बालाघाट। लंबे इंतजार के बाद आखिरकार कांग्रेस ने देर रात देश के लिए अपनी चौथी और एमपी के लिए दूसरी सूची जारी कर दी है. बात अगर बालाघाट की करें तो यहां कांग्रेस ने जिला पंचायत अध्यक्ष सम्राट सिंह सरस्वार के नाम पर मुहर लगाई है. सम्राट सरस्वार पूर्व विधायक अशोक सरस्वार के बेटे हैं. जिन्होंने कई बार टिकट की मांग की, लेकिन अबकी बार उन्हें कांग्रेस ने लोकसभा का प्रत्याशी बनाया है. सम्राट सरस्वार की राजनीतिक पृष्ट भूमि की बात की जाए तो वे किसी तरह लगभग 800 मतों से जिला पंचायत का चुनाव जीत पाए. जिसके बाद आर्थिक आधार पर सदस्यों को संतुष्ट कर वे निर्दलीय जिला पंचायत अध्यक्ष बने, जबकि जिला पंचायत अध्यक्ष के लिये कांग्रेस ने दूसरे उम्मीदवार मैदान में उतारा था. बावजूद इसके अपनी ही पार्टी से बगावत कर निर्दलीय जिला पंचायत अध्यक्ष बन गए. जिसके बाद से जिला कांग्रेस में और ज्यादा गुटबाजी देखने को मिली.
बमुश्किल प्रत्याशी घोषित कर पाई कांग्रेस
एमपी के पहले चरण के मतदान के लिए ज्यादा समय नहीं बचा है. कांग्रेस बड़ी मुश्किल में माथापच्ची के बाद प्रत्याशी का चयन कर पाई है. जबकि भाजपा ने पहले ही अपना प्रत्याशी मैदान में उतार दिया है. जिन्होंने अपना प्रचार-प्रसार शुरू भी कर दिया है. 18 लाख 71 हजार मतदाताओं वाली बालाघाट सिवनी लोकसभा सीट पर अब भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला होगा, लेकिन कांग्रेस के टिकट चयन में देरी के साथ ही बालाघाट में टिकट वितरण पर राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं तेज हो गई है. जिसमें भाजपा बहुत आगे निकलते नजर आ रही है.
बीजेपी की भारती पारधी देंगी सम्राट को टक्कर
बात अगर भाजपा प्रत्याशी भारती पारधी की करें तो वे पार्षद हैं, उनकी खुद की छवि भी बेहतर है. इसके साथ ही उनके साथ संगठन है, जो काफी मजबूत नजर आ रहा है. इसके अलावा सबसे बड़ा फेक्टर जातिगत समीकरण है. जिसमें भारती पारधी कहीं आगे नजर आ रही हैं. वहीं कांग्रेस की बात करें तो कांग्रेस प्रत्याशी जिला पंचायत अध्यक्ष हैं, लेकिन उनकी आम जनता तक पहुंच कुछ खास नहीं है. इसके साथ ही पार्टी में चल रही गुटबाजी के चलते भीतरघात की संभवानाओं से इनकार नहीं किया जा सकता.
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पूर्व सांसद कंकर मुंजारे बन सकते हैं मुसीबत
इसके अलावा पूर्व सांसद कंकर मुंजारे भी कांग्रेस से टिकट को लेकर दौड मे शामिल थे, किन्तु अब उनका भी निर्दलीय मैदान पर उतरना तय माना जा रहा है. जो कांग्रेस के लिये खतरे की घंटी बन सकते हैं. कांग्रेस का वोट बैंक आदिवासी समुदाय माना जाता है, जबकि बालाघाट में कंकर मुंजारे भी आदिवासी और लोधी समाज के बीच काफी लोकप्रिय है. ऐसे में अबकी बार बालाघाट में कांग्रेस की डगर आसान नजर नहीं आ रही है. वैसे कांग्रेस के टिकट वितरण के बाद प्रत्याशी के नाम की घोषणा के साथ ही राजनीतिक जानकारों की प्रतिक्रिया सामने आई कि अबकी बार कांग्रेस ने बालाघाट सिवनी लोकसभा सीट भाजपा को गिफ्ट में दे दी. बहरहाल आने वाला समय ही बताएगा कि इस बार पिछले पंद्रह सालों के भाजपा के लगातार जीत के क्रम को कांग्रेस तोड़ पाएगी या फिर इस बार फिर यह लोकसभा सीट भाजपा के ही झोली में जाती है.