ETV Bharat / state

हाईकोर्ट ने कहा- आरोपी को सबक सिखाने के लिए जेल भेजने के लिए नहीं खारिज करनी चाहिए जमानत

एक देश एक राशन कार्ड योजना के नाम पर फजीवाड़ा करने की आरोपी की इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जमानत मंजूर की.

Photo Credit- ETV Bharat
इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश (Photo Credit- ETV Bharat)
author img

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Oct 25, 2024, 9:09 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि किसी आरोपी की जमानत याचिका को उसे सबक के तौर पर कारावास का स्वाद चखाने के लिए खारिज नहीं करना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि जमानत अर्जी पर विचार करते समय अपराध की गम्भीरता और सजा की मात्रा के अलावा अभियुक्त के भाग जाने की संभावना, साक्ष्यों से छेड़छाड़ की गुंजाइश पर सर्वाधिक विचार करना चाहिए.

एक देश एक राशन कार्ड योजना के नाम पर फर्जीवाडा करने की आरोपी माया तिवारी की जमानत अर्जी मंजूर करते हुए न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल ने यह टिप्पणी की. कोर्ट ने कहा कि जमानत नियम है और जेल अपवाद इस सिद्धांत का पालन विचारण अदालतें नहीं कर रहीं हैं. इसका नतीजा यह है कि हाईकोर्ट पर मुकदमों का बोझ बढ़ता जा रहा है.

जौनपुर के थाना-सराय ख्वाजा में माया तिवारी पर धोखाधड़ी, आईटी एक्ट सहित विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया गया. आरोप है कि याची ने स्वयं को पीएमओ में उच्च अधिकारी बताते हुए एक देश एक राशन कार्ड योजना का टेंडर दिलाने के नाम पर 10 लाख रुपये शिकायतकर्ता से ले लिए. याची के वकील का कहना था कि संबंधित राशि का बड़ा हिस्सा 8,70,000 रुपये पहले ही पहले शिकायतकर्ता के खाते में स्थानांतरित कर दिया था.

याची स्वयं धोखे का शिकार हुई है. सह- आरोपी संतोष कुमार सेमवाल, जो जांच में मुख्य आरोपी पाया गया है. उसने याची को धोखा दिया है. याची एक महिला है और वह 12 सितंबर 2023 से जेल में है. जमानत मिलती है, तो उसका दुरुपयोग नहीं करेगी. अपर शासकीय अधिवक्ता ने जमानत अर्जी का विरोध किया. कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के लिए जमानत अर्जी मंजूर कर ली.

ये भी पढ़ें- जमानत पर सुनवाई 5 नवंबर को, SC के आदेश पर बदली तारीख

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि किसी आरोपी की जमानत याचिका को उसे सबक के तौर पर कारावास का स्वाद चखाने के लिए खारिज नहीं करना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि जमानत अर्जी पर विचार करते समय अपराध की गम्भीरता और सजा की मात्रा के अलावा अभियुक्त के भाग जाने की संभावना, साक्ष्यों से छेड़छाड़ की गुंजाइश पर सर्वाधिक विचार करना चाहिए.

एक देश एक राशन कार्ड योजना के नाम पर फर्जीवाडा करने की आरोपी माया तिवारी की जमानत अर्जी मंजूर करते हुए न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल ने यह टिप्पणी की. कोर्ट ने कहा कि जमानत नियम है और जेल अपवाद इस सिद्धांत का पालन विचारण अदालतें नहीं कर रहीं हैं. इसका नतीजा यह है कि हाईकोर्ट पर मुकदमों का बोझ बढ़ता जा रहा है.

जौनपुर के थाना-सराय ख्वाजा में माया तिवारी पर धोखाधड़ी, आईटी एक्ट सहित विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया गया. आरोप है कि याची ने स्वयं को पीएमओ में उच्च अधिकारी बताते हुए एक देश एक राशन कार्ड योजना का टेंडर दिलाने के नाम पर 10 लाख रुपये शिकायतकर्ता से ले लिए. याची के वकील का कहना था कि संबंधित राशि का बड़ा हिस्सा 8,70,000 रुपये पहले ही पहले शिकायतकर्ता के खाते में स्थानांतरित कर दिया था.

याची स्वयं धोखे का शिकार हुई है. सह- आरोपी संतोष कुमार सेमवाल, जो जांच में मुख्य आरोपी पाया गया है. उसने याची को धोखा दिया है. याची एक महिला है और वह 12 सितंबर 2023 से जेल में है. जमानत मिलती है, तो उसका दुरुपयोग नहीं करेगी. अपर शासकीय अधिवक्ता ने जमानत अर्जी का विरोध किया. कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के लिए जमानत अर्जी मंजूर कर ली.

ये भी पढ़ें- जमानत पर सुनवाई 5 नवंबर को, SC के आदेश पर बदली तारीख

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.