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देशभर में बैसाखी की धूमः दिल्ली के गुरुद्वारों में विशेष आयोजन, जानिए- इस बार बैसाखी क्यों है खास ? - Baisakhi celebration 2024

Baisakhi celebration 2024 :बैसाखी से सिखों के नए साल की शुरुआत होती है. इसी दिन सिख पंथ के गुरु श्री गुरु गोविंद सिंह जी ने सन् 1699 में खालसा पंथ की स्थापना की थी. तभी से बैसाखी का त्योहार मनाया जाता है. इस बार खालसा पंथ की स्थापना के 325 साल पूरे होने पर ये बैसाखी बन गई है खास.

देश भर में बैसाखी की धूम
देश भर में बैसाखी की धूम
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Apr 13, 2024, 1:47 PM IST

Updated : Apr 13, 2024, 4:36 PM IST

देश भर में बैसाखी की धूम

नई दिल्ली: 13 अप्रैल को देशभर में बैसाखी का त्योहार मनाया जा रहा है, हालांकि देश के लगभग सभी प्रांतो में ये नए फसल और नए साल के रूप में किसी और नाम से मनाया जाता है, लेकिन सिख समुदाय के लोगों की बैसाखी खास है. इसे नए साल के साथ ही इसे रबी की अच्छी फसल के होने को लेकर उत्सव के रूप में मनाते हैं. इसके साथ ही इस दिन खालसा पंथ की स्थापना हुई थी. विशाखा नक्षत्र पूर्णिमा में होने के कारण इस माह को बैसाख कहते हैं. वैशाख माह के पहले दिन सूर्य मेष राशि में गोचर करते हैं. बैसाखी मौसम बदलने का प्रतीक भी है. इसके साथ ही, बैसाखी पर रबी की फसलों की कटाई भी की जाती है. बैसाखी पर्व पूरे देश में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है लेकिन पंजाबी समुदाय के बीच बैसाखी का एक अलग ही महत्व है. इस साल खालसा पंथ के स्थापना के 325 साल पूरे हुए इसलिए संगत में अलग ही जोश दिख रहा है. सुबह से ही गुरुद्वारों में लोग मत्था टेकने पहुंच रहे है.

सिखों के दसवें गुरू गोविन्द सिंह ने इसी दिन खालसा पंथ की नींव रखी थी. सिखों के दसवें और अंतिम सिख गुरु ने उच्च और निम्न जाति समुदाय के बीच भेद-भाव को खत्म किया था. इसी वजह से इस त्योहार को लोग बहुत धूमधाम से मनाते हैं.इस बार खालसा पंथ के स्थापना के 325 साल पूरे पूरे हो गए इसलिए 325 साल पूरा होने पर खालसा सृजन दिवस मनाया जा रहा है. इस दौरान श्री अकाल तख्त साहिब से यह आदेश आया कि हर घर पर निशान साहब का झंडा लगाया जाएगा उसको लेकर भी समुदाय के लोगों में बेहद उत्साह देखा जा रहा है.

ये भी पढ़ें : आज है चैत्र शुक्ल पक्ष पंचमी तिथि, बैसाखी व सोलर नव वर्ष, नवरात्रि के पांचवें दिन करें स्कंदमाता की पूजा

बैसाखी महापर्व को लेकर गुरुद्वारों में विशेष सजावट की गई है .दिल्ली के अलग-अलग गुरुद्वारों में कीर्तन दरबार का आयोजन किया गया है साथ ही दिन भर लंगर की भी व्यवस्था विशेष तौर की गई है. ये त्योहार प्रेम और भाईचारे की प्रतीक है.इसकी बैसाखी में बहुत कुछ खास है.

ये भी पढ़ें : आज है बैसाखी का पर्व, हरिद्वार में गंगा स्नान के लिए उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़

देश भर में बैसाखी की धूम

नई दिल्ली: 13 अप्रैल को देशभर में बैसाखी का त्योहार मनाया जा रहा है, हालांकि देश के लगभग सभी प्रांतो में ये नए फसल और नए साल के रूप में किसी और नाम से मनाया जाता है, लेकिन सिख समुदाय के लोगों की बैसाखी खास है. इसे नए साल के साथ ही इसे रबी की अच्छी फसल के होने को लेकर उत्सव के रूप में मनाते हैं. इसके साथ ही इस दिन खालसा पंथ की स्थापना हुई थी. विशाखा नक्षत्र पूर्णिमा में होने के कारण इस माह को बैसाख कहते हैं. वैशाख माह के पहले दिन सूर्य मेष राशि में गोचर करते हैं. बैसाखी मौसम बदलने का प्रतीक भी है. इसके साथ ही, बैसाखी पर रबी की फसलों की कटाई भी की जाती है. बैसाखी पर्व पूरे देश में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है लेकिन पंजाबी समुदाय के बीच बैसाखी का एक अलग ही महत्व है. इस साल खालसा पंथ के स्थापना के 325 साल पूरे हुए इसलिए संगत में अलग ही जोश दिख रहा है. सुबह से ही गुरुद्वारों में लोग मत्था टेकने पहुंच रहे है.

सिखों के दसवें गुरू गोविन्द सिंह ने इसी दिन खालसा पंथ की नींव रखी थी. सिखों के दसवें और अंतिम सिख गुरु ने उच्च और निम्न जाति समुदाय के बीच भेद-भाव को खत्म किया था. इसी वजह से इस त्योहार को लोग बहुत धूमधाम से मनाते हैं.इस बार खालसा पंथ के स्थापना के 325 साल पूरे पूरे हो गए इसलिए 325 साल पूरा होने पर खालसा सृजन दिवस मनाया जा रहा है. इस दौरान श्री अकाल तख्त साहिब से यह आदेश आया कि हर घर पर निशान साहब का झंडा लगाया जाएगा उसको लेकर भी समुदाय के लोगों में बेहद उत्साह देखा जा रहा है.

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बैसाखी महापर्व को लेकर गुरुद्वारों में विशेष सजावट की गई है .दिल्ली के अलग-अलग गुरुद्वारों में कीर्तन दरबार का आयोजन किया गया है साथ ही दिन भर लंगर की भी व्यवस्था विशेष तौर की गई है. ये त्योहार प्रेम और भाईचारे की प्रतीक है.इसकी बैसाखी में बहुत कुछ खास है.

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Last Updated : Apr 13, 2024, 4:36 PM IST
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