लखनऊ लोकसभा चुनाव 2024 में छोटे दलों के नेताओं के बड़बोलेपन और फिर उससे प्रभावित हुए नेता के वर्चस्व के चलते प्रत्याशियों का काफी नुकसान हुआ है. खासकर उत्तर प्रदेश में, जहां एनडीए के दो सहयोगियों ओम प्रकाश राजभर और अनुप्रिया पटेल के बयानों ने उन्हीं के प्रत्याशियों की राह में कांटे बो दिए. इसके अलावा रघुराज प्रताप सिंह अपने प्रभावशाली बयानों से अच्छे नेता के रूप में सामने आये. आइए जानते हैं किस नेता ने क्या क्या विवादित बयान दिए और उससे बाहुबली की छवि रखने वाले राजा भैया का प्रभाव बढ़ गया.
NDA के साथ दोबारा आने पर लोक सभा चुनाव में बीजेपी से समझौते के तहत ओम प्रकाश राजभर को घोसी सीट मिली. जातीय समीकरण राजभर के पक्ष में थे और माहौल भी बीजेपी मय ही था, लेकिन प्रचार के दौरान ओम प्रकाश राजभर ने कई ऐसे बयान दिए जिससे उनकी राह कठिन हो गई. ओम प्रकाश राजभर ने बेटे अरविंद राजभर के लिए प्रचार के दौरान कहा था कि उनके पास पंचायती राज विभाग है और अल्पसंख्यक व हज भी तो समझ तो गए ही होंगे. राजभर का यह बयान धमकी के रूप में देखा गया और घोसी के लोगों ने खासकर प्रधान वर्ग जो पंचायती राज विभाग से सीधा प्रभावित होते हैं.
इसकी खिलाफत हुई. इतना ही नहीं राजभर ने एक अन्य जनसभा के दौरान कहा कि उन्होंने इस बार वो विभाग अपने पास रखा है जो मुख्यमंत्री के पास था. इस बयान से योगी आदित्यनाथ को पसंद करने वाली जनता और कार्यकर्ता दोनों ही नाराज दिखे थे. यही वजह रही कि पूरे चुनावभर बीजेपी के कार्यकर्ताओं में अरविंद राजभर के लिए प्रचार करने का जोश नहीं दिखा.
अपना दल (सोनेलाल) की अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल ने चुनाव के बीच उस वक्त एक सनसनीखेज बयान दिया जब बीजेपी कुंडा के विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया को अपने साथ लाने के लिए मशक्कत कर रही थी. दरअसल, बाहुबली विधायक राजा भैया ने बीच चुनाव किसी भी दल को समर्थन देने से इनकार करते हुए कार्यकर्ताओं को वोटिंग की आजादी दे दी. इसके बाद कौशांबी सीट पर प्रचार के दौरान अपना दल (सोनेलाल) की अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल भी अचानक राजा भैया पर हमलावर हो गईं.
उन्होंने कहा कि अब राजा रानी के पेट से नहीं, बल्कि ईवीएम से पैदा होते हैं. अनुप्रिया के इस बयान ने सियासी गलियारों में हड़कंप मचा दिया और राजा भैया का खेमा नाराज हो गया. लिहाजा राजा समर्थक प्रतापगढ़, रॉबर्ट्सगंज और मिर्जापुर सीट पर सक्रिय हो गए. बीजेपी ने प्रतापगढ़ और कौशांबी सीट हारी, साथ ही रॉबर्ट्सगंज में भी हार का सामना करना पड़ा. इतना ही नहीं खुद की सीट पर भी अनुप्रिया पटेल जैसे तैसे जीतीं.
राजा ने राजभर और अनुप्रिया का खेल बिगड़ा : लोक सभा चुनाव 2024 में बाहुबलियों का दम खम सिर्फ नाम भर का रहा. एक से एक दिग्गज चुनावी समर से बाहर थे. सिवाए तीन ब्रजभूषण शरण सिंह, धनंजय सिंह और रघुराज प्रताप सिंह के अलावा. धनंजय सिंह खुद चुनाव लड़ नहीं सके, लेकिन बीजेपी के प्रत्याशी को खुला समर्थन दिया. हालांकि सफलता नहीं मिल सकी. वहीं ब्रजभूषण शरण सिंह भी कैसरगंज सीट तक ही सीमित रहे और अपने बेटे करन भूषण सिंह को जिताने में लगे रहे.
तीसरा नाम कुंडा विधायक राजा भैया जिन्होंने न ही खुद चुनाव लड़ा और न ही अपनी पार्टी जनसत्ता लोकतांत्रिक दल के प्रत्याशी उतारे. हालांकि इस चुनाव में उन्होंने अपने प्रभाव से यूपी की चार सीटों पर एनडीए के प्रत्याशियों का नुकसान किया. इनमें प्रतापगढ़, कौशांबी, मिर्जापुर और घोसी सीट शामिल है. प्रतापगढ़, काैशांबी और मिर्जापुर सीट पर अनुप्रिया पटेल के राजा रानी वाले बयान ने नुकसान पहुंचाया.
वरिष्ठ पत्रकार मनमोहन अग्रवाल कहते हैं कि इस बार के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के पक्ष में ही माहौल था, लेकिन बीजेपी के कुछ नेताओं ने बड़बोले पन में 400 सीट पाकर संविधान बदलने का बयान देकर बीजेपी को कमजोर कर दिया. इसमें ओम प्रकाश राजभर और अनुप्रिया पटेल भी पीछे नहीं रहे. खासकर ओम प्रकाश राजभर जो कहीं भी कुछ भी बयान दे देते हैं और बाद में उसका खंडन करने के लिए सामने खड़े होते हैं.
वर्ष 2017 से ही राजभर कई विवादित बयान दे चुके हैं जो हर बार उनके लिए मुश्किलें खड़े कर चुके हैं. यही इस बार भी हुआ और उसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ा. अनुप्रिया पटेल के लिए तो सब कुछ ठीक चल रहा था. रॉबर्टगंज में प्रत्याशी भी ठीक ही उतारा था, लेकिन उन्होंने गलत जगह, गलत समय और गलत नेता के खिलाफ बयान देकर अपना खेल बिगाड़ लिया. मनमोहन कहते हैं कि रघुराज प्रताप भले ही इस लोक सभा चुनाव में न लड़े हो, लेकिन प्रतापगढ़, काैशांबी और पूर्वांचल की कई सीटों पर अपना प्रभाव तो रखते ही हैं. ऐसे में जब वो चुनावी समर में थे ही नहीं तो इन दोनों ही नेताओं को कटाक्ष करना ही नहीं था.