नई दिल्ली: पुरी समेत देश के अन्य हिस्सों की तरह रोहिणी में भी बहुड़ा यात्रा (मंदिर वापसी यात्रा) बड़े धूमधाम के साथ निकाली गई. सोमवार अपराह्न यह यात्रा तीन बजे भगवान जगन्नाथ की मौसी के घर (गुंडिचा मंदिर) से शुरू हुई और रोहिणी सेक्टर 24 के अलग-अलग ईलाकों से घूमती हुई जगन्नाथ मंदिर तक पहुंची. भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा 7 जुलाई को शुरू हुई थी. उस दिन भगवान जगन्नाथ भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा को रथों में विराजमान कर यात्रा निकाली गई थी.
उसके बाद भगवान अपने मौसी के घर यानि गुंडिचा मंदिर चले गए थे. आज वे सभी मौसी के घर से वापस अपने मंदिर में आ गए. बहुड़ा यात्रा निकलने से पहले पंडितों ने रथ पर भगवान जगन्नाथ की पूजा अर्चना की. उसके बाद जगन्नाथ रथ यात्रा से जुड़ी सबसे प्रसिद्ध रस्म 'छेरा पहरा' की गई. जिसमें मुख्य अतिथि ने रथों के चारों ओर सोने की झाड़ू से सफाई की. झाड़ू से रथ का मंडप साफ किया गया और उसके बाद रथ को भक्तों ने खींचना शुरू किया. इस अवसर पर भारी संख्या में श्रद्धालु दूर-दूर से पहुंचे थे.
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सोमवार रात आठ बजे के करीब महाप्रभु, बलभद्र और सुभद्रा का रथ वापस लौटकर रोहिणी जगन्नाथ मंदिर पहुंचा. मंदिर संघ के प्रमुख पबन जैन के अनुसार आषाढ़ शुक्ल द्वितीया से दशमी तिथि तक भगवान अपनी मौसी के यहां गुंडिचा मंदिर में ठहरते हैं. इस साल तिथियां घटने से आषाढ़ कृष्ण पक्ष में 15 नहीं, 13 ही दिन थे. उन्होंने बताया कि 7 जुलाई को यात्रा शुरू हुई और भगवान का रथ गुंडिचा मंदिर पहुंचा था.
बता दें कि हर साल ज्येष्ठ महीने की पूर्णिमा पर भगवान जगन्नाथ को महास्नान कराया जाता है. इसके बाद वह बीमार हो जाते हैं और आषाढ़ कृष्ण पक्ष के 15 दिन तक बीमार रहते हैं. इस दौरान वे दर्शन नहीं देते. 16वें दिन भगवान का श्रृंगार किया जाता है और नवयौवन के दर्शन होते हैं. इसके बाद आषाढ़ शुक्ल द्वितीया से रथ यात्रा शुरू होती है. आज इस रथ यात्रा का समापन हो गया.
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