनी सीट पर बीजेपी का राज, 8 बार की विजयी कांग्रेस को जीत की आस
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Mar 19, 2024, 9:48 PM IST

बालाघाट। मध्य प्रदेश की 29 सीटों में एक महत्वपूर्ण बालाघाट-सिवनी लोकसभा सीट है. इस सीट पर 08 बार कांग्रेस विजयी हुई है, लेकिन पिछले 15 सालों से कांग्रेस को लगातार हार का सामना करना पड़ा है. इस बार बालाघाट-सिवनी सीट पर लोकसभा का चुनाव बेहद दिलचस्प होगा. इस बार बीजेपी ने इस सीट से सांसद का टिकट काट कर महिला प्रत्याशी को उतारा है. बीजेपी ने यहां से पार्षद भारती पारधी को टिकट दिया है. जबकि कांग्रेस ने प्रत्याशी का ऐलान नहीं किया है.

balaghat lok sabha seat profile
बालाघाट लोकसभा सीट 2019 के परिणाम

दो जिले की आठ विधानसभा की है लोकसभा

बालाघाट के अंतर्गत कुल 08 विधानसभाएं आती है. जिनमें बालाघाट जिले की 06 विधानसभा सीट और सिवनी जिले की 02 विधानसभा सीट शामिल है. बालाघाट-सिवनी लोकसभा सीट में कुल 18 लाख 71 हजार 270 मतदाता है. जिनमें पुरुष वोटरों की संख्या 09 लाख 29 हजार 434 और महिला वोटरों की संख्या 09 लाख 41 हजार 836 है. जहां पिछले लोकसभा चुनाव में इस सीट में अधिकतम 77.36 वोट प्रतिशत रहा है. जहां भाजपा के ढालसिंह बिसेन सांसद चुने गये थे और कांग्रेस को हार मिली थी.

बीजेपी मजबूत कांग्रेस भी टक्कर की तैयार में

वर्ष 2019 में हुए चुनाव के बाद भाजपा के सांसद डॉ ढालसिंह बिसेन के नेतृत्व में बालाघाट-सिवनी संसदीय क्षेत्र में विकास को रफ्तार मिली है. जबकि पूर्व में भी इस सीट पर भाजपा का कब्जा रहा है. गौरीशंकर बिसेन व बोधसिंह भगत जैसे दिग्गज नेता सांसद रहे हैं, लेकिन उनके कार्यकाल में बालाघाट-सिवनी संसदीय क्षेत्र में कोई बड़े विकास कार्य नहीं हुए हैं, लेकिन 2019 के बाद जैसे ही भाजपा के ढालसिंह बिसेन चुनाव जीते, बालाघाट-सिवनी संसदीय क्षेत्र में विकास कार्यों को गति मिली. सांसद बिसेन को लेकर जानकारों का तर्क यह भी है कि 2019 में चुनाव जीतने के बाद लगभग 2 वर्षों तक कोरोना काल की भयावह त्रासदी के कारण बगैर सांसद निधि के भी जनता के बीच बने रहे. सांसद निधि के साथ लगभग मिले 3 वर्ष के कार्यकाल में विकास कार्यों को लेकर न सिर्फ सदन में मुखर दिखे, बल्की धरातल पर कई बडे़ काम भी किए.

इन विकास कामों को मिली गति

नेशनल हाइवे,ओवर ब्रिज कार्य प्रगति बंद पड़ी नहरों का शहरीकरण में आवागमन या अन्य शासकीय विस्तारीकरण का प्रोजेक्ट, पीएम स्कूल, गांव-गांव में यात्री प्रतीक्षालय, फायर फाइटर टैंकर सहित अन्य कार्य हैं, जो धरातल पर उनकी कार्यप्रणाली की बानगी को बयां कर रहे हैं, अपने लोकसभा क्षेत्रों में इनके द्वारा नेशनल हाइवे, अमृत भारत के तहत स्टेशनों के विस्तार, सिवनी में 35 करोड़ से रैक प्वाइंट निर्माण, सर्व सुविधायुक्त भवन, एनएच 44 मोहगांव नागपुर रोड से खवासा तक, सिवनी में एफएम रेडियो प्रसारण स्टेशन, लवादा से रजेगांव तक बायपास फोरलेन निर्माण, डेंजर रोड बालाघाट, फोर लेन बायपास की स्वीकृति, बरघाट और तिरोड़ी में केंद्रीय विद्यालय का निर्माण, वहीं संवेदनशील बालाघाट जिले के अति नक्सल प्रभावित बैहर परसवाड़ा इलाके में ग्रह मंत्रालय से लगभग 250 करोड़ रुपए से 26 सड़कें और 32 पूल-पुलिया,कई ट्रेनों को प्रारंभ कराए, सिवनी में एफएम बैंड की शुरुआत हुई है.

balaghat lok sabha seat profile
बालाघाट लोकसभा सीट रोचकु मद्दे और जानकारी

खनिज संशाधनों से भरपूर है जिला

बालाघाट-सिवनी संसदीय क्षेत्र में प्रकृति की अमूल्य धरोहरों का समावेश है. एशिया की सबसे बड़ी मैग्नीज भरवेली माइंस, तिरोड़ी माइंस, उकवा माइंस के अलावा मलाजखंड में ताम्र परियोजना शामिल है. इनके अलावा प्राकृतिक व दार्शनिक स्थलों की भरमार है. साथ ही कान्हा नेशनल पार्क का कुछ हिस्सा बालाघाट जिले में शामिल है एवं सोनेवानी अभ्यारण का प्रापोजल भी लंबिल है. इन सबके अलावा ऐतिहासिक धरोहरों में हट्टा की बावडी व लांजी का किला भी बालाघाट संसदीय क्षेत्र में समाहित है, जो विश्व प्रसिद्ध है.

यहां पढ़ें...

राजाराम की नगरी में क्या BJP को चौथी बार मिलेगा आशीर्वाद, या कांग्रेस के सिर सजेगा जीत का ताज

अखिलेश-राहुल के चक्रव्यूह को तोड़ पाएगी BJP, खजुराहो सीट के लिए इंडिया गठबंधन की नई रणनीति

भाजपा का गढ़ मानी जाती है बुंदलेखंड की सागर सीट, 1991 से कांग्रेस नहीं तोड़ पा रही तिलिस्म

जातिगत समीकरण पर होते हैं चुनावी परिणाम

बालाघाट-सिवनी संसदीय क्षेत्र में चुनावी काल के दौरान अक्सर देखा जाता है कि लोगों में जातिगत भावना ज्यादा हावी रहती है. इस दृष्टिकोण में पंवार समाज का कुनबा काफी बड़ा है और प्रत्याशी पंवार समाज का हो तो राजनीतिक दलों के लिये जीत की राह आसान हो जाती है, हालांकि इस बार बालाघाट-सिवनी संसदीय क्षेत्र के लिए बीजेपी ने पवार समाज की महिला प्रत्याशी को मौका दिया है, क्योकि इस जिले में पंवार समाज के मतदाताओं की संख्या अधिक है. हालांकि कांग्रेस ने अभी अपना उम्मीदवार यहां घोषित नहीं किया है.

बालाघाट। मध्य प्रदेश की 29 सीटों में एक महत्वपूर्ण बालाघाट-सिवनी लोकसभा सीट है. इस सीट पर 08 बार कांग्रेस विजयी हुई है, लेकिन पिछले 15 सालों से कांग्रेस को लगातार हार का सामना करना पड़ा है. इस बार बालाघाट-सिवनी सीट पर लोकसभा का चुनाव बेहद दिलचस्प होगा. इस बार बीजेपी ने इस सीट से सांसद का टिकट काट कर महिला प्रत्याशी को उतारा है. बीजेपी ने यहां से पार्षद भारती पारधी को टिकट दिया है. जबकि कांग्रेस ने प्रत्याशी का ऐलान नहीं किया है.

balaghat lok sabha seat profile
बालाघाट लोकसभा सीट 2019 के परिणाम

दो जिले की आठ विधानसभा की है लोकसभा

बालाघाट के अंतर्गत कुल 08 विधानसभाएं आती है. जिनमें बालाघाट जिले की 06 विधानसभा सीट और सिवनी जिले की 02 विधानसभा सीट शामिल है. बालाघाट-सिवनी लोकसभा सीट में कुल 18 लाख 71 हजार 270 मतदाता है. जिनमें पुरुष वोटरों की संख्या 09 लाख 29 हजार 434 और महिला वोटरों की संख्या 09 लाख 41 हजार 836 है. जहां पिछले लोकसभा चुनाव में इस सीट में अधिकतम 77.36 वोट प्रतिशत रहा है. जहां भाजपा के ढालसिंह बिसेन सांसद चुने गये थे और कांग्रेस को हार मिली थी.

बीजेपी मजबूत कांग्रेस भी टक्कर की तैयार में

वर्ष 2019 में हुए चुनाव के बाद भाजपा के सांसद डॉ ढालसिंह बिसेन के नेतृत्व में बालाघाट-सिवनी संसदीय क्षेत्र में विकास को रफ्तार मिली है. जबकि पूर्व में भी इस सीट पर भाजपा का कब्जा रहा है. गौरीशंकर बिसेन व बोधसिंह भगत जैसे दिग्गज नेता सांसद रहे हैं, लेकिन उनके कार्यकाल में बालाघाट-सिवनी संसदीय क्षेत्र में कोई बड़े विकास कार्य नहीं हुए हैं, लेकिन 2019 के बाद जैसे ही भाजपा के ढालसिंह बिसेन चुनाव जीते, बालाघाट-सिवनी संसदीय क्षेत्र में विकास कार्यों को गति मिली. सांसद बिसेन को लेकर जानकारों का तर्क यह भी है कि 2019 में चुनाव जीतने के बाद लगभग 2 वर्षों तक कोरोना काल की भयावह त्रासदी के कारण बगैर सांसद निधि के भी जनता के बीच बने रहे. सांसद निधि के साथ लगभग मिले 3 वर्ष के कार्यकाल में विकास कार्यों को लेकर न सिर्फ सदन में मुखर दिखे, बल्की धरातल पर कई बडे़ काम भी किए.

इन विकास कामों को मिली गति

नेशनल हाइवे,ओवर ब्रिज कार्य प्रगति बंद पड़ी नहरों का शहरीकरण में आवागमन या अन्य शासकीय विस्तारीकरण का प्रोजेक्ट, पीएम स्कूल, गांव-गांव में यात्री प्रतीक्षालय, फायर फाइटर टैंकर सहित अन्य कार्य हैं, जो धरातल पर उनकी कार्यप्रणाली की बानगी को बयां कर रहे हैं, अपने लोकसभा क्षेत्रों में इनके द्वारा नेशनल हाइवे, अमृत भारत के तहत स्टेशनों के विस्तार, सिवनी में 35 करोड़ से रैक प्वाइंट निर्माण, सर्व सुविधायुक्त भवन, एनएच 44 मोहगांव नागपुर रोड से खवासा तक, सिवनी में एफएम रेडियो प्रसारण स्टेशन, लवादा से रजेगांव तक बायपास फोरलेन निर्माण, डेंजर रोड बालाघाट, फोर लेन बायपास की स्वीकृति, बरघाट और तिरोड़ी में केंद्रीय विद्यालय का निर्माण, वहीं संवेदनशील बालाघाट जिले के अति नक्सल प्रभावित बैहर परसवाड़ा इलाके में ग्रह मंत्रालय से लगभग 250 करोड़ रुपए से 26 सड़कें और 32 पूल-पुलिया,कई ट्रेनों को प्रारंभ कराए, सिवनी में एफएम बैंड की शुरुआत हुई है.

balaghat lok sabha seat profile
बालाघाट लोकसभा सीट रोचकु मद्दे और जानकारी

खनिज संशाधनों से भरपूर है जिला

बालाघाट-सिवनी संसदीय क्षेत्र में प्रकृति की अमूल्य धरोहरों का समावेश है. एशिया की सबसे बड़ी मैग्नीज भरवेली माइंस, तिरोड़ी माइंस, उकवा माइंस के अलावा मलाजखंड में ताम्र परियोजना शामिल है. इनके अलावा प्राकृतिक व दार्शनिक स्थलों की भरमार है. साथ ही कान्हा नेशनल पार्क का कुछ हिस्सा बालाघाट जिले में शामिल है एवं सोनेवानी अभ्यारण का प्रापोजल भी लंबिल है. इन सबके अलावा ऐतिहासिक धरोहरों में हट्टा की बावडी व लांजी का किला भी बालाघाट संसदीय क्षेत्र में समाहित है, जो विश्व प्रसिद्ध है.

यहां पढ़ें...

राजाराम की नगरी में क्या BJP को चौथी बार मिलेगा आशीर्वाद, या कांग्रेस के सिर सजेगा जीत का ताज

अखिलेश-राहुल के चक्रव्यूह को तोड़ पाएगी BJP, खजुराहो सीट के लिए इंडिया गठबंधन की नई रणनीति

भाजपा का गढ़ मानी जाती है बुंदलेखंड की सागर सीट, 1991 से कांग्रेस नहीं तोड़ पा रही तिलिस्म

जातिगत समीकरण पर होते हैं चुनावी परिणाम

बालाघाट-सिवनी संसदीय क्षेत्र में चुनावी काल के दौरान अक्सर देखा जाता है कि लोगों में जातिगत भावना ज्यादा हावी रहती है. इस दृष्टिकोण में पंवार समाज का कुनबा काफी बड़ा है और प्रत्याशी पंवार समाज का हो तो राजनीतिक दलों के लिये जीत की राह आसान हो जाती है, हालांकि इस बार बालाघाट-सिवनी संसदीय क्षेत्र के लिए बीजेपी ने पवार समाज की महिला प्रत्याशी को मौका दिया है, क्योकि इस जिले में पंवार समाज के मतदाताओं की संख्या अधिक है. हालांकि कांग्रेस ने अभी अपना उम्मीदवार यहां घोषित नहीं किया है.

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