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कुर्बानी का पर्व बकरीद,जानिए क्या है धार्मिक मान्यता - Bakrid

Bakrid festival of sacrifice ईद-अल-अज़हा को बकरीद के नाम से भी जाना जाता है. बकरीद इस्लामिक धर्म का दूसरा महत्वपूर्ण त्यौहार है. ये पर्व हजरत इब्राहिम (अब्राहम) के अपने बेटे हजरत इस्माइल की कुर्बानी देने की याद में मनाया जाता है. सोमवार को कोरबा के मस्जिदों में विशेष नमाज के साथ धूमधाम से बकरीद का पर्व मनाया गया. पूरे दिन जश्न का दौर चलता रहा.Korba Bakra market

Bakrid festival of sacrifice
कुर्बानी का पर्व बकरीद (ETV Bharat Chhattisgarh)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jun 17, 2024, 4:05 PM IST

कोरबा : ईद-अल-अज़हा की तारीख इस्लामी चंद्र कैलेंडर, ज़ु अल-हज्जा के 10वें दिन पर निर्भर करती है. बकरीद इस्लामी कैलेंडर के हिसाब से मनाई जाती है, इसलिए हर साल ईद की तारीख थोड़ी अलग होती है. इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार 12वें महीने जु अल-हज्ज की 10वीं तारीख को बकरीद का पर्व मनाया जाता है. इस साल ज़ु अल-हज्जा महीना 30 दिनों का है. इसलिए बकरीद 17 जून को ही मनाई जा रही है.

Bakrid festival of sacrifice
कुर्बानी का पर्व बकरीद (ETV Bharat Chhattisgarh)
कुर्बानी का का पर्व है बकरीद : कोरबा जिले में पुराने शहर के जामा मस्जिद के समीप चश्मे की दुकान का संचालन करने वाले शेख शाहिद ने इसके धार्मिक महत्व के बारे में बताया.शेख शाहिद के मुताबिक ईद-अल-अज़हा का त्योहार त्याग, समर्पण और आस्था का प्रतीक है. इस त्योहार पर मुस्लिम समुदाय के लोग बकरे की कुर्बानी देते हैं.

''ईद-अल-अज़हा के दिन लोग सुबह जल्दी उठकर नहाते हैं, नए कपड़े पहनते हैं और नमाज पढ़ते हैं. इसके बाद वे कुर्बानी देते हैं. ईद-अल-अज़हा एक खुशी का त्योहार है और इसे परिवार और दोस्तों के साथ मनाया जाता है.''- शेख शाहिद, दुकानदार

Bakrid festival of sacrifice
बकरीद के पर्व में बिकती है सेवईयां (ETV Bharat Chhattisgarh)

बाजार में खूब बिकती हैं सेवईयां : मस्जिद में मदरसा के स्टाफ मोहम्मद निजामुद्दीन ने बताया कि बकरीद के दिन सबसे पहली नमाज मस्जिद में पढ़ी जाती है. इसके बाद लोग अपने घर परिवार के साथ एक-दूसरे को ईद की बधाई देते हैं, मिठाइयां खाते हैं और उपहार देते हैं. ये त्योहार गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करने और समाज में भाईचारे और सद्भावना को बढ़ावा देने की प्रेरणा देता है.

बलौदाबाजार में बकरीद को लेकर हाई अलर्ट, शांति समिति की बैठक में हुआ ये फैसला

कोरबा : ईद-अल-अज़हा की तारीख इस्लामी चंद्र कैलेंडर, ज़ु अल-हज्जा के 10वें दिन पर निर्भर करती है. बकरीद इस्लामी कैलेंडर के हिसाब से मनाई जाती है, इसलिए हर साल ईद की तारीख थोड़ी अलग होती है. इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार 12वें महीने जु अल-हज्ज की 10वीं तारीख को बकरीद का पर्व मनाया जाता है. इस साल ज़ु अल-हज्जा महीना 30 दिनों का है. इसलिए बकरीद 17 जून को ही मनाई जा रही है.

Bakrid festival of sacrifice
कुर्बानी का पर्व बकरीद (ETV Bharat Chhattisgarh)
कुर्बानी का का पर्व है बकरीद : कोरबा जिले में पुराने शहर के जामा मस्जिद के समीप चश्मे की दुकान का संचालन करने वाले शेख शाहिद ने इसके धार्मिक महत्व के बारे में बताया.शेख शाहिद के मुताबिक ईद-अल-अज़हा का त्योहार त्याग, समर्पण और आस्था का प्रतीक है. इस त्योहार पर मुस्लिम समुदाय के लोग बकरे की कुर्बानी देते हैं.

''ईद-अल-अज़हा के दिन लोग सुबह जल्दी उठकर नहाते हैं, नए कपड़े पहनते हैं और नमाज पढ़ते हैं. इसके बाद वे कुर्बानी देते हैं. ईद-अल-अज़हा एक खुशी का त्योहार है और इसे परिवार और दोस्तों के साथ मनाया जाता है.''- शेख शाहिद, दुकानदार

Bakrid festival of sacrifice
बकरीद के पर्व में बिकती है सेवईयां (ETV Bharat Chhattisgarh)

बाजार में खूब बिकती हैं सेवईयां : मस्जिद में मदरसा के स्टाफ मोहम्मद निजामुद्दीन ने बताया कि बकरीद के दिन सबसे पहली नमाज मस्जिद में पढ़ी जाती है. इसके बाद लोग अपने घर परिवार के साथ एक-दूसरे को ईद की बधाई देते हैं, मिठाइयां खाते हैं और उपहार देते हैं. ये त्योहार गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करने और समाज में भाईचारे और सद्भावना को बढ़ावा देने की प्रेरणा देता है.

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